रवि उपाध्याय
लोकतंत्र की जननी कहे जाने वाले राज्य बिहार में वर्तमान में चल रहे विधानसभा चुनावों के बाद फिर से एक बार गठबंधन की सरकार बनने जा रही है इसमें किसी को कोई शंका नहीं होनी चाहिए। इस समय बिहार में जो निवर्तमान सरकार अस्तित्व में है वह भी राजग गठबंधन की ही सरकार है जिसका नेतृत्व मुख्य मंत्री नीतीश कुमार कर रहे हैं। जहां तक बिहार में गठबंधनों की बात की जाए तो राज्य में लंबे समय से दो ही राजनीतिक गठबंधन चले आ रहे हैं। जिसमें पहला और लंबे समय से चला आ रहा गठबंधन राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन है। वर्तमान में यही गठबन्धन सत्तारूढ़ है। इसका नेतृत्व नीतीश कुमार कर रहे हैं। वे जनता दल यूनाइटेड ( जद यू ) के सबसे बड़े नेता हैं।
इस गठबन्धन में एक बड़ी पार्टी के रूप में भारतीय जनता पार्टी भी शामिल है। इसके अलावा बिहार में जो दूसरा कोई सियासी गठबंधन सक्रिय है तो वह है महागठबंधन । इसका नेतृत्व राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव करते हैं। इसमें कांग्रेस पार्टी, सहित अन्य कुछ छोटे दल शामिल हैं।
बिहार में गठबंधनों का इतिहास
अब बात करते हैं बिहार में गठबंधनों के इतिहास की। बिहार के साथ देश की राजनीति में पहली बार गठबंधन सरकारों का युग सन् 1967 से उस समय शुरू होता है जब इस साल देश भर में हुए लोकसभा के आम चुनावों में कांग्रेस पार्टी को तब तक का सबसे कम बहुमत मिला ।1967 के आम चुनावों में 520 सदस्यीय सदन में कांग्रेस 283 सीटों पर ही जीत मिल सकी। बता दें कि 1967 में लोकसभा चुनाव के साथ राज्यों के भी विधानसभा चुनाव हुए थे। इन्हीं चुनाव परिणामों का असर था कि इसी वर्ष से कई राज्यों में गठबंधन सरकारों का उदय हुआ।
1967 में देश के जिन राज्यों में संयुक्त विधायक दलों ( संविद) की सरकारें बनीं उनमें बिहार, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, केरल, मद्रास ( अब तमिलनाडु ) और पश्चिम बंगाल शामिल हैं। सन् 1967 का यह वह साल है जब इन राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में किसी भी दल को सरकार गठन करने के लिए आवश्यक बहुमत नहीं मिला। अथवा राजनैतिक विद्रोह की वजह से सरकार गिरने के बाद संविद सरकारों का गठन किया गया।
गठबंधन सरकारों का सिलसिला
सन् 1967 के बाद तो बिहार में एक तरह से गठबंधन सरकारों की गाड़ी धड़ाधड़ दौड़ने लगीं। इसके बाद तो 1969,1977 1990 में फिर से गठबंधन या कहिए कि संविद सरकारों का गठन किया गया। सन् 2000 से ऐसा समय आया कि कोई भी एक राजनैतिक दल एक अकेला अपने दम पर सरकार नहीं बना सका। तब से लेकर आज तक का साल है कि गुजरे करीब 20 साल से बिहार में चुनाव दर चुनाव गठबंधनों की ही सरकारें ही बनती रहीं हैं। मजेदार बात तो यह है कि दोनों में से कोई भी गठबन्धन सत्ता में रहा हो पर मुख्यमंत्री केवल और केवल नीतीश कुमार ही बने हैं ।
1970 में कांग्रेस के दरोगा प्रसाद राय के नेतृत्व में मिली जुली सरकार बनी। इस सरकार को पहली बार सीपीआई ने समर्थन किया। इसके अलावा उक्त सरकार को प्रजातांत्रिक सोशलिस्ट पार्टी, शोषित पार्टी, लोकतांत्रिक क्रांति दल जैसी पार्टियों का समर्थन प्राप्त था। कुछ समय बाद यह सरकार गिर गई। इसके बाद इसी बरस कर्पूरी ठाकुर के नेतृत्व में दूसरी सरकार अस्तित्व में आई । लेकिन 1972 के चुनाव में कांग्रेस को बहुमत मिला और उसने सरकार बनाई।
1977 के विधानसभा चुनाव में फिर एक बार कांग्रेस बुरी तरह चुनाव हार गई और संयुक्त विधायक दल की सरकार बनी और कर्पूरी ठाकुर को सांसद होने के बाद मुख्य मंत्री चुन लिया गया।
बिहार ही एक मात्र ऐसा राज्य बन गया जहां इतने लंबे समय से गठबंधन की सरकारें ही चली आ रही हैं। ऐसा ही प्रयोग कर्नाटक सहित अन्य राज्यों में गठबंधन की सरकारें अस्तित्व में आईं और चलीं गईं। दिल्ली में भी पिछले 11- 12 सालों से राजग गठबन्धन की सरकार सफलता पूर्वक चल रही है।
दिल्ली में गठबंधन सरकारें
आपको शायद यह जानकारी नहीं होगी कि दिल्ली में 12, संघीय (केंद्रीय)सरकारें गठबंधन की सरकारें बन चुकीं हैं। देश में सबसे पहले गठबंधन की सरकार 1977 में जो सरकार जनता पार्टी की सरकार थी। इसके प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई थे। जनता पार्टी में 13 राजनैतिक दल शामिल थे।
इसके बाद 1989 विश्वनाथ प्रताप सिंह के नेतृत्व में राष्ट्रीय मोर्चा की सरकार बनी। 1990- 91 में जनता दल और भारतीय समाज पार्टी की सरकार बनीं। इसके प्रधानमंत्री चंद्रशेखर थे। 1996 अटल जी के नेतृत्व में 16दिन की मिली जुली सरकार बनी। इस सरकार के गिरने के बाद 1996- 1997 में ही एच डी देवेगौड़ा और आइके गुजराल के नेतृत्व में गठबन्धन की सरकारें बनी। 1998 से अटल जी की सरकार बनी यह सरकार 13 दिन बाद बहुमत के अभाव में गिर गई।
सन् 1999 में हुए लोकसभा चुनाव में राजग की मिली जुली सरकार बनी। इसके प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई बने। यह सरकार 2004 तक चली। इसी साल हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के नेतृत्व में यूपीए की सरकार बनी इसके प्रधानमंत्री मंत्री मनमोहन सिंह बने। यह सरकार 2014 तक चली।
2014 में हुए लोकसभा चुनाव में देश में पहली बार वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारी बहुमत से भाजपा की सरकार बनी। यह भाजपा ने यह चुनाव एनडीए के बैनर तले लड़ा। सन् 2014, 2019 में अकेले भाजपा को पूर्ण बहुमत मिलने के बावजूद भी भाजपा ने अपने सहयोगी दलों को सरकार में सम्मान पूर्वक साथ रखा और 2024 के लोकसभा चुनावों के बाद जब भाजपा को केवल 240 सीटों पर जीत मिली और वह बहुमत से दूर रहने के बाद भी सहयोगी दलों ने सरकार बनाने में दृढ़ता पूर्वक सरकार बनाने में भाजपा को सहयोग किया।
इस स्थिति को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि देश में पिछले दो दर्शकों से अधिक समय से गठबंधन सरकारें ही बनती चली आ रही हैं। उम्मीद की जानी चाहिए आगे भी यह परिपाटी चलती रहेगी। बिहार में भी 1967 से 1972 के एक अपवाद को छोड़ कर आज तक गठबन्धन की सरकारें बनती भी चली आ रहीं हैं।इसको देखते हुए कहा जा सकता है वर्तमान युग गठबंधनों का युग है। केंद्र में भी 1977 से यही परिपाटी चली आ रही है।
( लेखक एक राजनैतिक समीक्षक एवं व्यंग्यकार हैं। )

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