जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की खंडपीठ यूट्यूबर की उस याचिका पर विचार कर रही थी, जिसमें उक्त खुलासे को लेकर उसके खिलाफ शुरू की गई आपराधिक कार्यवाही रद्द करने की मांग की गई। माफ़ी मांगने के अलावा, कोर्ट ने उससे कुछ आर्थिक दान देने पर भी विचार करने को कहा, क्योंकि उसने उस वीडियो से पैसे कमाए, जिससे पीड़िता की पहचान उजागर हुई
जस्टिस कांत ने कहा, "बच्चे की पहचान उजागर हो गई, हम यह नहीं कह रहे कि आपने खुलासा किया...तो हो सकता है अनजाने में, जानबूझकर नहीं...हम आपको संदेह का लाभ दे रहे हैं। लेकिन गलती हुई। गलती के लिए आप बिना शर्त माफ़ी मांगने के बारे में सोच सकते हैं...और आपने चैनल पर पैसा कमाया है, उसमें से कुछ दान करें...कोई बाध्यता नहीं है, लेकिन आप [इसके बारे में सोच सकते हैं]"। खंडपीठ की ओर से जो कहा जा रहा था, उसे देखते हुए पालकरन के वकील ने बताया कि बिना शर्त माफ़ी पहले ही मांगी जा चुकी है। उन्होंने मामले का निपटारा करने की प्रार्थना की। हालांकि, खंडपीठ ने राज्य का पक्ष सुने बिना ऐसा करने से इनकार कर दिया। 1 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई पर रोक लगाई, क्योंकि उसका मानना था कि पुलिस अधिकारी पालकरन पर "मुकदमा चलाने" के बजाय "उसे प्रताड़ित" कर रहे थे।

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