मुसलमान बहुल किशनगंज जिला के चारों विधानसभा क्षेत्रों में मुस्लिम मतों के बिखराव से ही एनडीए को संजीवनी मिल सकती है।
इस इलाके में 1995 के बाद भाजपा को निराशा ही मिली है। कांग्रेस, राजद व जदयू के अलावा एआईएमआईएम पहले चारों विधानसभा क्षेत्रों में जीत का स्वाद चख चुका है। इस बार के चुनाव में भी महागठबंधन, एआईएमआईएम, जन सुराज पार्टी (जसुपा) व आम आदमी पार्टी (आप) ने भी मुस्लिम उम्मीदवार पर ही दांव खेला है।
इस कारण मुस्लिम मतों में बिखराव की आशंका बनी हुई है। चार विधानसभा क्षेत्रों से कुल 35 प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं। उनमें 25 मुसलमान हैं। सभी के अपने गणित व जीत के दावे हैं।
किशनगंज सदर विधानसभा क्षेत्र में 10 प्रत्याशी हैं। उनमें से आठ मुसलमान हैं, जो कांग्रेस, एआईएमआईएम, जसुपा समेत निर्दलीय भी हैं। भाजपा ने यहां से पांचवी बार स्वीटी सिंह को मैदान में उतारा है। इसी प्रकार कोचाधामन विधानसभा क्षेत्र से छह उम्मीदवारों में चार मुस्लिम समुदाय से हैं।
यहां से राजद, एआईएमआईएम समेत अन्य दलों ने भी मुस्लिम समुदाय पर ही दांव खेला है। भाजपा ने हिंदू समुदाय से वीणा देवी पर भरोसा जताया है। बहादुरगंज विधानसभा क्षेत्र से भी नौ प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं। इनमें सात मुसलमान हैं।
यहां कांग्रेस, एआईएमआईएम ही नहीं, बल्कि एनडीए की ओर से लोजपा-रामविलास के खाते में गई इस सीट से मुसलमान प्रत्याशी को मैदान में उतारा गया है। जसुपा ने यहां भाजपा से बागी हुए वरुण कुमार सिंह को टिकट दिया है।
ठाकुरगंज विधानसभा क्षेत्र से 10 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। इनमें से छह मुस्लिम समुदाय से हैं। यहां राजद, एआईएमआईएम, जनसुराज समेत अन्य दलों के अलावा निर्दलीय भी मुस्लिम समुदाय से हैं। जदयू ने यहां से हिंदू समुदाय के गोपाल कुमार अग्रवाल पर भरोसा जताया है। यहां के सभी विधानसभा क्षेत्रों को मुस्लिम बहुल माना जाता है।
इन जगहों पर मुसलमानों की जनसंख्या 60 से 69 प्रतिशत तक है। एनडीए ने यहां से तीन हिंदू व एक मुस्लिम उम्मीदवार पर दांव खेला है। महाठगबंधन व एआईएमआईएम ने चारों सीटों से मुस्लिम प्रत्याशी को उतारा है। जसुपा ने भी तीन सीटों पर मुस्लिम समुदाय के लोगों को ही टिकट दिया है।

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