झारखंड से ट्यूनीशिया 48 लोग नौकरी के लिए गए थे. लेकिन आरोप है कि वहां की कंपनी ने उन्हें धोखा दिया. अब वो कंपनी उन्हें पैसे नहीं दे रही है और फ्री में काम करवा रही है. काम के घंटे भी ज्यादा हैं. स्थिति इतनी खराब है कि वहां काम करने वाले लोगों के पास खाना खरीदने के भी पैसे नहीं बचे हैं. ऐसी स्थिति में वहां फंसे हुए मजदूर घर लौटना चाहते हैं. झारखंड सरकार ने उनसे बात की है और भारतीय दूतावास की मदद से उन्हें सुरक्षित वापस लाने की कोशिश कर रही है।
झारखंड श्रम विभाग के अंतर्गत प्रवासी नियंत्रण प्रकोष्ठ की टीम लीडर शिखा लाकड़ा ने न्यूज एजेंसी से बातचीत में कहा कि हमने ट्यूनीशिया में एक प्राइवेट फर्म में फंसे हुए प्रवासी श्रमिकों से बात की है और उनके डॉक्यूमेंट की जांच कर रहे हैं. हम उनकी सुरक्षित वापसी की व्यवस्था के लिए ट्यूनीशिया स्थित भारतीय दूतावास के अधिकारियों के संपर्क में भी हैं.
बिना सैलरी ज्यादा घंटों-घंटों करा रहे हैं काम
झारखंड के 48 लोगों से फ्री में काम करने के अलावा ओवरटाइम भी करवाया जा रहा है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इनके पास बिना सैलरी की वजह से खाना खरीदने के लिए भी पैसे नहीं हैं. फंसे हुए मजदूरों में से एक ने ट्यूनीशिया से अपनी आपबीती सुनाते हुए एक वीडियो भी शेयर किया. उसने दावा किया कि उससे 12 घंटे काम करवाया जा रहा है और धमकी दी जा रही है कि हमें जेल में डाल दिया जाएगा और हम भारत वापस नहीं लौट पाएंगे.
प्रवासी मजदूरों की दुर्दशा सबसे पहले प्रवासी प्रकोष्ठ को बताने वाले एक सामाजिक कार्यकर्ता ने एक मजदूर की तरफ से शेयर किए गए वीडियो मैसेज के बारे में भी बताया. कार्यकर्ता सिकंदर अली ने मीडिया से बातचीत के बाद कहा कि गिरिडीह के पीरटांड ब्लॉक के संजय कुमार ने गुरुवार देर रात मुझे एक वीडियो मैसेज भेजा. इसे मैंने प्रवासी प्रकोष्ठ और कुछ पत्रकारों को भेजा है.उन्होंने इसे मुख्यमंत्री के साथ शेयर किया है.

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