थॉमस एल फ्रीडमैन, द न्यूयॉर्क टाइम्स
पिछले कुछ वर्षों से मैं खुद से यह सवाल पूछ रहा हूं कि हम जिस युग में रहते हैं, उसे क्या कहें? मेरा जन्म शीतयुद्ध के दौर में हुआ था और मेरा अधिकांश कॅरिअर शीत युद्धोत्तर काल में बीता। यूक्रेन पर रूस के आक्रमण ने यूरोप के शीतयुद्ध और शीत युद्धोत्तर सुरक्षा ढांचे को तहस-नहस कर दिया, और फिर चीन का अमेरिका के एक सच्चे समकक्ष, आर्थिक और सैन्य प्रतिद्वंद्वी के रूप में उदय हुआ। माइक्रोसॉफ्ट में अनुसंधान और रणनीति के पूर्व प्रमुख क्रेग मुंडी ने मुझसे कहा कि आपको इस नए युग को पॉलीसीन नाम देना चाहिए। मुझे तुरंत लगा कि यह इस नए युग के लिए एकदम सही नाम है, जहां (स्मार्टफोन, कंप्यूटर और सर्वव्यापी कनेक्टिविटी की बदौलत) हर व्यक्ति और हर मशीन एक-दूसरे और इस ग्रह को पहले से अकल्पनीय गति और पैमाने पर प्रभावित कर सकते हैं।उसके कुछ दिनों बाद प्रसिद्ध पर्यावरण वैज्ञानिक जोहान रॉकस्ट्रॉम ने न्यूयॉर्क में जलवायु सप्ताह के दौरान सेमिनार करने के लिए मुझसे मदद मांगी। मैंने उनसे कहा कि मुझे खुशी होगी, लेकिन बात क्या है?
तो उन्होंने कहा, बात पॉलीक्राइसिस की है। 'पॉलीक्राइसिस' शब्द दशकों से प्रचलन में है, जिसका मतलब है कि कैसे एक संकट (जैसे कोविड या यूक्रेन युद्ध) दुनिया भर में कई संकटों को जन्म दे सकता है। दशकों से, जब भी हम जलवायु परिवर्तन के बारे में बात करते थे, तो कहानी सरल और द्विआधारी (बाइनरी) होती थी: अधिक तापमान बढ़ना बुरा, कम तापमान बढ़ना अच्छा। लेकिन अब जलवायु परिवर्तन के बारे में सोचने का एक अलग ही दौर आया है।रॉकस्ट्रॉम के अनुसार, जलवायु परिवर्तन एक चिंगारी बन जाता है, जो आपस में जुड़े संकटों को जन्म देता है, जिसके चलते आर्थिक झटके, बड़े पैमाने पर पलायन, कमजोर देशों का पतन और दुनिया भर में विश्वास का टूटना होता है। रॉकस्ट्रॉम और होमर-डिक्सन ने द न्यूयॉर्क टाइम्स में 13 नवंबर, 2022 को लिखा था कि दो कारक हमें इस दिशा में आगे बढ़ा रहे हैं। पहला, मानवता के संसाधन उपभोग और प्रदूषण उत्पादन की मात्रा प्राकृतिक प्रणालियों के लचीलेपन को कमजोर कर रही है
, जिससे जलवायु तापमान में वृद्धि, जैव विविधता में गिरावट और जूनोटिक वायरल प्रकोप (ऐसे संक्रमण जो जीवों से इन्सानों में फैलते हैं) का खतरा बढ़ रहा है, और दूसरा, हमारी आर्थिक और सामाजिक प्रणालियों के बीच बहुत अधिक कनेक्टिविटी का मतलब है कि एक देश या समुदाय में जो कुछ होता है, वह तुरंत दूसरे देशों में फैल सकता है।कहने की आवश्यकता नहीं है कि विखंडित होते राज्यों और विखंडित होते शीतयुद्ध गठबंधनों का यह संयोजन मिलकर भू-राजनीति में सामान्यतः कई देशों के साथ संबंधों को जन्म दे रहा है। जब मैंने 1978 में पत्रकारिता शुरू की थी, तब दुनिया मोटे तौर पर दो बाइनरी से परिभाषित होती थी—पूर्व-पश्चिम, साम्यवादी-पूंजीवादी, उत्तर-दक्षिण। उस समय ज्यादातर देश इन्हीं में से किसी एक समूह में फिट बैठते थे।आज, यह बदलते साझेदारों का एक खुला खेल बन गया है। ईरान, यूक्रेन के खिलाफ रूस से गठबंधन कर रहा है। चीन रूस और यूक्रेन दोनों को ड्रोन तकनीक दे रहा है। इस्राइल, मुस्लिम अजरबैजान बनाम ईसाई आर्मेनिया के साथ गठबंधन कर रहा है। राष्ट्रीय सुरक्षा विशेषज्ञ रॉबर्ट मुगा और मार्क मेडिश का कहना है,
'शक्ति का प्रसार केवल अमेरिका, यूरोप, चीन या रूस तक सीमित नहीं है। मझोले स्तर की शक्तियां (ब्राजील, भारत, तुर्किये, खाड़ी देश, दक्षिण अफ्रीका) वही कर रही हैं, जिसे अब राजनयिक 'बहुगठजोड़' कहते हैं। वे खुद को एक खेमे में बांधने के बजाय मुद्दों के आधार पर अपना राष्ट्रीय हित देखते हैं।'भारत एक तरफ जहां पश्चिमी देशों से निवेश एवं तकनीकी हस्तांतरण करता है, वहीं रियायती दरों पर रूसी तेल खरीदता है। आज युद्ध भी बहुत कम द्विआधारी रह गए हैं और अब हर जगह से हाइब्रिड हमले ज्यादा हो गए हैं, क्योंकि अग्रिम पंक्ति बहुपक्षीय हो गई है। पहले जो समुदाय कभी एक ही जातीयता या धर्म से परिभाषित होते थे, वे अब बहुभाषी, बहुवर्णी और बहुधार्मिक हो गए हैं।जब एडम स्मिथ ने 18वीं सदी में व्यापार के मूलभूत सिद्धांतों की व्याख्या की, तो उन्होंने द्विआधारी संबंधों की एक अपेक्षाकृत सरल दुनिया की कल्पना की। यह अंतर्दृष्टि क्रांतिकारी थी और आज भी हमारे इस विचार को रेखांकित करती है (राष्ट्रपति ट्रंप को छोड़कर) कि व्यापार दोनों पक्षों के लिए फायदेमंद हो सकता है
। लेकिन यदि स्मिथ अभी जीवित होते, तो वे न केवल अपने सिद्धांतों को अद्यतन करते, बल्कि उन्हें एक नई किताब भी लिखनी पड़ती।आज की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से स्पष्ट सीमाओं और आत्मनिर्भर उद्योगों वाले देशों के बीच अलग-अलग वस्तुओं के द्विपक्षीय व्यापार पर आधारित नहीं है। अब उत्पादों को एक देश में डिजाइन किया जाता है, कई अन्य देशों से घटक प्राप्त किए जाते हैं, एक अलग स्थान पर उनका निर्माण किया जाता है, उन्हें किसी अन्य देश में जोड़ा (एसेंबल किया) जाता है तथा किसी अन्य देश में उनका परीक्षण किया जाता है। आज दुनिया सहयोग के नेटवर्क पर चलती है, जो विश्वास पर आधारित है, न कि धौंस-धमकी पर। पॉलीसीन में सबसे अधिक अनुकूलनशील, लचीले और उत्पादक समुदाय वे होंगे, जो विभिन्न मुद्दों पर गतिशील गठबंधन बना सकते हैं, जिन्हें मैं जटिल अनुकूलनशील गठबंधन कहता हूं। तेजी से आगे बढ़ने और चीजें बनाने का यही एकमात्र तरीका है।व्यापार दार्शनिक और एचओड्बल्यू इंस्टीट्यूट फॉर सोसाइटी के संस्थापक डोव सीडमैन कहते हैं कि 'अंतर्निर्भरता अब हमारा चुनाव नहीं है। यह हमारी शर्त है।
या तो हम स्वस्थ अंतर्निर्भरताएं बनाएंगे और साथ मिलकर आगे बढ़ेंगे, या अस्वस्थ अंतर्निर्भरताएं झेलेंगे और साथ मिलकर पतन की ओर जाएंगे।' हम जिस भी रास्ते पर जाएंगे, हम वहां एक साथ ही जाएंगे। यह पॉलीसीन का अपरिहार्य सत्य है, भले ही वाशिंगटन, बीजिंग और मॉस्को के कई नेता अब भी इसे समझ नहीं पाए हैं। यह पहला युग होगा, जिसमें मानवता को फलने-फूलने के लिए ग्रह स्तर पर शासन करना, नवाचार करना, सहयोग करना और सह-अस्तित्व में रहना होगा। ऐसा करके ही हम कृत्रिम बुद्धिमत्ता से लेकर परमाणु ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन तक, हर चीज के सर्वोत्तम पहलुओं को पकड़ सकते हैं और सबसे बुरे पहलुओं को कम कर सकते हैं। इसके लिए सभी को, हर जगह, एक साथ मिलकर काम करना होगा।

Post a Comment