शिविर का आयोजन एंडोक्राइन डिवीजन, मेडिसिन विभाग द्वारा किया गया। शिविर में आने वाले 180 मरीजों और उनके परिजनों की निशुल्क ब्लड शुगर जांच की गई, जिसमे से 76 मरीजो की शुगर अनियंत्रित पाई गई और 23 ऐसे भी थे जिन्हें पहली बार अपनी डायबिटीज़ के बारे में पता चला , इन सभी को आगे की जांचों एवं इलाज के लिए परामर्श दिया गया। नेत्र रोग विशेषज्ञों द्वारा आँखों की जांच भी की गई.
मेडिसिन विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डॉ धर्मेंद्र झंवर ने बताया की मधुमेह एक जीवन शैली बीमारी है.इसका मुख्य कारण मोटापा है। यदि किसी व्यक्ति के परिवार में माता-पिता भाई बहन आदि को मधुमेह की बीमारी है तो उनको भी डायबिटीज होने की प्रबल संभावना रहती है। यदि ऐसा व्यक्ति खान-पान का परहेज एवं नियमित व्यायाम करता है तो मधुमेह होने की संभावना को काफी हद तक टाला जा सकता है. मधुमेह के कई कारण भी डॉक्टर झंवर द्वारा बताए गए जैसे की मोटापा, सुस्त जीवन शैली, अत्याधिक मदिरापान,अनुवांशिक आदि। इसके उपचार हेतु दवाओं की जितनी भूमिका है उतनी ही नियमित रूप से कसरत करने और स्वस्थ खान पान की भी है।
डॉ धर्मेंद्र झंवर ने बताया कि भारत आज की दुनिया का डायबिटीज कैपिटल बनने जा रहा है। यह डिजीज नही अपितु जीवन शैली डिसऑर्डर है। कई डायबिटीज के मरीजों में कोई भी लक्षण नहीं होते हैं इसलिए यदि समय-समय पर जांच ना करवाई जाए तो बहुत देर हो सकती है एवं मरीज को हृदय रोग, लकवा, गुर्दा रोग एवं अंधापन जैसी समस्याएं आ सकती हैं इसलिए नियमित रूप से शुगर की जांच करवाते रहना चाहिए।
मधुमेह रोग विशेषज्ञ एवं एंडोक्राइनोलॉजिस्ट डॉ राजेश वर्मा ने बताया कि इस बीमारी के कई लक्षण हो सकते है जैसे की अत्याधिक प्यास लगना, अत्याधिक भूख लगना, बार बार पेशाब का आना, घावों का देरी से भरना, आंखो से धुंधला दिखना ,अकारण कमजोरी, थकान एवं वजन कम होना। डॉक्टर वर्मा ने बताया की यह दीर्घकालिक रोग है, नियमित अपने डॉक्टर के संपर्क में रहे, और अपनी दवाओं के बारे में शिक्षित रहे। डॉक्टर वर्मा द्वारा इंसुलिन से जुड़ी भ्रांतियों का भी उत्तर दिया गया। इंसुलिन से डरे नहीं , उसके बारे में शिक्षित हो।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि प्रभारी डीन डॉ अरविन्द शुक्ला एवं एम वाय असपताल उप अधीक्षक डॉ महेश खाचरिया ने भी मरीजों को संबोधित किया और बिमारी के बारे मे शिक्षित किया। डॉ शुक्ला ने जानकारी दी की लंबे समय की डायबिटीज से उत्पन होने वाली समस्याएं जैसे अंधापन, लकवा, पैरो में घाव आदि का समस्त इलाज एम वाय असपताल में निशुल्क उपलब्ध है। डॉ शुक्ला ने इस तरह के शिविरों को और भी बड़े स्तर पर करने का आश्वासन दिया.
इस मौके पर न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. अर्चना वर्मा ने डायबिटीज में होने वाली नसों की तकलीफ़ों के बारे में बताया.
नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ श्वेता वालिया ने मधुमेह में होने वाले अंधत्व के बारे में जानकारी दी.
कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर राजेश वर्मा द्वारा किया गया एवं आभार डॉक्टर धर्मेन्द्र झंवर ने माना।

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