₹वि उपाध्याय
बिहार में विधान सभा चुनाव के प्रथम चरण के मतदान में अब कुल 2 दिनों का समय बचा है। प्रथम चरण का मतदान 6 नवंबर को121 विधानसभा क्षेत्रों में होना है।4 नवंबर की शाम 5 बजे से अप्रत्यक्ष रूप से चुनाव प्रचार बंद हो जाएगा। दूसरे चरण का मतदान 122 विधानसभा क्षेत्रों के लिए 11 नवंबर को होगा । दूसरे चरण के मतदान के लिए 9 नवंबर को शाम 5 बजे के बाद चुनाव प्रचार बंद हो जाएगा।
इस बीच पूरे बिहार में यह सवाल उठ रहा है कि इस बार किस की जीत होगी सुराज की या सुरा राज की। बता दें कि बिहार में अप्रैल 2016 से शराबबंदी लागू है। नीतीश कुमार और एनडीए विधान सभा का विकास और सुशासन के नाम पर लड़ रहे हैं। परंतु पिछले करीब छह महीने से राज्य में जिस तरह से हिंसा और अपराध हो रहे हैं उससे एनडीए सरकार के सुशासन पर कई सवाल भी उठे हैं। जद यू के सूत्र बताते हैं कि हिंसा के पीछे विपक्ष खासतौर से राजद कांग्रेस का हाथ है।ताकि एनडीए के लालू प्रसाद यादव के समय के जंगलराज का काउंटर किया जा सके।
राजद और प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी ने हिंसा, पलायन के अलावा शराब बंदी को निशाने पर लिया है। ये दोनों पार्टियां बिहार से सरकार बनने के बाद पहली फुरसत में शराब बंदी हटाने का संकल्प कर चुकीं हैं। इनका तर्क यह कि सरकार के इस कदम से अवैध शराब के निर्माण और तस्करी को बढ़ावा दिया है। वे इसके लिए 2024 में जहरीली शराब पीने से हुईं 42 लोगों की मौत का हवाला देते हैं।
इन विधानसभा चुनावों में मुद्दे की बात की जाए तो चुनाव रणनीतिकार से नेता बने प्रशांत किशोर जन सुराज पार्टी का बेरोज़गारी, शिक्षा, भ्रष्टाचार, कानून व्यवस्था पलायन के अलावा जो मुख्य मुद्दा है वह मुद्दा है राज्य में शराबबंदी को समाप्त करना है। आप को बता दें कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार की जनता, खास तौर महिलाओं के अनुरोध पर तथा राज्य में अपराधों की बढ़ती संख्या को देखते हुए 26 नवंबर 2015 को बिहार में शराब बंदी की घोषणा की थी। बिहार में शराब बंदी 5 अप्रैल 2016 लागू हुई। जिस समय यह शराब बंदी लागू की गई उस समय नीतीश कुमार महागठबंधन की तरफ से मुख्यमंत्री और तब तेजस्वी यादव उप मुख्यमंत्री थे। उस समय शराब बंदी करने पर राष्ट्रीय जनता दल की सहमति थी।
शराब बंदी हटाने के विरोधी दलों की घोषणा के पीछे जनहित कम शराब माफिया का दवाब और उससे मिलने वाला आर्थिक लाभ प्रमुख नज़र आता है। इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि इन दलों को शराब माफिया की तरफ से फंडिंग भी की गई हो। देश की राजधानी में तत्कालीन आम आदमी पार्टी और उसके मुख्य मंत्री अरविंद केजरीवाल पर इसी तरह का मामला अदालतों में चल रहा है। वे इस मामले में जमानत पर बाहर हैं।
हाल ही में तेजस्वी यादव ने पत्रकारों से चर्चा के दौरान कहा कि सरकार बनने पर वे राज्य से शराब बंदी हटाने का काम करेंगे। हालांकि कांग्रेस ने इस मामले में चुप्पी साध रखी है। तेजस्वी यादव ने शराब बंदी हटाने की मुखर घोषणा इसलिए नहीं की है क्योंकि इससे बड़ी संख्या में महिला और कुछ पुरुष वोटर नाराज़ हो सकते हैं।
48 साल पहले हुई थी पहली शराब बंदी
बिहार में पहली शराब बंदी सन् 1977 में महात्मा गांधी के सच्चे अनुयाई, अति पिछड़े वर्ग के कर्पूरी ठाकुर के मुख्य मंत्रित्व काल में की गई थी। जनता पार्टी की उक्त सरकार में भारतीय जनसंघ भी शामिल थी। इस शराब बंदी की घोषणा से गरीब मजदूरों में खुशी की लहर दौड़ गई। लेकिन एक वर्ग सरकार का दुश्मन बन गया। उसने इसका तीव्र विरोध करते हुए अवैध शराब की तस्करी, बिक्री और निर्माण के आरोप लगाना शुरू कर दिया। कर्पूरी ठाकुर के इस फैसले के बाद शराब माफिया सक्रिय हो गया और अंततोगत्वा साजिशों के कारण ढाई साल के बाद 21 अप्रैल 1979 को उन्हें इस्तीफा देने का मजबूर किया गया। तत्कालीन विपक्ष ने उनकी सरकार के खिलाफ साजिशों की इंतहा कर दी थी।
प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी ने बिहार में शराब बंदी का मुखर विरोध कर के उसे हटाने के लिए अपनी पार्टी का चुनावी मुद्दा बनाया है। प्रशांत किशोर ने आरोप लगाया है कि शराबबंदी लागू होने के बाद बिहार में शराब की अवैध बिक्री तस्करी और इसके अवैध निर्माण बढ़ा है। उन्होंने इसे हटाने का मतदाताओं से वायदा किया है। प्रशांत किशोर ने कहा है कि यदि उनकी पार्टी सत्ता में आई तो सरकार गठन के बाद एक घंटे में शराब बंदी को समाप्त कर दिया जाएगा।
गांधी जी का अपमान
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी शराब को सबसे निकृष्ट मानते थे। उनका कहना था कि मैं शराब को चोरी और व्यभिचार से भी निकृष्ट मानता हूं। वे इसे अपराध ओर सभी सामाजिक बुराइयों की जननी के रुप में मानते थे। बापू चाहते थे कि सरकारों को दृढ़तापूर्वक शराब बंदी लागू करना चाहिए। लेकिन आज़ादी के बाद किसी भी राज्य और संघीय सरकार ने उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया।
जन सुराज पार्टी और गांधी
प्रशांत किशोर ने बिहार में अपनी जन सुराज पार्टी का जब गठन किया तो स्वयं को बाबा साहब और महात्मा गांधी का अनुयायी बताने के लिए पार्टी का जो लोगो बनवाया या रखा उसमें एक गोल घेरे में बाईं तरफ डॉ भीम राव अंबेडकर का चित्र रखा तो दाईं तरफ राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के चित्र को स्थान दिया। लेकिन बिहार चुनाव में प्रशांत किशोर ने जो अपना पहला चुनावी मुद्दा बनाया वह बिहार से शराब बंदी को ख़त्म करने का है। जबकि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी शराब के सख़्त खिलाफ थे और उस पर पूर्णरूप से प्रतिबंध लगाने के पक्षधर थे। प्रशांत किशोर के इस फैसले ने गांधी के शराब बंदी के सिद्धांत पर कालिख पोता कर गांधी को अपमानित किया है।
शराबियों के सहारे सत्ता की वैतरणी पार करने का सपना
इससे पता चलता है कि प्रशांत किशोर और उनकी जन सुराज पार्टी की महात्मा गांधी और उनके विचारों तथा सिद्धांतों के प्रति कितनी आस्था है। लगता है कि उन्होंने अपनी पार्टी के लोगो में इन दोनों महापुरुषों को इसलिए स्थान दिया ताकि इनके नाम पर गांधीवादियों और दलितों के वोट कबाड़े जा सकें। उन्हें उम्मीद है कि वे शराबियों के सहयोग से बिहार में सत्ता की वैतरणी पार कर सकेंगे।
बिहार में शराबियों की संख्या
एक सर्वेक्षण के अनुसार बिहार में सन् 2015- 16 के दौरान लगभग 29 फीसद लोग शराब का सेवन करते थे। इसी तरह राज्य शराब सेवा की लत की शिकार महिलाओं की संख्या क़रीब 1.1प्रतिशत था। बिहार में नीतीश कुमार द्वारा अप्रैल 2016 में शराब बंदी लागू करने के बाद पुरुष और महिलाओं में यह घट कर करीब 17 एवं 0.7 प्रतिशत रह गई।
अब बात पलायन की
राजनैतिक दलों ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में पलायन को भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा बनाते हुए सतारूढ़ गठबंधन में शामिल दलों को लपेटे में लिया है। देश के विभिन्न राज्यों में पलायन एक बड़ी समस्या है। बिहार इस मामले में देश भर में दूसरे नंबर पर है। श्रमिकों के पलायन की बात की जाए तो इसका मुख्य कारण राज्य में रोजगार की कमी तो है ही साथ ही इसका कारण कृषि श्रमिकों को अपने राज्यों में पूरे साल काम नहीं मिलना है। अधिकांश कृषि एक फ़सली है। खाली समय में श्रमिक रोजगार मजदूरी के लिए अन्यत्र राज्यों में चले जाते हैं। इसका जहां आर्थिक कारण तो है ही साथ ही एक तर्क पर्यटन भी है। इसे श्रमिक पर्यटन कहा जा सकता है। यह तभी होता है जब खेतों में फसल कट चुकी होती है और वर्षा काल में अपने राज्य में रोजगार नहीं मिल पाता है।
( लेखक राजनैतिक समीक्षक और एक व्यंग्यकार भी हैं। )
04112025

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