कर्नाटक हाईकोर्ट ने शुक्रवार को पुलिस को निर्देश दिया कि वे इलेक्ट्रिक वाहन कंपनी ओला इलेक्ट्रिक के सीईओ भविष्य अग्रवाल और कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी सुब्रत कुमार दास को आत्महत्या मामले की जांच के नाम पर परेशान न करें। यह मामला ओला इलेक्ट्रिक के 38 साल के एक इंजीनियर के. अरविंद की आत्महत्या से जुड़ा है, जिन्होंने कथित रूप से अपनी सुसाइड नोट में कंपनी के वरिष्ठ अधिकारियों पर मानसिक उत्पीड़न और आर्थिक शोषण का आरोप लगाया था।
मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति मोहम्मद नवाज की एकल पीठ ने की। अदालत ने कहा, "बेंगलुरु शहर के सुब्रमण्यपुरा पुलिस स्टेशन में दर्ज अपराध संख्या 372/2025 के मामले में जांच कर रही पुलिस याचिकाकर्ताओं को जांच के बहाने परेशान नहीं करेगी।"
यह आदेश ओला इलेक्ट्रिक के संस्थापक भविष्य अग्रवाल और होमोलोगेशन इंजीनियरिंग प्रमुख सुब्रत कुमार दास द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया गया। दोनों ने एफआईआर रद्द करने की मांग की थी, जिसमें उन पर आत्महत्या के लिए उकसाने (धारा 108, भारतीय न्याय संहिता 2023) का आरोप लगाया गया है।
पुलिस ने यह एफआईआर 6 अक्टूबर को दर्ज की थी। शिकायत अरविंद के भाई अश्विन कन्नन ने दर्ज कराई थी, जिसमें आरोप लगाया गया कि ओला इलेक्ट्रिक में नौकरी के दौरान अरविंद को मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया और उनकी सैलरी व भत्ते रोके गए, जिसके चलते उन्होंने आत्महत्या कर ली।
शिकायत के अनुसार, अरविंद ने 28 सितंबर को बेंगलुरु के चिकलासंद्रा स्थित अपने घर में जहर खाकर आत्महत्या कर ली थी। परिवार का दावा है कि उनकी मृत्यु के दो दिन बाद 17,46,313 रुपये उनके बैंक खाते में ट्रांसफर किए गए, जिसे उन्होंने संदिग्ध बताया।
परिवार के मुताबिक, सुसाइड नोट में स्पष्ट रूप से भविष्य अग्रवाल और सुब्रत कुमार दास के नाम लिखे गए हैं और उन्हें इस त्रासदी के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है।
हाईकोर्ट ने अब राज्य सरकार और शिकायतकर्ता अश्विन कन्नन दोनों से इस मामले में जवाब दाखिल करने को कहा है
आपको बता दें कि के. अरविंद 2022 से ओला इलेक्ट्रिक में होमोलोगेशन इंजीनियर के रूप में कार्यरत थे। अगली सुनवाई की तारीख अभी तय नहीं की गई है, लेकिन अदालत का अंतरिम आदेश फिलहाल भविष्य अग्रवाल और सुब्रत दास को बड़ी राहत प्रदान करता है।

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