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भाजपा प्रदेश इकाई के गठन में शिवराज की वापसी, मोहन यादव की बिदाई ?Shivraj's return, Mohan Yadav's departure in the formation of BJP state unit?

 भारतीय जनता पार्टी (BJP) की प्रदेश इकाई के गठन के बाद इंदौर विकास प्राधिकरण (IDA) के अध्यक्ष (Chairman) पद पर नियुक्ति के समीकरण बदल गए हैं। अब नए समीकरण में पूर्व विधायक सुदर्शन गुप्ता (Sudarshan Gupta) और भाजपा युवा मोर्चा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष जीतू जिराती (Jeetu Jirati) मुख्य दावेदार के रूप में उभरकर सामने आए हैं।

जब तक भाजपा की प्रदेश इकाई का गठन नहीं हुआ था, उस समय तक यह माना जा रहा था कि इंदौर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष पद पर गौरव रणदिवे का रास्ता साफ है। भाजपा के नगर अध्यक्ष पद पर कार्यकाल पूरा करने के बाद से गौरव भी व्यवस्थापन का इंतजार कर रहे थे। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष पद पर हेमंत खंडेलवाल की नियुक्ति के बाद जब वह पहली बार इंदौर आए, तब गौरव ने अपने दो साथियों एकलव्य सिंह गौड़ और सावन सोनकर के साथ मिलकर पूरे शहर को होर्डिंग, बैनर, पोस्टर से पाट दिया था।

इसका इनाम गौरव को कल प्रदेश इकाई के गठन में मिल गया। उन्हें प्रदेश महामंत्री जैसे महत्वपूर्ण पद पर नियुक्त किया गया है। अब इंदौर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष पद की दौड़ से गौरव के बाहर हो जाने के बाद इस पद के समीकरण भी बदल गए हैं। अब सीधे तौर पर पूर्व विधायक जीतू जिराती और सुदर्शन गुप्ता इस पद की दौड़ में सबसे आगे हैं। इसके साथ ही वरिष्ठ नेताओं में से गोपीकृष्णा नेमा भी इस पद पर आने के लिए जोर लगाते हुए नजर आ रहे हैं। जिस तरह से प्रदेश इकाई का गठन हुआ है, उसे देखते हुए अब यह लगता है कि जल्द ही इंदौर सहित बचे हुए शहरों की इकाई भी घोषित कर दी जाएगी।

शिवराज समर्थकों को मिली तवज्जो

भाजपा की नई प्रदेश इकाई के गठन में प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के समर्थकों को तवज्जो मिली है। इंदौर से महामंत्री बनाए गए गौरव रणदिवे मुख्य रूप से शिवराज के ही समर्थक हैं। इसके साथ ही प्रदेश इकाई में लिए गए डॉ निशांत खरे भी शिवराज खेमे से ही आते हैं। पार्टी के प्रदेश किसान मोर्चा के अध्यक्ष बनाए गए जयपाल सिंह चावड़ा को भी पार्टी के संगठन मंत्री के पद से निवृत्त होने के बाद शिवराज सिंह चौहान द्वारा ही इंदौर विकास प्राधिकरण का अध्यक्ष बनाया गया था।

इंदौर को मिला पर्याप्त प्रतिनिधित्व

भाजपा की प्रदेश इकाई में इंदौर को पर्याप्त प्रतिनिधित्व मिल गया है। प्रदेश इकाई का गठन के समय पर जितने नेताओं को प्रतिनिधित्व मिलने की उम्मीद नहीं थी, उससे ज्यादा नेताओं को इस इकाई में स्थान मिल गया है।

महामंत्री पद पर किया बैलेंस

वैसे तो भाजपा की प्रदेश इकाई में हमेशा तीन ही महामंत्री होते हैं। पिछली बार की इकाई में इस संख्या को बढ़ा दिया गया था। इस बार चार महामंत्री बनाए गए हैं। इनमें से अनुसूचित जाति, आदिवासी, ओबीसी और सामान्य वर्ग से एक-एक महामंत्री बनाकर बैलेंस कर लिया गया है।

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