वाईएसआरसीपी सरकार के कार्यकाल के दौरान हुए कथित 1000 करोड़ के शराब घोटाले की जांच कर रही विशेष जांच टीम ने धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) मामले में मुंबई के एक निवासी और आरोपी अनिल चोखरा को गिरफ्तार किया था. उससे पूछताछ के बाद जांच में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है. कई सनसनीखेज खुलासे हुए हैं.
जांच में सामने आए मुख्य बिंदु:
शेल कंपनियों के माध्यम से धन का प्रवाह: जांचकर्ताओं ने पाया कि आंध्र प्रदेश की कुछ प्रमुख शराब डिस्टिलरीज से प्राप्त धन को कई स्तरों पर घुमाया गया. शुरुआती तौर पर लगभग 78 करोड़ की राशि कथित तौर पर कई शेल (मुखौटा) कंपनियों के बैंक खातों में जमा की गई.
पैसे को नकदी और सोने में बदला गया: एसआईटी की पूछताछ में यह बात सामने आई है कि इन खातों में जमा की गई रकम को बाद में नकदी और सोने के रूप में बदलकर मुख्य सरगना तक पहुंचाया गया.
जटिल वित्तीय मार्ग: जांच से पता चलता है कि धन को कुल 32 से अधिक शेल कंपनियों के खातों के माध्यम से स्थानांतरित किया गया था. इस प्रक्रिया को इस तरह से अंजाम दिया गया ताकि वित्तीय लेनदेन का ऑडिट ट्रेल (लेखा-परीक्षण) बनाना मुश्किल हो और अपराध का पता न चले.
अदालत ने अनिल चोखरा को तीन दिन के लिए एसआईटी हिरासत में भेज दिया. पहले दिन, सोमवार को पुलिस ने उससे करीब 6 घंटे तक पूछताछ की. पता चला है कि महत्वपूर्ण विवरण प्राप्त किए गए हैं. अनिल चोखरा ने कहा कि चेतन कुमार के पिता के दुबई में कई लोगों के साथ वित्तीय संबंध हैं.
अधिकारियों को रिश्वतः
अदान डिस्टिलरीज, एसपीवाई एग्रो इंडस्ट्रीज और लीला डिस्टिलरीज, ने बड़ी संख्या में शराब आपूर्ति ऑर्डर हासिल किए. ये कंपनियां राज केसिरेड्डी और मुप्पीडी अविनाश रेड्डी के नियंत्रण में थे. इन तीनों कंपनियों ने मिलकर कुल 10 करोड़ रुपये का हेर-फेर किया.
अनिल चोखरा से जुड़ी फर्जी कंपनियों के खातों में 78 करोड़ रुपये. दूसरे चरण में 32 और फर्जी कंपनियों के खातों में रकम पहुंचाई गई. वहां से, पैसा विभिन्न रूपों में हस्तांतरित किया गया. वहां से इसे सरकारी अधिकारियों को हस्तांतरित कर दिया गया.
कौन है अनिल चोखराः
राजस्थान के अजमेर के रहने वाले अनिल चोखरा नवी मुंबई के सानपाड़ा में रहता था. वहां वह आर्थिक तंगी से जूझ रहे लोगों को कुछ पैसे देता था और उनका आधार व अन्य पहचान पत्र ले लेता था. वह उनके साथ फर्जी कंपनियां बनाने और उनके जरिए धन शोधन करने में माहिर था. उससे उसे कमीशन मिलता था. वह सफेद धन को काले धन में बदल देता था और फिर काले धन को सफेद धन में बदल देता था और कमीशन प्राप्त करता था.
आरोप है कि चोखरा ने आंध्र प्रदेश शराब घोटाले गिरोह के लिए कई फर्जी कंपनियां बनाईं और उनका इस्तेमाल अवैध नकदी लेनदेन के लिए किया. इस संदर्भ में एसआईटी जांच कर रही है कि इस गिरोह के सदस्यों का किस-किस से संपर्क था.

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