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अमोल मजूमदार कोच बनकर दिलाया बिखरी पड़ी महिला टीम को पहला क्रिकेट वर्ल्ड कपAmol Mazumdar coached a disjointed women's team to its first Cricket World Cup.

 मुंबई: डीवाई पाटिल स्टेडियम में रविवार की रात जब घड़ी ने 12 बजाए, तो यह सिर्फ तारीख का बदलना नहीं था। यह दशकों के इंतजार, निराशा और दिल टूटने के सिलसिले का अंत था। हरमनप्रीत कौर के हाथों में आया एक कैच सिर्फ एक विकेट नहीं, बल्कि भारतीय महिला क्रिकेट के लिए एक नए, गौरवशाली युग की शुरुआत थी। भारतीय महिला क्रिकेट टीम पहली बार 50 ओवर का वर्ल्ड कप चैंपियन बन चुकी था।


टीम इंडिया की इस शानदार जीत के पीछे एक ऐसे शख्स की कड़ी मेहनत है, जिसे भारतीय क्रिकेट का एक ‘अनलकी’ खिलाड़ी कहें तो गलत नहीं होगा। वह खिलाड़ी है महिला क्रिकेट टीम के कोच, 50 वर्षीय कोच अमोल मजूमदार, एक ऐसा बल्लेबाज जिसने फर्स्ट क्लास क्रिकेट में रनों का अंबार लगा दिया, लेकिन जिसे कभी देश के लिए खेलने का मौका नहीं मिला। यह वर्ल्ड कप जीत उनके उस अधूरे सपने पर मरहम की तरह है।

एक शानदार करियर जिस पर नहीं लगी इंडिया की मुहर

अमोल मजूमदार का नाम घरेलू क्रिकेट में बड़े सम्मान से लिया जाता है। उन्होंने अपने फर्स्ट क्लास करियर में 11,167 रन बनाए, जिसमें उनका औसत 48.13 का रहा। 1994 में वे राहुल द्रविड़ और सौरव गांगुली जैसे दिग्गजों के साथ इंडिया ‘ए’ टीम का हिस्सा थे। उन्होंने मुंबई को अपनी कप्तानी में रणजी ट्रॉफी जिताई और कुल आठ खिताबी जीतों का हिस्सा रहे।

टूर्नामेंट में मुश्किलों से पाई पार

वर्ल्ड कप में भारत का सफर आसान नहीं था। अभियान के बीच में दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड से लगातार तीन हार ने टीम को मुश्किल में डाल दिया था। लेकिन टीम ने हार नहीं मानी। मजूमदार और हरमनप्रीत ने टीम को एकजुट रखा। इंग्लैंड से करीबी हार के बाद मजूमदार ने टीम से जो सख्त बात की, उसने खिलाड़ियों में नया जोश भर दिया।

इसके बाद टीम ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। नॉकआउट में पहले न्यूजीलैंड को हराया, फिर ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वर्ल्ड रिकॉर्ड रन चेज कर फाइनल में जगह बनाई। और फाइनल में दक्षिण अफ्रीका को हराकर उस ट्रॉफी को उठाया, जिसका इंतजार पूरा देश कर रहा था। मैच के बाद हरमनप्रीत का झुककर मजूमदार पैर छूना और फिर गले मिलना, इस जीत में उनके योगदान की कहानी बयां कर रहा था।

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