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शंकराचार्य ने गंगा पूजन कर शुरू की शीतकालीन यात्रा, 2027 अर्धकुंभ को दिया समर्थनShankaracharya begins winter pilgrimage by worshipping Ganga, supports Ardh Kumbh 2027

 जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि कुंभ का आयोजन विक्रम संवत कैलेंडर के अनुसार होता है. ग्रेगरी के कैलेंडर में कभी कुंभ के बारे में नहीं लिखा होता. 2027 में हरिद्वार में कुंभ होगा और सब बढ़चढ़ कर उसमें हिस्सा लेंगे. उन्होंने कुंभ और अर्द्धकुंभ के विवाद से खुद को दूर बताया और कहा कि दोनों ही शब्दों में कुंभ शब्द जुड़ा है, इसलिए कुंभ मेले का सबको लाभ उठाना चाहिए.


शंकराचार्य ने शुरू की शीतकालीन यात्रा: दरअसल स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने चारधाम यात्रा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शीतकालीन चारधाम यात्रा की शुरुआत की है. उत्तराखंड के धार्मिक स्थलों की शीतकालीन धार्मिक यात्रा के लिए उन्होंने गुरुवार शाम को नमामि गंगा घाट पर गंगा पूजन किया और शुक्रवार की सुबह अपने शिष्यों के साथ हरिद्वार से रवाना हो गए. उन्होंने कहा कि जैसे ग्रीष्मकालीन यात्रा होती है, उसी प्रकार भगवान के दर्शन शीतकाल में भी किए जा सकते हैं. सरकार भी इस यात्रा का महत्व समझ रही है. इससे जनता में संदेश जाएगा और धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा. श्रद्धालुओं को गर्मी सर्दी की परवाह किए बिना भगवान के दर्शन करने चाहिए. इसका भी एक अलग अनुभव है.

2027 कुंभ का समर्थन किया: शंकराचार्य ने कहा कि हरिद्वार कुंभ मेले को अंग्रेजी के कैलेंडर के हिसाब से 2027 का कुंभ नहीं माना जा सकता. इसे विक्रम संवत 2084 का कुंभ कहा जाए. कुंभ घड़े को कहते हैं और इस घड़े में पुण्य का संग्रह है. इसके लिए पूरी दुनिया में लोगों का आह्वान किया जाए. हरिद्वार का कुंभ दुर्लभ है, इसका सभी को लाभ लेना चाहिए.

शंकराचार्य बोले- कुंभ और अर्धकुंभ में कुछ लोग फैला रहे भ्रम: स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि कुंभ और अर्द्धकुंभ को लेकर कुछ लोग भ्रम फैला रहे हैं. कोई कुंभ, अर्द्धकुंभ तो कोई महाकुंभ कहा रहा है. उन्हें इससे कोई लेना देना नहीं है. सभी शब्दों में कुंभ शब्द तो जुड़ा है. कुंभ में अमृत होता है, जिसकी एक बूंद भी अगर मिल जाए तो, जीवन धन्य हो जाता है. इसलिए हरिद्वार का कुंभ तो बहुत भव्य होता है. यहां गंगा की धारा का अलग ही रूप देखने को मिलता है.

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