भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ उठाना: सिर्फ जिम्मेदारी नहीं, जरूरत है
[जब न्याय और पारदर्शिता बुलंद हों, भ्रष्टाचार की हार तय है]
[सिस्टम की गलियों में घुसा विष: अब हर नागरिक ही प्रहरी है]
· प्रो. आरके जैन “अरिजीत”
हर बार जब कोई सरकारी दफ्तर में खड़ा होता है और समझ जाता है कि बिना रिश्वत के काम नहीं होगा, या अस्पताल में बिस्तर पाने के लिए पैसे फेंकने पड़ेंगे, तब साफ़ महसूस होता है कि भ्रष्टाचार सिर्फ भ्रष्ट लोगों की आदत नहीं, बल्कि समाज की नसों में जमा एक जहरीला विष है। यह विष हमारे सपनों, मेहनत और सभ्यता को जकड़ता है। यही वजह है कि हर साल 9 दिसंबर को मनाया जाने वाला अंतर्राष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी दिवस सिर्फ तारीख नहीं, बल्कि चेतावनी, आंदोलन और प्रतिज्ञा का प्रतीक है—“अब और नहीं।” यह दिन याद दिलाता है कि भ्रष्टाचार केवल कुछ नेताओं या अधिकारियों की समस्या नहीं, यह हमारी रोजमर्रा की संस्कृति में भी अपनी गहरी जड़ें जमा चुका है।
भ्रष्टाचार हर स्तर पर समाज की रीढ़ में चुभ रहा है। स्कूलों में दाखिले की फीस हो या अस्पताल के बिस्तर, सड़क निर्माण हो या सरकारी योजनाएँ—हर जगह भ्रष्टाचार ने पकड़ बनाई है। यह केवल गरीब और वंचित का अधिकार छीनने वाला नहीं, बल्कि लोकतंत्र और न्याय की नींव को भी कमजोर करता है। जब जनता का पैसा गबन होता है, तो स्कूल अधूरे रहते हैं, अस्पताल सुविधाहीन रहते हैं, सड़कें टूटी रहती हैं, और सामाजिक ढांचा ढहने लगता है। यही वजह है कि यह दिन सिर्फ औपचारिक अवसर नहीं; यह हमारी चेतना और जिम्मेदारी का बुलंद आह्वान है—अब चुप नहीं रहा जा सकता।
विश्व बैंक, ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल और संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट बार-बार चेतावनी देती हैं कि भ्रष्टाचार केवल आर्थिक नुकसान नहीं करता, बल्कि राजनीतिक अस्थिरता, सामाजिक असमानता और लोकतांत्रिक मूल्यों की गहरी हानि भी करता है। यह एक वैश्विक महामारी है, जो सीमाओं को नहीं पहचानती और हर समाज की नींव को कमजोर करती है। भारत में लंबी नौकरी की प्रक्रियाएं, रिश्वतखोरी, सरकारी लाइसेंस की जटिलताएँ और व्यक्तिगत संपर्कों में रिश्वत की अपेक्षा ने इस विष को और घातक और जटिल बना दिया है।
लेकिन यह केवल निराशा और हताशा की कहानी नहीं है। अंतर्राष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी दिवस हमें सशक्त बनने, आवाज़ उठाने और बदलाव की शुरुआत करने का अवसर देता है। यह दिन याद दिलाता है कि वास्तविक परिवर्तन केवल नियमों या संस्थाओं से नहीं आता, बल्कि जागरूकता, सक्रिय भागीदारी और साहस से संभव होता है। डिजिटल शिकायत पोर्टल, एंटी‑करप्शन हेल्पलाइन और ट्रांसपेरेंसी निगरानी तंत्र नागरिकों को सशक्त बनाते हैं। हर नागरिक, चाहे वह छोटा व्यापारी हो या नौकरीपेशा, जब भ्रष्टाचार की शिकायत दर्ज करता है, तो वह समाज में बदलाव की नींव रखता है और भ्रष्टाचार की जंजीरों को तोड़ने में योगदान देता है।
भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में शिक्षा सबसे बड़ी और सबसे शक्तिशाली ताक़त है। युवा पीढ़ी को पारदर्शिता, नैतिकता और ईमानदारी का महत्व समझाना, उन्हें यह सिखाना कि रिश्वत, धोखाधड़ी और अनियमितता समाज और भविष्य दोनों के लिए घातक हैं, यह दीर्घकालिक निवेश है। स्कूलों और कॉलेजों में आयोजित भ्रष्टाचार विरोधी कार्यक्रम, कार्यशालाएं और चर्चाएं युवा दिमागों में बदलाव की चिंगारी भरती हैं। यही चिंगारी भविष्य के नेताओं, अधिकारियों और नागरिकों में ईमानदारी, जिम्मेदारी और न्याय की नींव मजबूत करती है।
कानून और संस्थाएं भी भ्रष्टाचार के खिलाफ अत्यंत आवश्यक हथियार हैं। भारत में लोकपाल, लोकायुक्त, पब्लिक ऑडिट सिस्टम और एंटी‑करप्शन ब्यूरो ने ठोस कदम उठाए हैं, लेकिन केवल नियम और कानून पर्याप्त नहीं हैं; उनका प्रभाव तभी सुनिश्चित होगा जब समाज की मानसिकता बदल जाए। रिश्वत और अनियमितता केवल कुछ भ्रष्ट अधिकारियों की आदत नहीं, बल्कि समाज में गहरी पैठ बना चुकी मानसिकता है। यही कारण है कि जागरूकता, शिक्षा और सक्रिय नागरिक भागीदारी के बिना कोई भी कानून पूरी तरह प्रभावी नहीं हो सकता।
भ्रष्टाचार अब सिर्फ स्थानीय या व्यक्तिगत समस्या नहीं रह गया है; यह वैश्विक स्तर पर निवेश, विकास, आर्थिक स्थिरता और सामाजिक विश्वास को कमजोर करता है। इसका सबसे बड़ा शिकार गरीब और मध्यम वर्ग हैं, जिनकी मेहनत और अवसर इसकी जंजीरों में फंस जाते हैं। यही कारण है कि संयुक्त राष्ट्र ने इसे सतत विकास लक्ष्यों के खिलाफ सबसे बड़ी चुनौती के रूप में मान्यता दी है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई केवल दोषियों की निंदा करने तक सीमित नहीं है; यह हर नागरिक को सशक्त बनाने, आवाज़ उठाने और कार्रवाई के लिए प्रेरित करने का दिन है।
अब विकल्प हमारे हाथ में है—या तो हम चुप बैठकर भ्रष्टाचार को बढ़ते देखेंगे, या हम सक्रिय होकर आवाज उठाएंगे, शिकायत दर्ज करेंगे और पारदर्शिता को अपनाएंगे। यह दिन हमें चुनौती देता है कि हम हर रिश्वत, हर अनियमितता और हर भ्रष्टाचार के खिलाफ मजबूती से खड़े हों। भ्रष्टाचार विरोधी दिवस सिर्फ एक दिन का समारोह नहीं; यह एक आंदोलन है, जागरूकता की लौ है, और साहस का प्रतीक है।
9 दिसंबर केवल एक तारीख नहीं है; यह बदलाव, न्याय और ईमानदारी का प्रतीक है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि भ्रष्टाचार से लड़ना केवल सरकार या अधिकारियों का काम नहीं, यह हर नागरिक का कर्तव्य है। हर बार जब हम ईमानदारी चुनते हैं, हर बार जब हम रिश्वत और अनियमितता को ठुकराते हैं, हम समाज की नींव मजबूत करने का संदेश भेजते हैं। अंतर्राष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी दिवस हमें याद दिलाता है कि भ्रष्टाचार की जंजीरों को तोड़ने का साहस हम में है, और केवल हम ही इस दुनिया को न्याय, पारदर्शिता और ईमानदारी के मार्ग पर वापस ला सकते हैं।

Post a Comment