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जानिए उन बेटियों की कहानी जिन्होंने देश को पहली बार खिताब दिलाया; वो आईं, लड़ीं और इतिहास रच दियाLearn the story of the daughters who brought the country its first title; they came, fought, and made history.

 भारत की महिला टीम इतिहास रच दिया है। टीम इंडिया ने महिला वनडे विश्व कप 2025 के फाइनल में द. अफ्रीका को 52 रन से हरा दिया। और 52 साल के महिला वनडे विश्व कप के इतिहास में पहली बार खिताब जीता। इस टीम ने मेहनत, जज्बे और विश्वास से वो मुकाम छू लिया है, जिसका सपना करोड़ों भारतीयों ने देखा था। मंधाना की चमक से लेकर रेणुका की रफ्तार तक, हर खिलाड़ी की अपनी एक कहानी है, जो संघर्ष, हिम्मत और उम्मीदों से बुनी गई है। आइए जीत की नायिका 11 खिलाड़ियों के बारे में जानते हैं.


स्मृति मंधाना – भारतीय बल्लेबाजी की खूबसूरत तस्वीरमहाराष्ट्र के सांगली की रहने वाली स्मृति मंधाना बचपन से ही लड़कों के साथ खेलती थीं। पिता और भाई दोनों क्लब क्रिकेटर थे। उनके बल्ले की टाइमिंग और शॉट सेलेक्शन ने उन्हें भारतीय टीम की सबसे भरोसेमंद खिलाड़ी बना दिया। मंधाना ने कई बार टीम को मुश्किल हालात से बाहर निकाला है और आज वो महिला क्रिकेट की ग्लोबल आइकन हैं।

स्मृति मंधाना – भारतीय बल्लेबाजी की खूबसूरत तस्वीरमहाराष्ट्र के सांगली की रहने वाली स्मृति मंधाना बचपन से ही लड़कों के साथ खेलती थीं। पिता और भाई दोनों क्लब क्रिकेटर थे। उनके बल्ले की टाइमिंग और शॉट सेलेक्शन ने उन्हें भारतीय टीम की सबसे भरोसेमंद खिलाड़ी बना दिया। मंधाना ने कई बार टीम को मुश्किल हालात से बाहर निकाला है और आज वो महिला क्रिकेट की ग्लोबल आइकन हैं।

जेमिमा रॉड्रिग्स – मुंबई की स्ट्रीट क्रिकेटर से विश्व कप स्टार तकमुंबई की जेमिमा रॉड्रिग्स एक चर्च संगीतकार परिवार से आती हैं। पिता स्कूल में कोच हैं। पढ़ाई, म्यूजिक और क्रिकेट, तीनों में निपुण जेमिमा की मुस्कान जितनी प्यारी है, उतनी ही खतरनाक है उनकी बल्लेबाजी। सेमीफाइनल में उनकी शतकीय पारी भारत की यादगार जीत की वजह बनी।

हरमनप्रीत कौर – कप्तान, योद्धा और प्रेरणामोगा (पंजाब) की हरमनप्रीत कौर भारतीय महिला क्रिकेट की धड़कन हैं। 2017 विश्व कप में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उनकी 171* रनों की पारी ने उन्हें ‘लेडी धोनी’ बना दिया। वह मैदान पर आक्रामक हैं, लेकिन टीम के लिए मां जैसी हैं। उनके नेतृत्व में टीम आज विश्व कप चैंपियन बन चुकी है। हरमनप्रीत विश्व कप उठाने वाली भारत की पहली कप्तान हैं।

अमनजोत कौर – छोटे शहर से बड़ा सपनामोहाली की रहने वाली अमनजोत ने पंजाब के संगरूर जिले से क्रिकेट का सफर शुरू किया। घर की आर्थिक स्थिति कमजोर थी, लेकिन पिता की हिम्मत ने उन्हें आगे बढ़ाया। अब वे भारत की मिडिल ऑर्डर की मजबूती हैं और अपनी सटीक स्ट्रोक्स से गेम बदलने की काबिलियत रखती हैं।

दीप्ति शर्मा – शांत स्वभाव, घातक ऑलराउंडरउत्तर प्रदेश के सहारनपुर की दीप्ति शर्मा टीम की सबसे भरोसेमंद ऑलराउंडर हैं। उन्होंने अपने भाई के साथ अभ्यास करते हुए क्रिकेट सीखा। उनका धैर्य और गेंदबाजी में नियंत्रण भारत की जीत का बड़ा हथियार है। फाइनल में पांच विकेट लेकर उन्होंने मैच पलट दिया और टीम इंडिया को चैंपियन बनाया।

ऋचा घोष – आक्रामक विकेटकीपर-बल्लेबाजपश्चिम बंगाल की ऋचा घोष मैदान पर जोश की प्रतीक हैं। पिता खुद क्रिकेट कोच हैं। 16 साल की उम्र में उन्होंने भारत के लिए खेलना शुरू किया। उनकी हिटिंग क्षमता और विकेट के पीछे फुर्ती ने उन्हें टीम का अपरिहार्य हिस्सा बना दिया है।

राधा यादव – मुंबई की गलियों से विश्व मंच तकमुंबई की धारावी झुग्गियों से निकलकर राधा यादव ने ऐसा सफर तय किया, जो प्रेरणा बन गया। बाएं हाथ की यह स्पिनर अपनी विविधता से किसी भी बल्लेबाज को उलझा देती हैं। बचपन में दूध बेचने वाले परिवार की बेटी आज करोड़ों दिलों की प्रेरणा है।

क्रांति गौड़ – जज्बे की मिसालमध्य प्रदेश की क्रांति गौड़ कभी नेट बॉलर थीं। पिता की नौकरी छूटने के बाद घर चलाना मुश्किल था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। आज वही क्रांति भारत की तेज गेंदबाजी की नई पहचान हैं और गरीब परिवार की उम्मीद की मिसाल भी।

श्री चरणी – आंध्र की उभरती सनसनीआंध्र प्रदेश के कडप्पा जिले से आने वाली श्री चरणी ने खो-खो और बैडमिंटन खेलते हुए क्रिकेट को अपनाया। गांव की धूल भरी पिच से अब विश्व कप फाइनल तक, उनका सफर अद्भुत रहा है। उन्होंने WPL में अपनी प्रतिभा से सबको चौंकाया और अब देश के लिए खेल रही हैं।

रेणुका ठाकुर – हिमाचल की शेरनीहिमाचल के छोटे से गाँव पार्सा की रेणुका ठाकुर की कहानी संघर्ष और समर्पण की मिसाल है। पिता की मौत के बाद माँ ने उन्हें अकेले पाला। एचपीसीए अकादमी में ट्रेनिंग लेकर उन्होंने तेज गेंदबाजी को अपना हथियार बनाया और अब भारत की पेस अटैक की रीढ़ हैं।

भारत की 11 बेटियां, जिन्होंने मेहनत से अपनी तकदीर लिखी है। इन बेटियों ने इतिहास रच दिया है और साबित कर दिया है- जब बेटियां खेलती हैं, तो देश जीतता है। इसमें प्रतिका रावल का नाम न जोड़ना नाइंसाफी होगी। भारतीय टीम के सेमीफाइनल में पहुंचने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई। उनका फॉर्म शानदार रहा।

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