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श्रेयस अय्यर को Spleen Laceration, कितनी खतरनाक होती है ये चोट, ठीक होने में कितना समय लगता है Shreyas Iyer suffers a Spleen Laceration, how dangerous is this injury, and how long does it take to heal?


भारतीय वनडे टीम के उप-कप्तान श्रेयस अय्यर अस्पताल में भर्ती हैं. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सिडनी क्रिकेट ग्राउंड में कैच लेने के दौरान श्रेयस अय्यर गिर गए थे, जिसके बाद उन्हें मैदान से बाहर ले जाया गया था. अस्पताल में उनको आईसीयू में रखा गया था.हालांकि अब वह आईसीयू से बाहर आ गए हैं , सीटी स्कैन से पता चला था कि अय्यर को Spleen Laceration हुआ है. इस वजह से उनको तुरंत आईसीयू में भर्ती कराया गया था. अब वह रिकवर कर रहे हैं.



Spleen Laceration क्या होता है. ये कैसे होता है और रिकवरी में कितना समय लगता है. क्या खिलाड़ी को इस चोट के बाद भविष्य में कोई स्वास्थ्य समस्या होती है. ऐसे सवालों का जवाब जानने के लिए हमने एक्सपर्ट्स से बातचीत की है.


दिल्ली के अपोलो अस्पताल में स्पोर्ट्स और स्पाइन आर्थोपेडिक विभाग में वरिष्ठ सर्जन डॉ. यश गुलाटी बताते हैं किस्प्लीन लेसरेशन का मतलब होता है कि स्प्लीन यानी शरीर की तिल्ली में इंजरी होना. इसको स्प्लीन का फटना या उसमें हल्की दरार भी कह सकते हैं.यह इंजरी छोटी या बड़ी भी हो सकती है. अगर ये घाव गहरा होता है तो इससे इंटरनल ब्लीडिंग भी हो सकती है, जो खतरनाक होता है. ऐसी स्थिति में मरीज को आईसीयू में भर्ती करना पड़ता है.

डॉ गुलाटी बताते हैं कि स्प्लीन में इंजरी सड़क हादसे पेट पर गंभीर चोट या फिर खेल के दौरान हो जाती है. इसके कुछ लक्षण भी दिखाई देते हैं. इसमें तुरंत पेट के बाएं ऊपरी हिस्से में तेज दर्द या दबाव महसूस होता है. ये दर्द कंधे तक जा सकता है.अगर किसी एक्सीडेंट या गिरने के बाद ये लक्षण दिखें, तो यह मेडिकल इमरजेंसी है. स्प्लीन इंजरी के मामले में तुरंत अस्पताल में भर्ती होना जरूरी है.

कैसे होती है स्प्लीन इंजरी की पहचान

डॉ यश बताते हैं कि ऐसे लक्षणों के साथ ट्रामा सेंटर या अन्य विभाग में भर्ती हुए मरीज का सबसे पहले अल्ट्रासाउंड किया जाता है. ताकि अंदर खून बहा है या नहीं यह पता चल सके. इसके बाद सीटी स्कैन भी किया जा सकता है. उससे पता चलता है कि स्प्लीन का कौन-सा हिस्सा फटा है और चोट कितनी गहरी है. इसके साथ ही देखा जाता है कि कहीं इंटरनल ब्लीडिंग तो नहीं हो रही है. अगर ऐसा है तो हीमोग्लोबिन और हेमाटोक्रिट देखकर पता चलता है कि कितना खून बहा है. इन सभी जांच के बाद ट्रीटमेंट शुरू किया जाता है. यह इस बात पर निर्भर करता है कि चोट हल्की है या गहरी.

चोट हल्की है तो ज्यादा खतरा नहीं होता है और अगर गहरी है तोब्लड ट्रांसफ्यूज़न तक की जरूरत पड़ सकती है. कुछ मामलों में सर्जरी करनी पड़ती है. इसमें स्प्लीन को हटाना पड़ सकता है.

डॉ दिनेश कहते हैं कि अगर समय पर इलाज न मिले तो स्प्लीन इंजरी जानलेवा हो सकता है. इसलिए किसी भी पेट की चोट के बाद ब्लीडिंग या बाईं ओर दर्द को नज़रअंदाज़ न करें.

रिकवरी में कितना समय लगता है?

जयपुर के एसएमएस अस्पताल में ट्रामा सर्जन डॉ दिनेश गोरा बताते हैं कि रिकवरी में कितना समय लगेगा यह इस बात पर निर्भर करता है कि चोट कितनी गहरी है. अगर हल्की इंजरी है तो 2 से 3 हफ्ते में पूरी तरह ठीक हो जाते हैं. अगर गंभीर है तो 46 हफ्ते तक आराम करने की सलाह दी जाती है. इसके अलावाभारी वजन उठाना या खेलकूद से बचने को भी कहा जाता है. इस दौरान नियमित रूप से डॉक्टर की सलाह पर ही खानपान करना होता है.

सही समय पर इलाज जरूरी

डॉ दिनेश कहते हैं कि स्प्लीन की चोट में जल्द से जल्द इलाज होना जरूरी है. अगर ब्लीडिंग हो गई और व्यक्ति अस्पताल न पहुंचे तो ये खतरनाक हो सकता है. अच्छी बात यह है कि इस मामले में तुरंत अस्पताल लेकर आईसीयू मे एडमिट कराया गया. इससे किसी बड़े खतरे की आशंका कम हो गई.

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