प्रणव बजाज
भारत दुनिया का तीसरा सबसे शक्तिशाली देश बन गया है. एशिया पावर इंडेक्स 2025 ने अपनी रिपोर्ट में इसका उल्लेख किया है. अमेरिका और चीन ही भारत से अधिक पावरफुल हैं. इस इंडेक्स में जिसे भी 40 या उससे अधिक अंक मिलते हैं, वह पावरफुल देशों की सूची में शामिल हो जाता है. इसमें इस समय मात्र तीन देश हैं, ये हैं - अमेरिका, चीन और भारत. अमेरिका को 80.4 और चीन को 73.7 अंक हासिल हुए हैं.
एशिया पावर इंडेक्स ने 2018 में ऐसी सूची बनाने की शुरुआत की थी. इसे लोवी इंस्टीट्यूट ने प्रमोट किया. यह एशिया के प्रमुख देशों के शक्ति वितरण का मानचित्रण करती है और समय के साथ शक्ति संतुलन में हो रहे बदलावों पर भी नजर रखती है. इसने 27 देशों की सैन्य, आर्थिक, कूटनीतिक और सांस्कृतिक प्रभावशीलता का विस्तृत आकलन पेश करने के बाद रैंकिंग तय की है.
सूचकांक 27 देशों और क्षेत्रों को उनके एक्सटर्नल एनवायरमेंट को शेप देने की उनकी क्षमता के आधार पर रैंक करता है. इसका दायरा पश्चिम में पाकिस्तान, उत्तर में रूस और प्रशांत महासागर में ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और संयुक्त राज्य अमेरिका तक फैला हुआ है.
2025 का संस्करण एशिया में शक्ति के बदलते डिस्ट्रीब्यूशन का अब तक का सबसे व्यापक मूल्यांकन है. इसमें कूटनीति और विदेश नीति के विशेषज्ञों के एक सर्वेक्षण के परिणामों के आधार पर, सूचकांक देशों की आर्थिक स्थिति की तुलना की गई है. यह एक नया संकेतक है.
यह आठ थीमेटिक मेजर्स पर आधारित 131 संकेतकों के माध्यम से एशिया में अंतरराष्ट्रीय शक्ति का मूल्यांकन करती है. इनमें सैन्य क्षमता, रक्षा नेटवर्क, आर्थिक क्षमता, संबंध, कूटनीतिक, सांस्कृतिक प्रभाव, लचीलापन और भविष्य के संसाधन शामिल है. आधे से ज्यादा डेटा बिंदु मूल लोवी संस्थान के शोध से संबंधित हैं, जबकि बाकी सैकड़ों सार्वजनिक रूप से उपलब्ध राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्रोतों से एकत्रित किए गए हैं.
सूचकांक ने किन-किन बिंदुओं को लेकर रेखांकित किया है, इस पर एक नजर डालते हैं.
ट्रंप प्रशासन के आने के बाद अमेरिका लगातार अपनी महत्ता खो रहा है. उसकी साख को धक्का लगा है. हालांकि, इसका वास्तविक असर कितना हुआ है, इसका आकलन आने वाले समयों में ही किया जा सकता है. ट्रंप प्रशासन की नीतियां एशिया में अमेरिकी शक्ति के लिए कुल मिलाकर नकारात्मक रही हैं.
अमेरिका की छवि धूमिल होने की वजह से सबसे अधिक फायदा चीन को मिला है. चीन अमेरिका की दबावपूर्ण आर्थिक नीतियों का सामना करने की अच्छी स्थिति में है. एशिया के प्रति अमेरिकी दृष्टिकोण को लेकर अनिश्चितता के बीच यह खुद को एक विश्वसनीय साझेदार के रूप में सफलतापूर्वक स्थापित कर रहा है.
इस सूची में भारत की सबसे अधिक सराहना की गई है. इसने भारत को प्रमुख शक्ति वाला देश बताया है. रिपोर्ट के अनुसार भारत की शक्ति लगातार बढ़ती जा रही है. हालांकि, इसने यह भी कहा कि भारत अपने संसाधनों की क्षमता के हिसाब से काफी नीचे है. यानी उनमें अभी बहुत सारी संभावनाएं बची हुई हैं.
रूस का फिर से उत्थान हो रहा है. यूक्रेन युद्ध के बावजूद उसका दबदबा बढ़ा है. इसकी वजह है- चीन और उत्तर कोरिया का साथ मिलना. इन दोनों देशों ने रूस का खुलकर साथ दिया है.
जहां तक जापान की बात है, तो उसकी शक्ति पहले की तरह है. उसकी शक्ति न तो घटी है और न ही बढ़ी है. लेकिन, टोक्यो में नेतृत्व परिवर्तन के कारण इंडो-पेसिफिक क्षेत्र में एक शक्ति के रूप में इसकी प्रतिष्ठा कम हुई है.
एशिया में जापान की शक्ति 2025 में स्थिर रही, जो संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन और भारत के बाद चौथे स्थान पर रही है. प्रमुख शक्ति के लिए सूचकांक द्वारा निर्धारित 40 अंकों की सीमा से थोड़ा नीचे रही.
2025 में विदेश नीति के लिए भी जापान का स्कोर गिर गया. यह भारत और सिंगापुर से पीछे रह गया तथा इसकी रणनीतिक महत्वाकांक्षा के साथ-साथ इसके क्षेत्रीय और वैश्विक नेतृत्व के बारे में नकारात्मक विशेषज्ञ मूल्यांकन को दर्शाता है.
दक्षिण पूर्व एशिया में मलेशिया का क्षेत्रीय प्रभाव बढ़ा है, लेकिन अन्य देश, विशेषकर थाईलैंड घरेलू स्तर पर उलझा हुआ है. ऑस्ट्रेलिया के सामने भी कई चुनौतियां हैं. ऑस्ट्रेलिया के आर्थिक और सैन्य संसाधन अन्य देशों की तुलना में कम हुए हैं. इसका मतलब है कि उसे एशिया में अपना प्रभाव बनाए रखने के लिए अपने संसाधनों के साथ कड़ी मेहनत करनी होगी.
पूरी सूची में टॉप पर अमेरिका है. संयुक्त राज्य अमेरिका 80.4 अंकों के साथ शीर्ष पर है. चीन को 100 में से 73.7 अंक मिला है. 27 देशों की सूची में वह दूसरे स्थान पर है. 2025 में उसके कुल अंकों में एक प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है.
भारत व्यापक शक्ति के लिए 27 देशों में से तीसरे स्थान पर है. इसका कुल स्कोर 100 में से 40 है. यह उसके कुल अंकों में 2 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है. एशिया पावर इंडेक्स के 2025 संस्करण में भारत की आर्थिक (27.1) और सैन्य क्षमता (48.0) दोनों में वृद्धि हुई है. राजनयिक प्रभाव (70.82), लचीलापन (55.5), भविष्य के संसाधन (55), आर्थिक संबंध (19.7), सांस्कृतिक प्रभाव (41.5) को लेकर भी भारत का क्या हाल है, समझा जा सकता है.
2021 के बाद पहली बार रूस का राजनयिक प्रभाव 2025 में थोड़ा बढ़ा. हालांकि यह यूक्रेन पर 2022 के आक्रमण से पहले के स्तर से नीचे है. इसका बढ़ता राजनयिक प्रभाव इसलिए आया है क्योंकि इसने पिछले दो वर्षों में चीन, भारत, इंडोनेशिया, वियतनाम और मलेशिया सहित महत्वपूर्ण एशियाई देशों के साथ उच्च-स्तरीय कूटनीति में अधिक प्रयास किए हैं.
एशिया में भारत की शक्ति लगातार बढ़ रही है, लेकिन यह अपने संसाधनों की क्षमता से काफी नीचे है. 2025 में, भारत का समग्र शक्ति स्कोर 40 अंक से अधिक हो गया, जो एशिया पावर इंडेक्स द्वारा "प्रमुख शक्ति" के लिए निर्धारित सीमा है.
भारत ने 2024 में तीसरी रैंक वाली शक्ति बनने पर जापान पर अपनी थोड़ी सी बढ़त बढ़ा ली. हालांकि, चीन के साथ क्षमता का बड़ा अंतर और भी बढ़ गया है, जो भारत के बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था के दृष्टिकोण को साकार करने के लिए एक दीर्घकालिक चुनौती है.
एशिया पावर इंडेक्स के 2025 संस्करण में भारत की आर्थिक और सैन्य क्षमता दोनों में वृद्धि हुई है. इसकी अर्थव्यवस्था लगातार मजबूती से बढ़ रही है और अंतरराष्ट्रीय प्रभाव, कनेक्टिविटी और प्रौद्योगिकी के संदर्भ में परिभाषित इसकी भू-राजनीतिक प्रासंगिकता के संदर्भ में छोटी-छोटी बढ़त हासिल की है.
भारत की सैन्य क्षमता में भी लगातार सुधार हुआ है. इसका क्रेडिट ऑपरेशन सिंदूर को जाता है. इसने भारत के हालिया युद्ध अनुभव में इजाफा किया है.
वैसे भारत को अपने राजनयिक संबंधों और रक्षा नेटवर्क के संदर्भ में आनुपातिक रूप से उतनी सफलता नहीं मिली है. इससे देश का बड़ा नकारात्मक पावर गैप स्कोर बढ़ गया, जो किसी देश की अपने संसाधनों के आधार पर अपेक्षित शक्ति और एशिया पावर इंडेक्स में उसके वास्तविक स्कोर के बीच विचलन का आकलन है.
जहां तक आर्थिक मोर्च की बात है, तो भारत लगातार प्रगति के रास्ते पर है. उसकी स्थिति बेहतर हो रही है. उसकी रैंकिंग में सुधार जारी है. भारत के लिए एक दिक्कत है कि एशिया के अन्य देशों के साथ व्यापारिक संबंधों को किस तरह से आए बढ़ाया जाए, इनमें दिक्कतें आ रही हैं.
दूसरी ओर भारत के लिए सकारात्मक बातें यह हैं कि इसने संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद सबसे अधिक आवक निवेश आकर्षित करने वाले देश के रूप में चीन को पीछे छोड़ दिया. यह एक संकेतक है, जो दस साल के संचयी प्रवाह को दर्शाता है. यह परिवर्तन भू-राजनीतिक कारकों का परिणाम है, जिसमें व्यवसाय आपूर्ति श्रृंखलाओं में विविधता लाने की मांग कर रहे हैं.
भारत ने कूटनीतिक प्रभाव के मामले में मामूली सुधार दर्ज किया है. परंतु जापान जैसी कई अन्य हिंद-प्रशांत मध्य शक्तियों ने नेतृत्व परिवर्तन का अनुभव किया है. द्विपक्षीय कूटनीतिक संवादों के संदर्भ में मापी गई सक्रिय कूटनीति और विशेषज्ञों द्वारा भारत की कूटनीतिक सेवा की गुणवत्ता में सुधार के आकलन ने इस परिणाम में योगदान दिया है. हालांकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के क्षेत्रीय या वैश्विक नेतृत्व के संदर्भ में भारत की रैंकिंग में कोई सुधार नहीं हुआ है, जो शायद यह दर्शाता है कि भारत की वर्तमान कूटनीतिक रणनीति, जो बहु-संरेखण, रणनीतिक स्वायत्तता और वैश्विक दक्षिण पर केंद्रित है, उसके रणनीतिक प्रभाव को तेजी से बढ़ाने का कोई स्वतः मार्ग प्रदान नहीं करती है.
एशिया पावर इंडेक्स देशों के साथ लोगों के बढ़ते आदान-प्रदान के परिणामस्वरूप पिछले एक साल में भारत का सांस्कृतिक प्रभाव बढ़ा है. भारत एक यात्रा और पर्यटन स्थल के रूप में और भी महत्वपूर्ण हो गया है, और इसी के साथ, एशिया पावर इंडेक्स देशों के साथ अधिक सीधी उड़ानों के माध्यम से यात्रा संपर्क में भी सुधार हुआ है. उदाहरण के लिए, भारत और ब्रुनेई के बीच एक नया सीधा मार्ग 2025 में शुरू हो गया है.
एशिया पावर इंडेक्स से भारत की समग्र तस्वीर मिश्रित है: भारत की अपनी शक्ति धीरे-धीरे बढ़ रही है, लेकिन देश की महत्वाकांक्षा और उसके प्रभाव पर निरंतर सीमाओं की वास्तविकता, विशेष रूप से चीन के सापेक्ष, के बीच अभी भी अंतर बना हुआ है.

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