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एमपी कैबिनेट के बड़े फैसले, कर्मचारियों के स्थायी-अस्थायी पदों का भेद खत्म, भोपाल-इंदौर मेट्रो के लिए 90 करोड़ मंजूर, छह वन विज्ञान केंद्र होंगे स्थापितMadhya Pradesh cabinet takes major decisions: distinction between permanent and temporary employee positions abolished, ₹90 crore sanctioned for Bhopal-Indore Metro, and six forest science centers to be established.

 भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई मध्य प्रदेश मंत्रि-परिषद की अहम बैठक में प्रदेश के विकास, कर्मचारियों और आधारभूत संरचना से जुड़े कई बड़े और दूरगामी फैसलों पर मुहर लगाई गई। बैठक में जहां सरकारी कर्मचारियों के लिए ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए स्थायी और अस्थायी पदों के बीच का अंतर समाप्त कर दिया गया, वहीं भोपाल और इंदौर मेट्रो परियोजना के लिए 90 करोड़ रुपये से अधिक के बजट को भी स्वीकृति दी गई। 


इसके साथ ही प्रदेश में छह नए वन विज्ञान केंद्रों की स्थापना का निर्णय भी लिया गया। डिप्टी मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल ने कैबिनेट बैठक में लिए गए निर्णयों की जानकारी देते हुए बताया कि राघवपुर बहुउद्देश्यीय परियोजना के लिए 1782 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई है। इस परियोजना से अनूपपुर, मंडला और डिंडोरी जिलों में करीब 5512 करोड़ रुपये की सिंचाई योजनाओं को गति मिलेगी। इन तीनों जिलों में कुल 71 हजार 967 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई संभव हो सकेगी, वहीं परियोजना के माध्यम से 125 मेगावाट बिजली का उत्पादन भी किया जाएगा। इसके अलावा मुख्यमंत्री सड़क परियोजना के अंतर्गत प्रदेश भर में 3810 सड़क कार्यों को स्वीकृति प्रदान की गई है, जिससे ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में सड़क संपर्क और मजबूत होगा।

कैबिनेट बैठक में भोपाल और इंदौर मेट्रो परियोजना के लिए वर्ष 2025-26 के बजट प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। इस प्रस्ताव के तहत मेट्रो परियोजना के लिए 90.67 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं। सरकार का मानना है कि इससे दोनों बड़े शहरों में शहरी परिवहन व्यवस्था को मजबूती मिलेगी और यातायात की समस्याओं से राहत मिलेगी। इसके साथ ही उद्यम क्रांति योजना को वर्ष 2026-27 से 2030-31 तक निरंतर जारी रखने का फैसला लिया गया है। इस योजना के लिए कुल 905 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है, जिससे स्वरोजगार और छोटे उद्यमों को बढ़ावा मिलेगा।

वन और पर्यावरण के क्षेत्र में भी कैबिनेट ने महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। सरकार ने कृषि विज्ञान केंद्रों की तर्ज पर 48 करोड़ रुपये की लागत से प्रदेश में छह वन विज्ञान केंद्र स्थापित करने की मंजूरी दी है। इन केंद्रों के माध्यम से वन संरक्षण, अनुसंधान और पर्यावरणीय संतुलन को मजबूत करने का प्रयास किया जाएगा।

कैबिनेट का सबसे बड़ा और ऐतिहासिक निर्णय राज्य शासन में कार्यरत कर्मचारियों से जुड़ा रहा। मंत्रि-परिषद ने सरकारी कर्मचारियों के पदों में स्थायी और अस्थायी पदों के बीच चला आ रहा अंतर समाप्त करने का फैसला किया है। अब 10 प्रकार के पद वर्गीकरण की जगह केवल 5 श्रेणियां ही रहेंगी। इसके लिए राज्य शासन के विभिन्न विभागों में स्वीकृत स्थायी और अस्थायी पदों के विभेदीकरण को समाप्त करने की स्वीकृति दी गई है। इसके साथ ही वर्तमान में स्वीकृत अस्थायी पदों को स्थायी पदों में परिवर्तित करने के लिए सेवा भर्ती नियमों में आवश्यक संशोधन करने की भी मंजूरी दी गई है। कार्यभारित और आकस्मिक स्थापना के सभी पदों को सांख्येतर घोषित करने और इन पदों पर भविष्य में किसी भी प्रकार की नई नियुक्ति नहीं करने का निर्णय भी लिया गया है। इन फैसलों को सरकारी कर्मचारियों के हित में बड़ा कदम माना जा रहा है, जिसका असर आने वाले वर्षों में राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था पर स्पष्ट रूप से दिखाई देगा।

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