भारतीय और अमेरिकी वैज्ञानिकों ने इंटरस्टेलर वस्तु 3I/ATLAS की ताजा तस्वीरें जारी की हैं। इसी के साथ वैज्ञानिकों ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि यह एक सामान्य धूमकेतु है, न कि कोई ‘एलियन स्पेसशिप’। इससे पहले कुछ खगोलविदों ने अनुमान लगाया था कि ये चमकती चीज एलियन का जहाज हो सकती है। अहमदाबाद स्थित फिजिकल रिसर्च लेबोरेटरी (PRL) के वैज्ञानिकों ने 12 से 15 नवंबर के बीच इस इंटरस्टेलर धूमकेतु का अवलोकन किया और इसकी खास तस्वीरें कैद कीं। इसी के साथ बुधवार को नासा ने भी 3I/ATLAS की नई तस्वीरें जारी कीं और विदेशी जीवन की किसी भी संभावना को पूरी तरह से खारिज कर दिया।
माउंट आबू से मिली स्पष्ट झलक
इसरो के अनुसार, PRL के वैज्ञानिकों ने माउंट आबू में 1.2-मीटर टेलीस्कोप (ऊंचाई 1680 मीटर) की मदद से 3I/ATLAS को इमेजिंग और स्पेक्ट्रोस्कोपिक मोड में देखा। तस्वीरों में धूमकेतु का एक लगभग गोलाकार कोमा (coma) दिखाई देता है। कोमा वह चमकीला वातावरण है जो धूमकेतु के नाभिक के आसपास बनता है, जब सूर्य की गर्मी से उसकी बर्फीली सतह गैस और धूल में बदलकर फैलने लगती है। वैज्ञानिकों ने धूमकेतु के प्रकाश का स्पेक्ट्रम भी रिकॉर्ड किया है। इसमें CN, C2 और C3 जैसे उत्सर्जन बैंड मिले हैं, जो सामान्य सौरमंडलीय धूमकेतुओं में देखे जाते हैं।
नासा: कोई तकनीकी संकेत नहीं, यह केवल धूमकेतु है
नासा की विज्ञान मिशन निदेशालय की एसोसिएट एडमिनिस्ट्रेटर निकोल फॉक्स ने कहा कि यह बिल्कुल धूमकेतु जैसा ही व्यवहार कर रहा है। हमें अब तक कोई भी ऐसा तकनीकी संकेत नहीं मिला जो यह सुझाए कि यह किसी एलियन जहाज का हिस्सा है। उन्होंने इसे हमारे सौरमंडल का 'दोस्ताना मेहमान' कहा।
नासा के एसोसिएट एडमिनिस्ट्रेटर अमित क्षत्रिया ने भी पुष्टि करते हुए कहा कि यह दिखने और व्यवहार, दोनों में एक धूमकेतु है। सभी वैज्ञानिक साक्ष्य इसी ओर इशारा करते हैं। नासा ने बताया कि 3I/ATLAS का अध्ययन हबल, जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप, तथा मंगल की कक्षा में घूम रहे सैटेलाइट सहित एक दर्जन से अधिक वैज्ञानिक प्लेटफॉर्म पर किया गया है।
धूमकेतु की गैस उत्पादन दर भी ‘सामान्य’
PRL के विश्लेषण के अनुसार, 3I/ATLAS में प्रमुख गैसीय उत्सर्जनों की उत्पादन गति लगभग 10²⁵ अणु/सेकंड रही, जो इसे सौरमंडल के ‘टिपिकल धूमकेतुओं’ की श्रेणी में रखती है। 3I/ATLAS फिलहाल भीतरी सौरमंडल को छोड़कर बाहर की ओर बढ़ रहा है। भारतीय वैज्ञानिकों ने बताया कि जैसे-जैसे यह रात्रि आकाश के गहरे हिस्से में पहुंचेगा, इसके और अवलोकन किए जाएंगे।

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