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छोटे से घुवारा गांव की बेटी लाई टीम इंडिया में क्रांति!The daughter of a small village Ghuwara brought revolution in Team India!

 प्रदेश के छोटे से गांव घुवारा की क्रांति गौड़ ने पढ़ाई सिर्फ आठवीं कक्षा तक की, लेकिन मेहनत और हौसले के दम पर टीम इंडिया की तेज गेंदबाज बनकर विश्व कप महिला क्रिकेट मैच में धूम मचा दी। अब क्रांति पर धन वर्षा हो रही है। कभी मां को क्रांति की छोटी छोटी जरूरतों की पूर्ति के लिए अपने गहने तक बेचने पड़े थे। छतरपुर जिले का छोटा सा गांव घुवारा आज महिला क्रिकेटर क्रांति गौड़ के कारण पूरे देश में जाना जा रहा है। क्रांति छह भाई-बहनों में सबसे छोटी हैं। उनके पिता पुलिस में कांस्टेबल थे और परिवार की आर्थिक स्थिति हमेशा चुनौतीपूर्ण रही। फिर भी बचपन से ही क्रिकेट क्रांति के सपनों में सबसे ऊपर था।


पापा की जॉब चली गईक्रांति की छोटी बहन रोशनी ने बताया कि जब क्रांति ने क्रिकेट खेलना शुरू किया था उसके पहले पापा की जॉब चली गई थी। घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। घर में काफी समस्याएं आईं। घर के लोगों ने मेहनत मजदूरी करके क्रांति के क्रिकेट में आगे बढ़ाया। कभी घर में किसी ने रोका नहीं। पैसों की जरूरत पड़ने पर मां के गहने बेच दिए, क्योंकि खेलने में पैसे लगते थे। घर वालों ने सपोर्ट किया। उन्होंने बताया कि क्रांति ने कहा है कि अब जो जेवर गए हैं उससे दोगुने जेवर बनवाएंगे।

ये भी पढ़ें- सीएम डॉ. मोहन यादव ने महिला क्रिकेटर क्रांति गौड़ को दी बधाई, बोले- बेटियां मेहनत से ऊंचाइयां छू रही सारा दिन क्रिकेट खेलती थी, स्कूल से भाग जाती क्रांति के बड़े भाई लोकपाल सिंह ने बताया कि हम लोगों को काफी खुशी है। परिवार के लोग भी जीत से बहुत खुश हैं। पूरे बुंदेलखंड में खुशी का माहौल है। 2012 में पिता की नौकरी जाने के बाद हम लोग सब काम करने लगे। क्रांति का एक ही सपना था क्रिकेट खेलना। वो स्कूल जाती थी तो वहां से भी भाग जाती थी। वो सारे दिन क्रिकेट खेलती थी। लोग ताने मारते थे। वह लोगों से कहती थी कि आज आप लोग ताने मार रहे हैं। कल आप लोग ताली भी बजाओगे। उनका कहना है कि क्रांति हमारे समाज में पहली बेटी है जो इतने ऊपर तक गई है। वहीं क्रांति के पड़ोसी फूल सिंह राजपूत ने बताया कि क्रांति ने कैसे क्रिकेट खेलना शुरू किया। उनका कहना है कि क्रांति जब छोटी थी तब वो सबसे पहले क्रिकेट खेलने के लिए उठ जाती थी। उसमें बचपन से क्रिकेट का जुनून था। वो पुलिस वालों के साथ क्रिकेट खेलती रहती थी। जब बाकी बच्चे खेल-कूद में समय बिताते, क्रांति अपने घर के सामने के मैदान में लड़कों के साथ गेंदबाजी करती थीं।

पहले मैच में दो विकेट लिए, 22 रन बनाए राजपूत ने बताया कि एक बार गांव में लेदर बॉल क्रिकेट का टूर्नामेंट हुआ था। उसमें नौगांव की महिला टीम और सागर की महिला टीम के बीच मैच होना था। उसमें सागर की टीम में एक लड़की कम थी। उसमें क्रांति को खिलाया गया। वो क्रांति का पहला मैच था। उसमें उन्होंने 22 रन बनाए थे और दो विकेट लिए थे। वह मेन ऑफ द मैच बनी थी। इस मैच के बाद क्रांति ने पीछे मुडकर नहीं देखा। 

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