प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को देश को एक बड़ी जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि उनकी सरकार न्यूक्लियर सेक्टर को भी प्राइवेट कंपनियों के लिए खोलने की दिशा में काम कर रही है, ठीक उसी तरह जैसे स्पेस सेक्टर में किया गया है। यह कदम भारत की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करेगा और देश को तकनीकी नेतृत्व में आगे बढ़ाएगा। यह घोषणा संसद के शीतकालीन सत्र से पहले आई है, जहां परमाणु ऊर्जा से जुड़े कानूनों में संशोधन पेश किए जाएंगे।
हैदराबाद में निजी अंतरिक्ष फर्म स्काईरूट के 'इनफिनिटी कैंपस' का उद्घाटन करते हुए, पीएम मोदी ने कहा कि सुधारों का दायरा लगातार बढ़ रहा है। उन्होंने बताया, 'परमाणु क्षेत्र में निजी क्षेत्र की मजबूत भूमिका तय की जा रही है, जिससे छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर, एडवांस्ड रिएक्टर और इनोवेशन में अवसर पैदा होंगे। यह सुधार भारत की ऊर्जा सुरक्षा और तकनीकी नेतृत्व को नई ताकत देगा।' यह कदम भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि देश ने 2047 तक कम से कम 100 गीगावाट (GW) परमाणु ऊर्जा पैदा करने का लक्ष्य रखा है।
अभी क्या स्थिति है?
वर्तमान में, परमाणु ऊर्जा अधिनियम निजी कंपनियों या राज्य सरकारों को इस क्षेत्र में भाग लेने से रोकता है। इस कानून के तहत न्यूक्लियर एनर्जी प्लांट चलाने का अधिकार केवल केंद्र सरकार और उसकी ओर से स्थापित कंपनियों के पास है। परमाणु ऊर्जा निगम (NPCIL), परमाणु ऊर्जा विभाग के अधीन एक सरकारी कंपनी है, अभी यही कंपनी ही देश में परमाणु ऊर्जा संयंत्रों का संचालन करती है।
वर्तमान में, देश के सभी 24 वाणिज्यिक परमाणु रिएक्टर इसी कंपनी के अधीन हैं। इस बदलाव के लिए कानूनों में बदलाव की तैयारी चल रही है। परमाणु ऊर्जा अधिनियम में संशोधन के साथ-साथ, 'सिविल लायबिलिटी फॉर न्यूक्लियर डैमेज एक्ट (CLNDA), 2010' में भी बदलाव की योजना है। ये संशोधन परमाणु क्षेत्र में बड़े सुधार लाएंगे।

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