Top News

आम जनता के घरों पर एसटीएफ का छापा।STF raids on houses of common people

जागो कांग्रेस, जागो भाजपा, यह कैसी वसूली है।

सत्य से साक्षात्कार

✒️संजय त्रिपाठी

अचानक यह खबर चली सैकड़ो कर्मचारियों की टीम ने वार्ड क्रमांक 22 में छापा मारा है, लगा मानो एसटीएफ किसी आतंकवादी को ढूंढ रही हो, जांच करी, तो पता चला महान इंदौर नगर निगम की टीम ने वार्ड क्रमांक 22 पर वसूली के लिए छापा मार दिया है, स्टाइल ऐसी मानो भाजपा को वोट देने वाली जनता के घरों पर अपराधियों की तरह पानी के जलकर, संपत्ति कर, और मकान के नक्शे की भी जांच हो रही हैं, वातावरण ऐसा हो गया कि आम नागरिक सहम गए और डर गए, महिलाएं और बच्चे घबरा से गए, बाकायदा वसूली का ढिंढोरा पीटा गया, टारगेट सेट कर दिए गए है।

*पानी के जो बोरिंग के नल लोगों ने घरों में अंदर कर लिए थे, उनका बिल थमा दिया गया, अरे छोटे से घर में परिवार की आवश्यकता पूर्ति का पानी नहीं आ रहा है, तभी तो वह बोरिंग से पानी भरता है नहीं तो क्या नर्मदा जल से ही उसका पूरा काम नहीं हो जाता?नागरिक सुविधाओं के नाम पर संपत्ति कर स्व निर्धारण जैसी योजनाओं को किनारे कर बकाया थमा दिया गया, और यह सब दीपावली के दौर में सनातन का ढोल पीटने वालों की सरकार के राज के दौरान हो रहा है।*

*इंदौर नगर निगम के कर्मचारी और राजनीतिक नेताओं का, अधिकारियों का बहुत बड़ा वर्ग जो बाहर से आकर यहां सेट हो जाता है, उनका तुगलगी निर्णय है, या फिर उन अधिकारियों का जो 3 साल के लिए मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी पर हुकूमत करने आते हैं पता नहीं?*

*आम जनता का प्रश्न यह है क्या निगम की टीम ने संयुक्त रूप से छापा ऐसी जगह क्यों नहीं मारा जहां पर बरसात के दौरान कितने नलों में गंदा पानी आता है, सड़कों पर गड्ढा खोद दिया जाता है, जहां पानी भर जाता है, इसके लिए जिम्मेदारों के घर छापा क्यों नहीं* 

 *पैसा पूरा लेते हो फिर पानी एक दिन छोड़कर क्यों आता है।*

*छापा उन अधिकारियों , नेताओं के घर क्यों नहीं मारा जो पूरे शहर की गड्ढेदार सड़कों को ठीक करने में असफल रहे*

*सबसे पहले तो छापा सारे पार्षदों सभी दलों के नेताओं, सभी निगम कर्मचारियों और अधिकारियों के घरों पर छापा मारो 80% पानी की अवैध लाइन, संपत्ति कर की कमी तो यहीं पर मिलेगी।*

*जनता यह भी पूछ रही है उन अधिकारियों का क्या हुआ, जिन्होंने निगम खाते में गड़बड़ी करके 100 करोड रुपए से अधिक का घोटाला किया।*

*जो लोग इंदौर की आम जनता की समस्याओं का निराकरण नहीं कर पाए उनके घरों पर कौन छाप मारेगा*

*इंदौर के विकास के लिए जो करोड़ों रुपए राज्य सरकार से लेने हैं, उसे लाने के लिए कौन छापा मारेगा, सत्ता के लालची जनप्रतिनिधियों में इतना दम नहीं कि वह इंदौर के अधिकारों के लिए लड़ सके इंदौर के विकास का पैसा भोपाल से नहीं ला पा रहे हैं ?*

यह सब हो रहा है, ऐसे शहर में, "जहां के प्रभारी मंत्री स्वयं मुख्यमंत्री हैं''

ऐसा लगा मानो कोई आतंकवादी घेरा जा रहा हो, दहशत का वातावरण बन गया था, आम जनता और वह लोग जो कम पानी आने पर अपने परिवार के लिए जुगाड़ कर लेते हैं, नोटिस लिए घूम रहे हैं, अरे उनके यहां छापा क्यों नहीं मारते जो आम जनता के मकान का नक्शा बिना पैसे लिए पास ही नहीं करते? इंदौर का आम आदमी यह क्यों बोलता है, निगम की हजारों रुपए की फीस के बाद हजारों रुपए की रिश्वत क्यों आम जनता नक्शा पास करने वाले निगम कर्मचारियों, नेताओं, अधिकारियों को देती है?

एक बार छापा अपने संपत्ति कर के दरोगाओं, अधिकारियों और नक्शे विभाग के कर्मचारियों अधिकारियों के घर भी मारे निगम तो संपत्ति कर और जल कर से ज्यादा पैसा वसूल हो जाएगा

प्रश्न यह है कि दीपावली से छोटी दीपावली के बीच त्यौहार के मौसम में, जब आम आदमी अपना सारा पैसा त्यौहार में पुताई में कपड़ों में खर्च कर देता है इस दौरान यह अवैध वसूली क्यों की जा रही है"वह भाजपा जो खुद को जनता की पार्टी कहती है, उसके संगठन के नेता क्यों चुप्पी साधे हैं? जनप्रतिनिधियों की क्या हालत है, हमें पता ही है?ऐसे समय में प्रतिपक्ष क्या कर रहा है, क्यों चुप है चिंटू चौकसे, क्यों चुप है, जीतू पटवारी, क्यों चुप है सज्जन वर्मा, क्यों चुप है दिग्विजय सिंह, तुम विपक्ष का धर्म क्यों नहीं निभाते हो, अब जनता को भाजपा से अधिक तुमसे उम्मीद है।

Post a Comment

Previous Post Next Post