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“मनुस्मृति पर हमला: असल निशाना हिन्दू सभ्यता!” Attack on Manusmriti: The real target is Hindu civilization!”

अमेय बजाज

भारत में एक विचित्र प्रवृत्ति चल रही है—

जो ग्रंथ हमारी सभ्यता की रीढ़ है,

जिसने इस देश को कानून, समाज-व्यवस्था, अनुशासन और चरित्र दिया,

उसी मनुस्मृति को आज की पीढ़ी बिना पढ़े गाली देती है।

पर सवाल यह है —


क्या सचमुच मनुस्मृति समस्या है?

या समस्या यह है कि लोग हिन्दू सभ्यता से ही नफरत करना चाहते हैं

✅ मनुस्मृति से नहीं, “हिन्दू पहचान” से डर है!

मनुस्मृति उन कुछ ग्रंथों में से है जो यह सिद्ध करते हैं कि—

✅ भारत एक प्राचीन, संगठित, उच्च ज्ञान-सम्पन्न सभ्यता थी।

✅ यहाँ कानून का ढांचा था, सदाचार था, सामाजिक व्यवस्था थी।

✅ यहाँ परिवार, समाज और राष्ट्र — तीनों को संतुलित रखने की बुद्धि थी।

यही कारण है कि

भारत-विरोधी, हिन्दू-विरोधी और वामपंथी समूहों के लिए

मनुस्मृति एक खतरा है—क्योंकि यह हमारी “सभ्यता-स्मृति” को जीवित रखती है

✅ ब्रिटिशों ने मनुस्मृति का डर पैदा किया—मैकाले के हथियार से!

ब्रिटिश शासन को यह स्वीकारना कठिन था कि—

भारत का कानून उनके “Common Law” से हजारों साल पुराना है,

भारत में शासन की नींव यूरोप के जन्म से पहले ही तैयार हो चुकी थी।

इसलिए उन्होंने किया क्या?

📌 मनुस्मति को चुन-चुनकर गलत ढंग से अनुवाद किया,

📌 कठोर श्लोकों को बढ़ा-चढ़ाकर बताया,

📌 जिन श्लोकों का व्यवहारिक समाज से कोई संबंध नहीं था, उन्हें “हिन्दू कानून” घोषित कर दिया,

📌 और आधुनिक भारतीय शिक्षण में मैकाले के ज़रिये यह विचार भर दिया कि

“अपनी संस्कृति ही तुम्हारी सबसे बड़ी दुश्मन है।”

आज की पीढ़ी उसी प्रचार का शिकार है।

✅ वामपंथी राजनीति को चाहिए ‘पीड़ित वर्ग’ — इसलिए मनुस्मृति का महापाप!

आज का वामपंथ जानता है कि—

⚡ हिन्दू समाज को तोड़ने का सबसे आसान तरीका है — जाति का ज़हर

⚡ और इस ज़हर को ‘धार्मिक प्रमाण’ देने के लिए सबसे सुविधाजनक निशाना है — मनुस्मृति

⚡ क्योंकि हिन्दू अपने ग्रंथों पर हमले के जवाब में हिंसा नहीं करते — इसलिए इसे मारो, गाली दो, तोड़ो!

वामपंथ का असली एजेंडा है—

हिन्दू इतिहास को अपराधी,

हिन्दू समाज को उत्पीड़क,

और हिन्दू धर्म को अमानवीय सिद्ध करना।

मनुस्मृति सिर्फ बहाना है।

निशाना हमेशा हिन्दू अस्मिता रही है।

✅ क्या जिन्होंने मनुस्मृति जलाई — उन्होंने कभी उसे पढ़ा?

यह देश का सबसे बड़ा विडम्बनापूर्ण प्रश्न है—

🔥 मनुस्मृति जलाने वाले

🔥 मनुस्मृति को गाली देने वाले

🔥 मनुस्मृति को “दमन का ग्रंथ” कहने वाले

एक भी श्लोक मूल संस्कृत में पढ़ नहीं सकते।

80% लोगों को पता ही नहीं कि मनुस्मृति

एक इतिहासिक विधि-संहिता है,

जो सदियों में बदलती रही,

और जिसका पालन पूरे भारत में कभी भी समान रूप से नहीं हुआ।

लेकिन नफ़रत “ट्रेंडिंग” है।

ज्ञान “पुराना” हो चुका है।

और सत्य “विवादित” घोषित कर दिया गया है

✅ आधुनिक पीढ़ी की समस्या — अधिकार चाहिए, कर्तव्य नहीं!

मनुस्मृति कहती है:

कर्तव्य निभाओ

चरित्र निर्माण करो

समाज और परिवार में अनुशासन रखो

जिम्मेदारी लो

स्वयं पर नियंत्रण रखो


आज का “हाइपर-इंडिविजुअलिज़्म” कहता है:

मैं जो चाहूँ वही करूँ

कोई सीमा नहीं

कोई कर्तव्य नहीं

कोई अनुशासन नहीं

केवल अधिकार, अधिकार और अधिकार


तो फिर स्वाभाविक है —

जो ग्रंथ कर्तव्य और अनुशासन की बात करे,

वह आधुनिक अराजक मानसिकता के लिए शत्रु दिखाई देगा!

✅ मनुस्मृति पर हमला = हिन्दू अनुशासन, संरचना और आत्मविश्वास पर हमला

सबसे बड़ा सच यह है—

मनुस्मृति को नष्ट करने का अर्थ है

हिन्दू समाज की स्मृति मिटा देना।

क्योंकि मनुस्मृति सिखाती है—

राष्ट्र कैसे टिकता है

समाज कैसे चलता है

चरित्र कैसे बनता है

परिवार कैसे मजबूत होता है

संयम क्यों आवश्यक है

नियम क्यों जरूरी हैं

और यह सभी बातें

वामपंथी अराजकता को उखाड़ फेंकती है

✅ निष्कर्ष: मनुस्मृति से नहीं, “हिन्दू चेतना” से समस्या है!

जो लोग मनुस्मृति पर आक्रमण करते हैं,

वे जानते हैं कि—

जहाँ हिंदू अपनी जड़ों से जुड़ा रहेगा,

वहाँ इस राष्ट्र की आत्मा अडिग रहेगी।

मनुस्मृति पर हमला

कोई बौद्धिक बहस नहीं है—

यह एक सांस्कृतिक युद्ध है।

और इस युद्ध में

जो अपनी परंपराओं को नहीं समझेगा,

वह इतिहास की धूल में बदल जाएगा।

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