.पेशावर में हाल में हुआ हमला उस अराजकता का ताजा उदाहरण है, जिसमें पाकिस्तान डूबा हुआ है। लेकिन, ऐसा लगता है कि पाकिस्तानी नेतृत्व आग में और घी डाल रहा है। इस महीने की शुरुआत में वहां की संसद ने संवैधानिक संशोधन पर मुहर लगाकर फील्ड मार्शल असीम मुनीर को असीमित ताकत दे दी। उनको सशस्त्र बलों की सभी शाखाओं पर अधिकार और पूरी जिंदगी के लिए लीगल इम्युनिटी मिल चुकी है। चीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज के रूप में 5 साल भी फिक्स हो गए हैं।न्यायपालिका पर लगाम: 27वें संशोधन ने मुनीर को न्यायपालिका पर भी व्यापक नियंत्रण दे दिया है। नया Federal Constitutional Court संवैधानिक मामलों में सुप्रीम कोर्ट से भी ऊपर है। कार्यपालिका या सेना के अपनी सीमा लांघने की सूरत में न्यायपालिका कुछ नहीं कर सकती। कुल मिलाकर सेना को शासक और मुनीर को तानाशाह बना दिया गया है।
हार पर इनाम: आर्मी चीफ बनने के बाद से मुनीर ने विभिन्न संस्थाओं में दखल बढ़ाया, इमरान खान को जेल भेजा, चुनावों में धांधली कर शहबाज शरीफ को गद्दी तक पहुंचाया और मई 2023 व अक्टूबर 2024 के दो बड़े प्रदर्शनों को कुचला। वह ईरान, भारत और अफगानिस्तान के साथ संघर्ष में शामिल हुए। भारत से हार के बावजूद जीत का दावा किया और इसी आधार पर दो प्रमोशन ले लिए। कानूनों को बदलकर मुनीर ने बिना हथियारों की मदद के तख्तापलट कर दिया है। अब सेना की ताकत संविधान में भी दर्ज है और सरकार की भूमिका लगभग खत्म कर दी गई है। मुनीर के दिखाए रास्ते पर अब आने वाले जनरल भी चलेंगे।
आतंक को बढ़ावा: मुनीर की सत्ता पर मजबूती के बीच ही नवंबर में दिल्ली में ब्लास्ट हुआ, जिसमें जैश-ए-मोहम्मद के शामिल होने की आशंका है। वहीं, इस्लामाबाद में भी विस्फोट हुआ, जिसका ठीकरा TTP, अफगानिस्तान और भारत पर फोड़ा गया। इन घटनाओं ने पाकिस्तान में सेना को और ताकतवर बनाने की मांग को तेज कर दिया है। इससे पहले पहलगाम आतंकी हमले ने मुनीर की छवि को मजबूत किया। यह आतंकवाद को बढ़ावा देने वाली खतरनाक स्थिति है, जहां कोई आतंकी घटना भारत के साथ टकराव का कारण बन सकती है, लेकिन इससे पाकिस्तान में सेना की जरूरत भी बढ़ जाती है।
खतरनाक दौर: भारत, अफगानिस्तान और पूरे क्षेत्र के लिए यह स्थिति चिंता बढ़ाने वाली है। पाकिस्तान में अब ऐसा सैन्य नेतृत्व फैसला लेगा, जिस पर सरकार का नियंत्रण नहीं है। सारी ताकत एक शख्स के हाथ में है और कूटनीति के रास्ते संकरे होते जा रहे हैं। मुनीर पहले से ज्यादा जोखिम लेने को तैयार हैं। उन्हें उम्मीद है कि भारत के साथ टकराव होने पर कूटनीतिक समर्थन मिलेगा। चीन छिपकर उनका साथ दे सकता है। दक्षिण एशिया एक खतरनाक दौर में प्रवेश कर रहा है।

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