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छात्रों के आत्महत्या करने के मामले में मध्य प्रदेश में इंदौर पहले और भोपाल दूसरे नंबर परIndore is at first place and Bhopal is at second place in Madhya Pradesh in terms of student suicides.

 इंदौर: देशभर में स्वच्छता में पहले स्थान पर आने वाला इंदौर लोगों में बढ़ते तनाव को कम करने में काफी पीछे है। खासकर विद्यार्थियों में तनाव बढ़ता जा रहा है, जिसके कारण वह आत्महत्या कर रहे हैं। इंदौर के कोचिंग संस्थानों (Coaching institutes) में पढ़ने वाले 20 से अधिक विद्यार्थी हर वर्ष तनाव में आत्महत्या कर रहे हैं। सबसे अधिक तनाव नीट(NEET) और जेईई (JEE) की तैयारी कर रहे विद्यार्थियों में है।


आत्महत्या की दर ने सरकार की चिंता बढ़ाई

विद्यार्थियों में बढ़ रही आत्महत्या की दर ने सरकार की भी चिंता बढ़ा दी है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) 2023 की रिपोर्ट बताती है कि 2023 में देशभर में 15 हजार से अधिक बच्चों ने आत्महत्या की है। 1668 मामलों के साथ मध्य प्रदेश देश में दूसरे नंबर (महाराष्ट्र के बाद) पर है। वहीं प्रदेश में भी इंदौर पहले और भोपाल जिला दूसरे स्थान पर है।

एक्शन में सरकार, एसटीएफ का गठन

मानसिक स्वास्थ्य में सुधार के लिए एसटीएफ का गठन सरकार ने बच्चों को आत्मघात से बचाने की जिम्मेदारी शिक्षकों-अफसरों को सौंपी है। उच्चशिक्षा विभाग ने अभिनव प्रयोग करते हुए स्टेट टास्क फोर्स (एसटीएफ) का गठन किया है। यह बल सभी विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों और कोचिंग संस्थानों में मानसिक स्वास्थ्य संबंधी उपायों की निगरानी और सुधार की रूपरेखा तय करेगा।

शैक्षणिक संस्थानों में नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए हैं। कॉलेजों में काउंसलिंग कार्यक्रम शुरू किया जा रहा है। एसटीएफ में स्कूल शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, चिकित्सा शिक्षा, स्वास्थ्य, पुलिस, बाल सुरक्षा, सामाजिक न्याय तथा नगरीय प्रशासन विभागों के प्रतिनिधियों को भी शामिल किया गया है।

इंदौर में पांच हजार से अधिक कोचिंग

इंदौर प्रदेश का कोचिंग हब है। यहां पांच हजार से अधिक कोचिंग संस्थान संचालित होते हैं। इसमें से 200 से अधिक नीट, जेईई और आईआईटी (IIT) की तैयारी की कोचिंग है। भंवरकुआं, गीताभवन, पलासिया, विजय नगर आदि क्षेत्रों में बड़ी संख्या में कोचिंग संस्थान हैं। यहीं सबसे अधिक विद्यार्थी रहते भी हैं। इंदौर में आसपास के जिलों से बड़ी संख्या में विद्यार्थी पढ़ाई के लिए आते हैं।

पढ़ाई का दबाव बना जानलेवा

केस 1ः फरवरी 2025 में भंवरकुआं थाना क्षेत्र में नीट की परीक्षा में चयन न होने से परेशान छात्रा ने फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली थी। छात्रा का नाम गारगी सुमन (23) निवासी श्रीराम नगर पालदा था। गारगी कई वर्षों से नीट की तैयारी कर रही थी। दो बार कम अंक आने के कारण वह सफल नहीं हो सकी। इसके बाद उसने बैंक की परीक्षा की तैयारी की, लेकिन इसमें भी वह सफल नहीं हो सकी।

केस 2ः वर्ष 2024 में भंवरकुआं क्षेत्र में एक छात्र ने नोट लिखा कि मैं जीवन में सफल नहीं हो पाया और आत्महत्या कर ली। छात्र नीट की तैयारी कर रहा था। मूलरूप से शिवनी जिले का रहने वाला था।

केस 3ः फरवरी 2024 में 20 वर्षीय आर्यन तिवारी ने फांसी लगा ली थी। वह मूलरूप से हुजूर (रीवा) का रहने वाला था। इंदौर रहकर वह नीट की तैयारी कर रहा था।

केस 4ः मई 2025 में नर्सिंग की छात्रा आशा कानूनगो (25) ने आत्महत्या कर ली। वह मूलरूप से सिवनी की रहने वाली थी। उसकी दीवार पर कई नोट चिपके हुए थे। उनमें लिखा था कि वह सरकारी नर्स नहीं बन सकती और डिप्रेशन में है।

केस 5ः मई 2025 में संयोगितागंज थाना क्षेत्र में नर्स यास्मित्रा ने आत्महत्या की। वह निजी मेडिकल कॉलेज में आगे की पढ़ाई कर रही थी। आशंका जताई गई थी कि पढ़ाई के दबाव के चलते यह कदम उठाया है।

विशेषज्ञ ने बताया क्या करें माता-पिता

मनोचिकित्सक डॉ. राहुल माथुर ने बताया कि अब बच्चों में तनाव सहने की क्षमता कम हो गई है। पढ़ाई का तनाव इतना अधिक ले लेते हैं कि आत्महत्या जैसे कदम उठाते हैं। माता-पिता को ध्यान रखना चाहिए कि वह बच्चों से उम्मीद रखने के बजाय उनके सहायक की भूमिका निभाएं। उनसे खुलकर बात करें।

यदि बच्चा कई दिनों से चुपचाप है, अकेला रहने लगा है, रात में जल्दी नहीं सो रहा है, तो हमें इन लक्षणों को पहचानकर विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए। बच्चों को यह लगता है कि परीक्षा में फेल हो गया तो क्या होगा। उन्हें यह समझना होगा कि जो व्यक्ति परीक्षा में सफल नहीं हो पाते हैं, वह भी आगे बढ़ते हैं।

विद्यार्थियों में इन लक्षणों को पहचानें

बार-बार दुखी रहना

रोना या जीवन निरर्थक लगना

पढ़ाई, दोस्तों या पसंद की चीजों में अचानक रुचि कम होना

अकेला रहना या लोगों से दूरी बनाना

बार-बार थक गया हूं… जीने का मन नहीं करता… जैसे वाक्य कहना

खाना, नींद या दिनचर्या में बदलाव होना

पढ़ाई में बार-बार गलती होना

नींद में गड़बड़ी, कम सोना या बहुत ज्यादा सोना

छोटी-छोटी बातों पर घबराहट या डर लगना।

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