मध्य प्रदेश में फर्जी डी.एड. मार्कशीट के सहारे सरकारी शिक्षक की नौकरी पाने वाले गिरोह पर एसटीएफ ने शिकंजा कसा है. शिक्षा विभाग से मिली जानकारी के बाद एसटीएफ ने मामला दर्ज करते हुए जांच तेज कर दी है. शुरुआती जांच में सामने आया है कि कई जिलों में फर्जी और कूटरचित मार्कशीट का इस्तेमाल कर सरकारी हासिल की गई.
एसटीएफ की विशेष टीम ने गोपनीय सत्यापन के दौरान 24 संदिग्ध व्यक्तियों की जांच की, जिसमें सामने आया कि जारी मार्कशीट किसी भी वास्तविक अभ्यर्थी को नहीं दी गई थीं. इसी जांच में आठ सरकारी शिक्षक फर्जी डी.एड. मार्कशीट के आधार पर नियुक्त पाए गए. इनमें गर्वध रावत, साहब सिंह कुशवाह, बृजेश रोऱिया, महेंद्र सिंह रावत, लोकेंद्र सिंह, रुचि कुशवाहा, रविंद्र सिंह राणा और अर्जुन सिंह चौहान के नाम शामिल हैं. एसटीएफ ने इन सभी के खिलाफ मामला दर्ज किया है.
कई जिलों में छानबीन जारी
जांच में यह भी सामने आया है कि फर्जी मार्कशीट तैयार कर सरकारी नौकरी दिलाने में एक संगठित गिरोह सक्रिय था. ग्वालियर, इंदौर, भिंड, शिवपुरी सहित कई जिलों में इन शिक्षकों की तैनाती मिली है. एसटीएफ अब पूरे नेटवर्क की पड़ताल कर रही है और अधिकारियों का कहना है कि जल्द और भी नाम सामने आ सकते हैं. पुलिस महानिदेशक के निर्देश पर एसटीएफ पूरे मामले की गहराई से जांच कर रही है और साफ है कि सरकारी नौकरी में फर्जीवाड़ा करने वालों को किसी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा.
26 साल तक की नौकरी
वहीं इस मामले को लेकर STF चीफ राजेश दंडोतिया ने कहा कि ये घोटाला एक संगठित घोटाला है. 1996 में फर्जी डिग्री के आधार पर सरकार नौकरी ली गई. ये पूरी तरह से फर्जी है. इसमें अब तक 34 आरोपी नामजद सामने आ चुके हैं. ये आंकड़ा और भी बढ़ सकता है. वहीं हम कोर्ट में ये बात रखेंगे की इन आरोपियों से 26 वर्षों के जो सैलरी मिली उसकी रिकवरी भी की जाए. STF पूरे प्रदेश में इस मामले की जांच कर रही है.

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