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भारत क्या इस्लामी जिहादियों से बचा पाएगा?Can India protect itself from Islamic jihadists?

 प्रणव बजाज

क्या पाकिस्तान फिर से बांग्लादेश को मिलाने वाला है? क्या बांग्लादेश पाकिस्तान का मुखौटा बन रहा है? ये सवाल इन दिनों अस्थिर बांग्लादेश के आसमान में तैर रहे हैं। दरअसल, गुरुवार को भारत ने बांग्लादेश के राजशाही और खुलना शहरों में वीजा केंद्रों को बंद कर दिया, क्योंकि मोहम्मद यूनुस सरकार के समर्थक समूहों ने इन दोनों जगहों पर भारतीय सहायक उच्चायोगों के बाहर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया था।


ढाका में ISI का सेल, आखिर चाहता क्या है पाकिस्तान

governancenow.com पर छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेश में पाकिस्तान की इंटर सर्विसेज इंटेलीजेंस (ISI) की मौजूदगी दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। दरअसल, बीते महीने ही पाकिस्तान के संयुक्त चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी के चेयरमैन जनरल साहिर शमशाद मिर्जा की ढाका यात्रा हुई थी। उस दौरान, खबरों के मुताबिक ढाका ने इस्लामाबाद को बांग्लादेश स्थित अपने उच्चायोग में खुफिया अधिकारियों की नियुक्ति की अनुमति दी, जिसे आईएसआई की मौजूदगी में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम के रूप में देखा जा रहा है।पाकिस्तान-बांग्लादेश का खुफिया तंत्र एक्टिव

भारत के जाने-माने रणनीतिक एवं सुरक्षा विशेषज्ञ ब्रह्मा चेलानी ने X पर अपने पोस्ट में कहा था-पिछले साल ढाका में सत्ता परिवर्तन के बाद से बांग्लादेश और पाकिस्तान ने चुपचाप रक्षा और खुफिया सहयोग बढ़ाया है। यह एक ऐसा रुझान है जिसके भारत के लिए महत्वपूर्ण निहितार्थ हैं। आईएसआई-डीजीएफआई (बांग्लादेश के सुरक्षा बलों के महानिदेशालय) के संयुक्त खुफिया तंत्र की रिपोर्ट, जिसमें ढाका में सक्रिय आईएसआई सेल भी शामिल है, दोनों पक्षों के बीच एक उभरते सुरक्षा गठजोड़ की ओर इशारा करती है।

दोनों देशों के बीच उभरता गठजोड़ कितना बड़ा खतरा

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, दोनों देशों ने बंगाल की खाड़ी और भारत के पूर्वी मोर्चे से लगे हवाई क्षेत्र की निगरानी के उद्देश्य से एक संयुक्त खुफिया जानकारी साझा करने और सहयोग ढांचा स्थापित करने पर सहमति जताई। यह घटनाक्रम बांग्लादेश और पाकिस्तान के बीच उभरते सुरक्षा गठजोड़ का संकेत देता है, वहीं दोनों देशों के सैन्य स्तर पर संबंधों में एक बड़ा बदलाव संयुक्त सैन्य अभ्यास, प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण पहलों पर विचार करने के उनके निर्णय में नजर आता है।

पूर्व राजनयिक ने कहा-पाकिस्तान के इशारे पर काम

वहीं, इस मामले पर पूर्व भारतीय राजनयिक वीना सिकरी ने गुरुवार को बांग्लादेश में भारत के उच्चायोग के सामने हुए भारत-विरोधी मार्च के दौरान बांग्लादेश की जमात-ए-इस्लामी पर पाकिस्तान के इशारे पर काम करने का आरोप लगाया। सिकरी का दावा है कि पाकिस्तान बांग्लादेशी सेना पर नियंत्रण हासिल करने की कोशिश कर रहा है।पाकिस्तान के इशारों पर काम कर रही जमात

एएनआई से बात करते हुए, पूर्व राजनयिक सिकरी ने बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस की भारत-विरोधी बयानों पर चुप्पी साधने की आलोचना की। सिकरी ने कहा-हम जानते हैं कि सत्ता परिवर्तन अभियान को बाहरी शक्तियों, पश्चिमी शक्तियों का समर्थन प्राप्त था, लेकिन यह पाकिस्तान के माध्यम से किया गया। यह पाकिस्तान के ज़रिए किया गया, और बांग्लादेश में पाकिस्तान का सबसे बड़ा माध्यम जमात-ए-इस्लामी है। जमात-ए-इस्लामी पाकिस्तान के इशारे पर काम कर रही है। इसलिए यह उनकी योजना है।

ISI की चाहत बांग्लादेश में कठपुतली सरकार

डीएनए की एक रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेश में 12 फरवरी, 2026 को जुलाई चार्टर पर जनमत संग्रह के साथ-साथ चुनाव भी होने जा रहे हैं। हालांकि नई दिल्ली ने मुख्य विपक्षी दल, बांग्लादेश राष्ट्रवादी पार्टी (बीएनपी) से संपर्क साधा है, लेकिन आईएसआई, भारत को सत्ता से बाहर करने और किसी भी तरह से अपनी कठपुतली सरकार, जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश को सत्ता में स्थापित करने की तैयारी में जुटी है। पाकिस्तानी सेना की खुफिया शाखा ने नेशनल सिटिजन पार्टी (एनसीपी) और उसके नेताओं को भी भर-भरकर पैसे दे रही है। ये वही पार्टी है, जिन्होंने पिछले साल शेख हसीना सरकार के खिलाफ देशव्यापी आंदोलनों का नेतृत्व किया था। हसीना ने 5 अगस्त, 2024 को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और देश छोड़कर भारत आ गई थीं।

भारत रख रहा है करीब से नजर

भारत भी इस पूरे मामले पर करीब से नजर रखे हुए है। हाल ही में एनसीपी के सदर्न चीफ ऑर्गेनाइजर हसनत अब्दुल्लाह ने कहा कि भारत के उच्चायुक्त को देश से बाहर निकाल देना चाहिए था। इस पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा-बांग्लादेश में हाल की कुछ घटनाओं को लेकर कट्टरपंथी तत्वों के झूठे विमर्श को हम पूरी तरह से ख़ारिज करते हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अंतरिम सरकार ने न तो इन घटनाओं की गहन जांच की है और न ही इनके संबंध में भारत के साथ कोई ठोस सबूत साझा किए हैं।थरूर की अगुवाई वाली संसद की स्थायी समिति ने भी जताई है चिंता

कांग्रेस सांसद शशि थरूर की अध्यक्षता वाली विदेश मामलों की संसदीय स्थायी समिति ने चेतावनी दी है कि बांग्लादेश में उभरती स्थिति 1971 के मुक्ति युद्ध के बाद से पड़ोसी देश में भारत के लिए सबसे बड़ा रणनीतिक दुःस्वप्न साबित हो रही है, जिसमें राजनीतिक बदलाव, पीढ़ीगत मतभेद और चीन और पाकिस्तान के बढ़ते प्रभाव को लेकर चिंताएं जताई गई हैं।बांग्लादेश यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर ने खोली पोल

बांग्लादेश ओपन यूनिवर्सिटी की असोसिएट प्रोफेसर आरिफा रहमान रूमा कहती हैं कि मोहम्मद यूनुस कट्टरपंथियों को बढ़ावा दे रहे हैं। उन्होंने हसनत के उस वीडियो क्लिप को एक्स पर पोस्ट किया है। उन्होंने लिखा-बांग्लादेश ख़तरनाक तरीके से बेकाबू होता जा रहा है। हसनत अब्दुल्लाह ने सार्वजनिक रूप से कहा है कि भारतीय उच्चायुक्त को देश से बाहर निकाल दिया जाना चाहिए। ऐसा बयान कोई भी ज़िम्मेदार नेता कभी नहीं दे सकता। 

हसनत जैसे चरमपंथी और हिंसक विचारधारा वाले लोग और उनके समर्थक अब मोहम्मद यूनुस को समर्थन देने वाली एकमात्र वास्तविक शक्ति बन गए हैं।रूमा कहती हैं कि जिस देश में यूनुस के नेता सार्वजनिक रैलियों में खुलेआम यह कह सकते हैं कि वे एक पड़ोसी देश के उच्चायुक्त को बाहर निकाल देंगे, वहां यह स्पष्ट है कि आम लोग दिन-रात ख़ुद को कितना असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। ऐसे बांग्लादेश में आम नागरिक अब न तो अपने जीवन को लेकर सुरक्षित महसूस करते हैं और न ही अपनी संपत्ति को लेकर। यह कठोर वास्तविकता देश में कानून-व्यवस्था और राजनीतिक संयम के पूरी तरह ढह जाने को उजागर करती है।

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