दिल्ली। आज के दौर में, 20 से 30 साल की उम्र में ही लोग अक्सर थकान, तनाव, त्वचा की समस्याओं और ऊर्जा की कमी से जूझते नजर आने लगे हैं। ये सिर्फ आम समस्याएं नहीं, बल्कि प्रीमेच्योर एजिंग के लक्षण हो सकते हैं। पहले जहां बुढ़ापा 50-60 की उम्र के बाद दिखता था, वहीं आज युवा भी तेजी से एजिंग के शिकार हो रहे हैं। इसे प्रीमेच्योर एजिंग कहते हैं। इसके पीछे दो प्रमुख कारण हैं, क्रोनिक स्ट्रेस और बढ़ता स्क्रीन टाइम। इसलिए एजिंग के लक्षणों को धीमा करने के लिए स्ट्रेस और स्क्रीन टाइम को मैनेज करना काफी जरूरी है
स्ट्रेस- छिपकर करता है शरीर पर अट्रैक
लगातार तनाव शरीर में कोर्टिसोल हार्मोन के स्तर को बढ़ाता है। यह हार्मोन सेल्स की मरम्मत की प्रक्रिया को धीमा कर देता है, त्वचा की इलास्टिसिटी कम करता है और बालों के झड़ने का कारण बनता है। स्ट्रेस से नींद का पैटर्न बिगड़ता है, जिससे शरीर की रिपेयर मैकेनिज्म प्रभावित होती है। युवाओं में काम का दबाव, फाइनेंशियल स्ट्रेस और सोशल एंग्जाइटी इस समस्या को बढ़ा रही हैं।
स्क्रीन- त्वचा और आंखों का दुश्मन
मोबाइल, लैपटॉप और टैबलेट से निकलने वाली ब्लू लाइट त्वचा की गहराई तक पहुंचती है। यह कोलेजन और इलास्टिन को नुकसान पहुंचाकर झुर्रियां और पिग्मेंटेशन बढ़ाती है। रात में स्क्रीन एक्सपोजर मेलाटोनिन हार्मोन को प्रभावित कर नींद खराब करता है, जो एजिंग प्रक्रिया को और तेज कर देता है। लगातार स्क्रीन देखने से आंखों के आसपास डार्क सर्कल्स और फाइन लाइन्स भी बढ़ जाती हैं।
दोनों का डबल अटैक
जब स्ट्रेस और स्क्रीन एक साथ काम करते हैं, तो प्रीमेच्योर एजिंग का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। ऑफिस में कंप्यूटर स्क्रीन के सामने लंबे समय तक काम करना, फिर घर पर सोशल मीडिया और ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर समय बिताना, यह साइकिल शरीर को आराम और रिपेयर का मौका ही नहीं देती।
डिजिटल डिटॉक्स- दिन में कुछ घंटे स्क्रीन से दूर रहें, ब्लू लाइट फिल्टर ग्लासेस का इस्तेमाल करें।
स्ट्रेस मैनेजमेंट- मेडिटेशन, योग और नियमित एक्सरसाइज को रूटीन में शामिल करें।
स्लीप हाइजीन- रात को सोने से 1 घंटे पहले स्क्रीन बंद कर दें, 7-8 घंटे की गहरी नींद लें।
पोषण- एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर डाइट, जैसे- हरी सब्जियां, जामुन, नट्स लें और भरपूर मात्रा में पानी पिएं।
स्किन केयर- सनस्क्रीन का नियमित इस्तेमाल करें, और त्वचा को मॉइस्चराइज रखें।

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