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राहत और उम्मीदें: अक्तूबर महीने में खुदरा महंगाई में रिकॉर्ड कमी, उपभोक्ताओं के लिए राहतRelief and hope: Retail inflation recorded a record low in October, bringing relief to consumers.

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार, अक्तूबर महीने में खुदरा महंगाई में रिकॉर्ड कमी उपभोक्ताओं के लिए राहत की खबर हो सकती है, तो यह केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति समिति के लिए दरों में कटौती का एक मजबूत अवसर भी प्रस्तुत करती है, बशर्ते वित्तीय वर्ष 2025-26 की दूसरी छमाही में आर्थिक वृद्धि कमजोर पड़ने के संकेत मिलें।गौरतलब है कि यह लगातार चौथा महीना है, जब खुदरा महंगाई दर केंद्रीय बैंक के मध्यम अवधि के लक्ष्य चार फीसदी से नीचे बनी हुई है। हालांकि, मौद्रिक नीति समिति की पिछली बैठक में अनुमान लगाया गया था कि वर्ष की अंतिम तिमाही में खुदरा महंगाई बढ़कर चार फीसदी और अगले वर्ष की पहली तिमाही में साढ़े चार फीसदी तक पहुंच सकती है।

 खुदरा महंगाई का अक्तूबर में घटकर 0.25 फीसदी पर आना कमजोर होती मांग का भी परिचायक हो सकता है, लेकिन फिलहाल ऐसा नहीं दिखता।केंद्रीय बैंक अपनी मौद्रिक नीति में प्रमुखता से खुदरा महंगाई दर का ध्यान रखता है। रिजर्व बैंक को महंगाई दर को चार फीसदी पर सुनिश्चित करने के निर्देश हैं, जिसमें दो फीसदी की घट-बढ़ हो सकती है। फिलहाल, खुदरा महंगाई में जो गिरावट दिख रही है, उसमें खाद्य मुद्रास्फीति, जो कुल उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) में करीब 46 फीसदी वजन रखती है, ने सबसे बड़ा योगदान दिया है। जीएसटी सुधारों से खाद्य और रोजमर्रा की वस्तुओं की कीमतों में कमी आई है। इसके अलावा, अनुकूल मौसम व बेहतर मानसून ने फसलों की पैदावार बढ़ाई है, जिससे आपूर्ति शृंखला मजबूत हुई है। वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतें स्थिर रहने से ईंधन मुद्रास्फीति भी कमोबेश स्थिर ही रही है। ये स्थितियां मांग पक्ष की स्थिरता को ही दर्शाती हैं। 

 दरअसल, निम्न खुदरा महंगाई अर्थव्यवस्था से संतुलन की मांग करती है। इसका सकारात्मक पक्ष यह है कि यह उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति और बचत की क्षमता को बढ़ाती है। लेकिन, लगातार कम होती मुद्रास्फीति अर्थव्यवस्था को मंदी की चपेट में भी धकेल सकती है। यहां केंद्रीय बैंक की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है। यह सुनिश्चित किया जाना जरूरी है कि महंगाई में कमी सिर्फ आंकड़ों में नहीं, बल्कि इसका फायदा बाजारों में आम लोगों को भी होता दिखे।अनुमान लगाया जा सकता है कि खुदरा महंगाई दर में रिकॉर्ड कमी के आंकड़े अगर ऐसे ही बने रहते हैं और विकास की गति भी बनी रहती है, तो दिसंबर में मौद्रिक नीति समिति की समीक्षा बैठक में ब्याज दरों में कुछ ढील देखने को मिल सकती है।

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