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मंत्रियों के बंगले हों या सरकारी कार्यालय, यदि बिजली चाहिए तो अग्रिम भुगतान करना होगाWhether it's ministers' bungalows or government offices, if you want electricity, you have to pay in advance.

 भोपाल : मंत्रियों के बंगले हों या सरकारी कार्यालय, यदि बिजली चाहिए तो अग्रिम भुगतान करना होगा। प्रदेश के सरकारी भवनों में अब प्री पेड मीटर लगाने पर बिजली तभी मिलेगी जब अग्रिम भुगतान कर रिचार्ज करवाया जाएगा। इसके लिए वल्लभ भवन मंत्रालय से लेकर तहसील स्तरीय सरकारी कार्यालयों तक में प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाए जाएंगे। प्रदेश की विद्युत वितरण कंपनियों द्वारा भारत सरकार के ऊर्जा मंत्रालय से मिले दिशा-निर्देशों के अनुपालन में यह कार्य किया जा रहा है।


10 हजार का एक प्रीपेड स्मार्ट मीटर, प्रदेश में लगेंगे 55 लाख

10 हजार रुपये का एक प्रीपेड स्मार्ट मीटर है। प्रदेश में कुल 55 लाख मीटर लगाए जाएंगे। इनमें घरेलू उपभोक्ता भी शामिल हैं। इस कार्य पर मप्र में 15 हजार करोड़ रुपये व्यय होंगे। इन प्रीपेड स्मार्ट मीटर से बिजली लेने के लिए मोबाइल की तरह पहले रिचार्ज करना होगा।

पारदर्शी बिलिंग, मीटर रीडिंग प्रणाली में सुधार और सटीक ऊर्जा लेखांकन के लिए केंद्र सरकार की आरडीएसएस (पुनर्गठित वितरण क्षेत्र योजना) अंतर्गत स्मार्ट मीटर लगाने के कार्य किए जा रहे हैं। वितरण कंपनियों द्वारा संभाग, जिला व ब्लाक मुख्यालयों के शासकीय कार्यालयों में भी स्मार्ट मीटर लगाए जाएंगे।

45,191 शासकीय कार्यालयों में स्मार्ट मीटर लगाए जा चुके हैं

योजनांतर्गत प्रदेश में 45,191 शासकीय कार्यालयों के विद्युत कनेक्शनों पर स्मार्ट मीटर लगाए जा चुके हैं, जिसमें से 18,177 कनेक्शनों पर प्रीपेड बिलिंग की सुविधा शुरू हो गई है। वल्लभ भवन, सतपुड़ा और विंध्याचल भवन के अलावा प्रीपेड स्मार्ट मीटर मंत्रियों के बंगलों में भी लगेंगे।

छह-छह माह विद्युत बिल भुगतान लंबित रहता है

मप्र में कुल 413 नगर निकाय हैं। यहां छह -छह माह से विद्युत बिल भुगतान लंबित रहता है। कई बार तो साल भर का विद्युत बिल भुगतान न होने पर विद्युत वितरण कंपनियों को निकायों को नोटिस जारी करना पड़ता है। निकायों को विद्युत बिल भुगतान के लिए चुंगी क्षतिपूर्ति की राशि दी जाती है, लेकिन समय पर राशि न मिलने से कई बार बिल भुगतान लंबित रहता है।

निकायों के अलावा पंचायतों की भी यही स्थिति

निकायों के अलावा पंचायतों की भी यही स्थिति हैं। अब अगर समय पर बिल भुगतान नहीं किया तो विद्युत प्रवाह रोक दिया जाएगा। नगरीय विकास एवं आवास विभाग, महिला बाल विकास विभाग एवं पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग का लगभग 800 करोड़ रुपये का बकाया है। अन्य विभागों को मिलाकर कुल शासकीय विभाग का 1300 करोड़ रुपये का बिल भुगतान बकाया है।

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