पड़ोसी देश पाकिस्तान में इन दिनों चुपचाप बहुत कुछ बदल रहा है। पाकिस्तान के सेना प्रमुख आसिम मुनीर भारत के ऑपरेशन सिंदूर के बाद फील्ड मार्शल बन गए। फिर उनकी वॉशिंगटन में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात होती है और दोनों देशों के बीच संबंध अचानक बदल जाते हैं। पीएम शहबाज शरीफ से ज्यादा आसिम मुनीर को तवज्जो मिलने से साफ था कि उनका कद अब आर्मी चीफ से कहीं ज्यादा है। भले ही परदे के पीछे से वह काम कर रहे हैं, लेकिन वही वास्तविक सरकार हैं। अब तो पाकिस्तान में संविधान में ही एक बदलाव हो रहा है, जिसकी तुलना साइलेंट तख्तापलट से की जा रही है और कहा जा रहा है कि इसके बाद तो हर तरह से सुप्रीम पावर आसिम मुनीर ही होंगे।
पाकिस्तान में पहले भी सैन्य शासन आते रहे हैं, लेकिन इस बार आसिम मुनीर राजनीतिक नेतृत्व को मोहरा बनाए रखते हुए सत्ता चलाने की जुगत में हैं। इसी के तहत पाकिस्तान के संविधान में 27वां संशोधन कराया जा रहा है और इस पर संसद में वोटिंग होनी है। अब तक मिली जानकारी के अनुसार इस संशोधन के जरिए संविधान के अनुच्छेद 243 को बदला जाएगा। इससे पूरी पावर ही आसिम मुनीर के हाथ होगी। वह थल सेना, नेवी और एयरफोर्स के जॉइंट चीफ होंगे। परमाणु हथियार उनके ही कंट्रोल में होंगे और फील्ड मार्शल का जो पद उन्हें मिला है, उसे संविधान में स्थायी कर दिया जाएगा।
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ का पद ही खत्म, पूरी पावर मुनीर के हाथ
डॉन की एक खबर के अनुसार यदि ये बदलाव हुए तो फिर पाकिस्तान में सेना प्रमुख ही सुप्रीम कमांडर होगा। पाकिस्तान में जॉइंट चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी के चेयरमैन साहिर शमशाद मिर्जा का कार्यकाल समाप्त हो रहा है। अब यह पद ही खत्म कर दिया जाएगा और उनकी शक्तियां भी फील्ड मार्शल के पास होंगी। इस तरह सर्वेसर्वा आसिम मुनीर हो जाएंगे। इसका सीधा अर्थ होगा कि आसिम मुनीर ही थल सेना के चीफ होंगे और उनका ही नेतृत्व एयरफोर्स और नेवी में भी होगा।
कैसे पाकिस्तान में लौट आया है 50 साल पुराना खौफ
संविधान में इन बदलावों को लेकर पाकिस्तान में जिया उल हक के दौर वाला खौफ है। तब जिया उल हक ने जुल्फिकार अली भुट्टो का तख्तापलट कर दिया था। अब कहा जा रहा है कि दौर बदल गया है तो शायद आसिम मुनीर जिया की तरह तख्तापलट नहीं करेंगे, लेकिन पूरी कमान उनके ही हाथ में होगी। इसके अलावा यह भी प्रस्ताव है कि राष्ट्रपति की तरह ही फील्ड मार्शल के खिलाफ भी कोई कानूनी कार्रवाई नहीं हो सकेगी। यह स्थिति उनके पद पर रहने के दौरान ही नहीं बल्कि पूरी जिंदगी रहेगी और उन्हें विशेषाधिकार मिलेंगे। हालात ये हैं कि पाकिस्तान में 50 साल पुराने उस दौर का खौफ फिर लौट आया है, जब ऐप पर पढ़ें हक ने कमान संभाल ली थी और पूरी मुल्क ही कट्टरता की आग में झोंक दिया गया था।

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