दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को दिल्ली सरकार को दिल्ली नगर निगम (MCD) के फाइनेंस की जांच करने का निर्देश दिया। कोर्ट को बताया गया कि नगर निगम पैसे की तंगी से जूझ रहा है। [महारानी बाग को-ऑपरेटिव हाउस बिल्डिंग एंड वेलफेयर सोसाइटी लिमिटेड और अन्य बनाम यूनियन ऑफ इंडिया और अन्य]।
MCD कमिश्नर अश्विनी कुमार ने आज कोर्ट को बताया कि उनके पास फ्लड चैंबर को ढकने और नालों पर बैरिकेडिंग करने के कोर्ट के निर्देशों को पूरा करने के लिए फंड नहीं हैं।
जस्टिस प्रतिभा एम सिंह और जस्टिस मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की डिवीजन बेंच दिल्ली की एक रेजिडेंशियल कॉलोनी में बाढ़ से जुड़े एक सुओ मोटो केस की सुनवाई कर रही थी।
कोर्ट ने निर्देश दिया, “इस कोर्ट की राय में, MCD की फाइनेंशियल हालत पर NCT दिल्ली सरकार को गौर करने की ज़रूरत है और इसके लिए एक मीटिंग की जाएगी। अगली सुनवाई की तारीख पर एक रिपोर्ट फाइल की जाएगी।”
कोर्ट को आज बताया गया कि जैसा कि पहले कहा गया था, बाढ़ रोकने के लिए छेद वाले नाले बनाए गए हैं।
हालांकि, बेंच को बताया गया कि MCD के बजट की कमी नालों पर बैरिकेडिंग करने में एक बड़ी रुकावट बन रही है।
कोर्ट ने अपने ऑर्डर में भी यही बात कही।
कोर्ट ने कहा, “नाले की बैरिकेडिंग 30 नवंबर तक पूरी होनी थी। यह साफ़ है कि बजट की कमी ही मुख्य मुद्दा है जो बाढ़ चैंबर को ढकने और बैरिकेडिंग करने में रुकावट बन रहा है। इसका रहने वालों और बच्चों और बुज़ुर्गों की सुरक्षा पर बुरा असर पड़ सकता है। यह नाला पूरी कॉलोनी से होकर गुज़रता है और इसे तुरंत बैरिकेड करके ढकने की ज़रूरत है।”
MCD कमिश्नर ने कोर्ट को बताया कि नगर निगम अपने रिसोर्स जुटाने की पूरी कोशिश कर रहा है।
उन्होंने कहा, “इस काम के लिए ₹1-1.5 करोड़ चाहिए। MCD इस मामले में नहीं, बल्कि आम तौर पर फाइनेंस [कमी] से जूझ रही है। हम अपने रिसोर्स जुटाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। हम खुद पर बहुत ज़्यादा दबाव डाल रहे हैं। फाइनेंस कमीशन बनाना था, वह नहीं बना। कुल ₹15,791 करोड़ बकाया है।”
आखिरकार कोर्ट ने MCD को टेंडर जारी करने और तीन महीने में नालों को ढकने और बैरिकेडिंग का काम पूरा करने का निर्देश दिया।
जस्टिस सिंह ने कहा, “सच में हमें हर कदम पर आपका साथ देना पड़ता है। यह बहुत मुश्किल है।”
इसके अलावा, कोर्ट ने दिल्ली जल बोर्ड (DJB) की भी आलोचना की, जिसने उस जगह से गुज़रने वाले दो बड़े पाइपों के बारे में देर से चिंता जताई, जहाँ नालों पर फिर से काम करना था।
कोर्ट ने कहा, “आप इस समय सो रहे थे? DJB ने तो लापरवाही की है। DJB ने पहले कभी कोई आपत्ति नहीं जताई। DJB और MCD को कोर्ट में एक-दूसरे के खिलाफ मुद्दे उठाने के बजाय एक-दूसरे के साथ मिलकर काम करना चाहिए।”
मामले की अगली सुनवाई 19 दिसंबर को होगी।

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