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महाभारत काल से जुड़ा है सहस्त्र मुखी शिवलिंग का रहस्य, एक साथ 1008 शिवलिंग का जलाभिषेक The mystery of the thousand-faced Shivalinga is linked to the Mahabharata period, the simultaneous anointment of 1008 Shivalingas with water.


जिले में एक ऐसा प्राचीन शिव मंदिर बना है जहां सहस्त्रमुखी शिवलिंग महादेव विराजमान हैं. मंदिर की महिमा अपरंपार है. यहां एक साथ 1008 शिवलिंग का जलाभिषेक होता है. 1008 शिवलिंग को अपने आप में समाहित करने वाला यह शिवलिंग खुदाई के दौरान निकला था. जिस गांव में शिवलिंग निकला था शिवलिंग उसका रहस्य भी महाभारत काल से जुड़ा हुआ है. शिवलिंग का जलाभिषेक करने दूर-दूर से लोग आते हैं और उनकी मनोकामना पूरी होती है



खुदाई में निकलती हैं मूर्तियांबुंदेलखंड का छतरपुर जिला हमेशा अपने वैभवशाली इसिहास के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है. चाहे खजुराहो के मंदिर हों या बागेश्वर धाम का तीर्थ स्थल, या महाभारत काल का भीम कुंड हो. देश दुनिया भर से लोग जानने, सुनने देखने आते हैं. वहीं छतरपुर जिले का एक गांव ऐसा भी है जहां खुदाई करते ही प्राचीन मूर्तियां निकलती हैं. अब तक दर्जनों प्राचीन मूर्तियां जमीन से निकल चुकी हैं. इस गांव का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है. इस गांव में खुदाई करने से पहले पुरातत्व विभाग से अनुमति लेनी पड़ती है.अचट्ट गांव का अनोखा सहस्त्र मुखी शिवलिंगछतरपुर पुर जिले के नौंगाव और ईशानगर के बीच में अचट्ट नाम का एक प्राचीन गांव है और इस गांव में खुदाई के दौरान 11वीं 12वीं शताब्दी की कई प्राचीन मूर्तियां निकल चुकी हैं. उन्हीं में से एक प्राचीन शिवलिंग निकला था जिसे बैजनाथ धाम या सहस्त्रमुखी शिवलिंग भी कहते हैं. यह एक प्राचीन और चमत्कारी शिवलिंग है, जो अपनी अनोखी विशेषताओं के लिए प्रसिद्ध है. मंदिर के पुजारी कहते हैं, इस मंदिर में मांगी गई हर मनोकामना पूरी होती है. सावन के महीने में यहां भक्तों की भीड़ लगती है.



पहाड़ी पर मंदिर में स्थापित है शिवलिंगपुजारी रामप्रताप अवस्थी कहते हैं, ''कई वर्ष पहले गांव के एक रैकवार परिवार को भोले नाथ ने सपना दिया था. तब तालाब के पास खुदाई की गई तो एक सहस्त्र मुखी शिवलिंग खुदाई के दौरान निकला, जिसे गांव वालों ने पहाड़ी पर बने मंदिर में स्थापित किया था. मंदिर के पास तालाब, मां पार्वती का मंदिर, नंदी की मूर्ति भी प्राचीन स्थापित है. यह प्राचीन शिवलिंग देश का इकलौता सहस्त्र मुखी शिवलिंग है. इस मंदिर को बैजनाथ धाम के नाम से भी जाना जाता है. अचट्ट का प्राचीन शिव मंदिर सावन के पवित्र माह में शिवभक्तों के लिए आस्था का केन्द्र बना हुआ है.''

मार्कण्डेय पुराण में मिलता है अचट्ट गांव का इतिहासगांव के जानकार पंडित हनुमान दास बताते हैं, ''भगवान विष्णु का एक नाम अच्छित है इन्हीं के नाम पर कभी यह क्षेत्र अक्षतनगर हुआ करता था. जो बाद में अचलपुर हुआ और आज अचट्ट हो गया. इस गांव का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है. यह अचट्ट गांव हजारों वर्ष पहले महाभारत काल का बताया जाता है. कभी यह पूरा वैभवशाली नगर हुआ करता था.

आज भी उस समय के पूर्वज देवता गांव में भ्रमण करते हुए गांव की हर आफत-विपदा से सुरक्षा करते हैं. अचट्ट गांव का नाम मार्कण्डेय पुराण में आया है. आज भी गांव में एक से बढ़कर एक पत्थर की कला कृतियां, देवी देवताओं की मूर्तियां अपना प्राचीन इतिहास बयां कहती हैं. इस गांव में कई प्राचीन मूर्तियां खुदाई में निकली हैं.

क्या कहते हैं इतिहासकारछतरपुर के रिटायर्ड प्रोफेसर सीएम शुक्ला से बात की गई तो उन्होंने बताया, ''आचट्ट गांव का इतिहास बहुत पुराना है. गांव में आज भी खुदाई के दौरान मूर्तियां निकलती हैं. खुदाई के दौरान एक सहस्त्र मुखी शिवलिंग भी पाया गया है. इस गांव का इतिहास चंदेलकालीन के पहले का बताया जाता है. पूरे गांव में कहीं चबूतरे पर तो कहीं पेड़ के नीचे मूर्तिया रखी मिल जाएंगी.''

सावन में लगती है भक्तों की भीड़मंदिर के पुजारी रामप्रताप अवस्थी बताते हैं, ''यह शिवलिंग बहुत ही प्राचीन है, मेरी भी तीन पीढ़िया इतिहास सुनते सुनते गुजर गईं. यह मंदिर सिद्ध है. सावन के महीने में यहां भक्तों की भीड़ लगती है. दूर-दूर से भक्त प्राचीन शिवलिंग का अभिषेक करने आते हैं. भक्तों की मनोकामना पूरी होती है. यह इकलौता सहस्त्र मुखी शिवलिंग है, इस मंदिर को बैजनाथ धाम के नाम से भी जाना जाता है.''

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