दिल्ली के लाल किला के पास कार बम धमाके के बाद एजेंसियां हरकत में हैं। इस धमाके का कनेक्शन जम्मू-कश्मीर से जुड़ा है तो वहां तक एजेंसियां अब संदिग्धों की तलाश में हैं। धमाके के बाद से अब तक जम्मू-कश्मीर पुलिस ने 500 जगहों पर रेड मारी है और 600 लोगों को हिरासत में लिया है। यह छापेमारी जमात-ए-इस्लामी के खिलाफ हुई है। एजेंसियों का कहना है कि हमें यह इनपुट मिला था कि जमात-ए-इस्लामी फिर से खुद को जम्मू-कश्मीर में खड़ा करने की तैयारी में है। इसके बाद ही यह ऐक्शन लिया गया। अधिकारियों का कहना है कि श्रीनगर, कुलगाम, पुलवामा, शोपियां, बारामूला समेत कई जिलों में छापेमारी की गई है।
इस बीच डॉक्टर मॉड्यूल पर भी ऐक्शन हुआ है। तीन सरकारी कर्मचारियों समेत करीब 10 लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया है। अधिकारियों ने गुरुवार को इसकी जानकारी दी। अधिकारियों ने बताया कि जांचकर्ताओं ने रात भर की छापेमारी के दौरान अनंतनाग, पुलवामा और कुलगाम जिलों से संदिग्धों को हिरासत में लिया। दिल्ली में सोमवार को लाल किला के पास हुए विस्फोट के बाद पुलिस और अन्य सुरक्षा एजेंसियों ने घाटी में आतंकी तंत्र के खिलाफ कार्रवाई तेज कर दी है। लाल किला के पास हुए विस्फोट में अब तक कुल 13 लोगों की मौत हो चुकी है।
अधिकारियों ने बताया कि संदिग्धों से पूछताछ में पता चला है कि उनमें से कुछ पिछले एक साल में तुर्किये भी गए थे। विस्फोटकों के भारी जखीरे की बरामदगी के सिलसिले में डॉक्टरों समेत सात लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जबकि जांचकर्ताओं ने अब तक ‘सफेदपोश आतंकी’ मॉड्यूल के सिलसिले में 200 से अधिक लोगों से पूछताछ की है। इस मॉड्यूल का खुलासा आतंकवादियों के दो गुर्गों द्वारा दी गई सूचना के आधार पर किया गया, जिन्हें इस महीने की शुरुआत में पुलिस ने गिरफ्तार किया था। जम्मू-कश्मीर के कुलगाम में ही 200 ठिकानों पर और श्रीनगर में 150 ठिकानों पर छापेमारी की गई है।
छापेमारी में क्या-क्या मिला, पुलिस ने डिटेल में बताया
बारामूला के सोपोर में पुलिस ने 30 ठिकानों पर छापेमारी की है। एजेंसियों का कहना है कि जम्मू-कश्मीर में एक बार फिर से अतिवाद बढ़ाने के लिए जमात-ए-इस्लामी ऐक्टिव है। इसकी जानकारी मिलने पर हमने ऐक्शन लिया है। छापेमारी के दौरान अतिवादी सामग्री मिली है। इसके अलावा कुछ गैजेट्स और प्रतिबंधित संगठन के पोस्टर आदि पाए गए हैं। इस मामले में कई लोगों से पूछताछ जारी है। बता दें कि पहले भी जम्मू-कश्मीर में जमात-ए-इस्लामी एक सिरदर्द रहा है।

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