वैश्विक अंतरिक्ष सेक्टर में भारत बड़ी शक्ति के तौर पर उभर रहा है। अंतरिक्ष सेक्टर का भारतीय इकोनमी में हिस्सेदारी लगातार बढ़ रही है। अभी यह हिस्सेदारी सात अरब डालर है जो अगले एक दशक में 44-45 अरब डालर तक हो जाएगी।बातें विज्ञान व प्रौद्योगिकी और अंतरिक्ष विभाग के राज्य मंत्री डा. जितेंद्र सिंह ने भारतीय अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष कानक्लेव (आइआइएससी-2025) के उद्घाटन सत्र में कहीं। उन्होंने कहा, सरकार ने पिछले पांच वर्षों में अंतरिक्ष सेक्टर में जिस तरह के सुधार किए हैं, उसे और आगे बढ़ाया जाएगा।
अंतरिक्ष सिर्फ वैज्ञानिक क्षेत्र नहीं रहा, यह भारत की आर्थिक वृद्धि का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है। हमारे 70 प्रतिशत अंतरिक्ष अनुप्रयोग आम नागरिक की सुगमता और जीवन स्तर सुधारने के लिए हैं।कार्यक्रम को कई देशों के राजनयिकों ने भी संबोधित किया और भारत के साथ अंतरिक्ष सेक्टर में सहयोग करने पेशकश की।
इटली के राजदूत एंटोनियो बार्टोली ने भारत की अंतरिक्ष प्रगति की सराहना करते हुए द्विपक्षीय सहयोग को और मजबूत करने की इच्छा जताई। बार्टोली ने कहा, भारत और इटली के बीच अंतरिक्ष सेक्टर में पहले से ही सहयोग है, लेकिन दोनों देश में इस सेक्टर के उद्योगों को आपस में जोड़ने के लिए काफी कुछ करने की जरुरत है।जापान के उप-राजदूत ताकाशी अरियोशी ने चंद्र मिशन और जलवायु परियोजनाओं में दोनों देशों की साझेदारी को सराहा। इन-स्पेस के चेयरमैन डा. पवन गोयनका ने कहा कि निजी क्षेत्र भारी निवेश कर रहा है। सफलता तभी मिलेगी जब हम बड़े सपने देखें, कोई शार्टकट न लें और सहयोग बढ़ाएं।

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