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NDA के पास महागठबंधन से ज्यादा यादव विधायक, SC-ST वर्ग में भी पैठ हुई मजबूत !NDA has more Yadav MLAs than the Grand Alliance, its penetration in SC-ST category has also strengthened!

 बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में एनडीए (NDA) को प्रचंड बहुमत हासिल हुआ। एनडीए जातिगत सोशल इंजीनियरिंग और योजनाओं के लाभार्थी वर्ग को साधकर बड़ी जीत हासिल की। वहां सीमांचल से लेकर कोसी और पूर्व बिहार तक जातिगत गठजोड़ में (Bihar Election Caste Wise Result) भारी बदलाव देखने को मिला। जहां एक तरफ जदयू का लव-कुश वोट बैंक पूरी तरह एकजुट रहा। वहीं दूसरी तरफ महागठबंधन का पारंपरिक M-Y (मुस्लिम–यादव) समीकरण कमजोर साबित हुआ। 


लव–कुश समीकरण मजबूत, NDA को मिला पूरा समर्थन 

जदयू का लव-कुश (कोइरी, कुर्मी और धानुक) वोट बैंक इस चुनाव में पूरी तरह एकजुट रहा। इसके साथ ही वैश्य, सवर्ण, तथा छोटी जनसंख्या वाली जातियों ने भाजपा के नेतृत्व में एनडीए को मजबूती दी। वहीं यादवों का समर्थन महागठबंधन से ज्यादा एनडीए को मिला। अनुसूचित जाति के मतदाताओं ने इस बार बड़ी संख्या में एनडीए को समर्थन दिया। सुरक्षित सीटों पर एनडीए के बेहतर प्रदर्शन ने यह साफ कर दिया कि SC/ST समुदाय में भी एनडीए की पैठ मजबूत हुई है। 

यादव वोट बंटे, M-Y समीकरण टूटा 

राजद द्वारा सबसे अधिक टिकट यादव और मुस्लिम उम्मीदवारों को दिए जाने के बावजूद M-Y समीकरण बच नहीं सका। कोसी क्षेत्र में एनडीए के यादव प्रत्याशी, महागठबंधन के यादव प्रत्याशियों पर भारी पड़े। सीमांचल में मुस्लिम वोटों का बड़ा हिस्सा ओवैसी की पार्टी AIMIM की ओर चला गया। 

EBC (अति पिछड़ा वर्ग) ने बड़ा रोल निभाया 

EBC वोट बैंक, जो लंबे समय से नीतीश कुमार का मजबूत आधार रहा है, इस बार भी एनडीए के साथ खड़ा रहा। कांग्रेस और महागठबंधन के EBC और OBC को लुभाने के प्रयास बेअसर साबित हुए। कुशवाहा वोट बैंक में सेंधमारी के लिए महागठबंधन ने कई कुशवाहा नेताओं को पार्टी में शामिल करा कर उन्हें टिकट दे दिया, लेकिन उन्हें हार मिली। इनमें पूर्व सांसद संतोष कुशवाहा, रेणु कुशवाहा, वैद्यनाथ मेहता, जितेंद्र सिंह जैसे दिग्गज नेता सम्मिलि रहे। वहीं, सुरक्षित श्रेणी की अधिसंख्य सीटें जीतकर एनडीए ने बता दिया कि अनुसूचित जाति-जनजाति के बीच भी उसकी पैठ अपेक्षाकृत अधिक है।

कुशवाहा वोट बैंक में घुसपैठ की कोशिश नाकाम 

महागठबंधन ने कई कुशवाहा नेताओं को टिकट देकर इस वोट बैंक में सेंध लगाने की रणनीति बनाई, लेकिन पूर्व सांसद संतोष कुशवाहा, रेणु कुशवाहा, वैद्यनाथ मेहता, जितेंद्र सिंह जैसे बड़े चेहरे भी जीत हासिल नहीं कर पाए।

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