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सुप्रीम कोर्ट ने कॉलेजों को स्टाइपेंड डिटेल्स का खुलासा करने के निर्देश का पालन न करने पर NMC को फटकार लगाई, कहा- 'नींद से जागो The Supreme Court reprimanded the NMC for not complying with the directive to disclose stipend details to colleges, saying, "Wake up from your slumber."

मेडिकल स्टूडेंट्स को स्टाइपेंड न दिए जाने से संबंधित कई मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय मेडिकल आयोग (NMC) की जुलाई में जारी अपने ही निर्देश का पालन न करने पर कड़ी आलोचना की, जिसमें सभी मेडिकल कॉलेजों और संस्थानों को सात दिनों के भीतर स्टाइपेंड डिटेल अनिवार्य रूप से प्रकट करने का निर्देश दिया गया। जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एनवी अंजारिया की खंडपीठ ने NMC को दो सप्ताह के भीतर अनुपालन हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया। खंडपीठ ने टिप्पणी की कि उम्मीद है कि NMC "नींद" से जागेगा और अपने ही निर्देशों का पालन करेगा।



इसने आदेश दिया: "NMC के आचरण की निंदा की जानी चाहिए, क्योंकि ट्रेनीज़ को स्टाइपेंड का भुगतान इस न्यायालय में लंबे समय से लंबित है। फिर भी NMC बिना किसी गंभीर विचार के अपने कदम पीछे खींच रही है। इसलिए हमें यह टिप्पणी करने के लिए बाध्य होना पड़ रहा है। हमें उम्मीद और विश्वास है कि NMC अपनी नींद से जागेगी और 11.07.2025 के अपने स्वयं के संचार में बताए गए अनुसार, कम से कम अगली सुनवाई की तारीख तक उचित कदम उठाएगी। NMC एक हलफनामा भी दायर करेगी, जिसमें उन मेडिकल कॉलेजों/संस्थानों की सूची संलग्न होगी, जिन्होंने 11.07.2025 के संचार में बताए गए विवरण प्रकाशित किए और इस न्यायालय के अवलोकनार्थ उसकी प्रति भी प्रस्तुत करेगी। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव यह सुनिश्चित करेंगे कि NMC 11.07.2025 के संचार में बताए गए निर्देशों का पालन करेगी।"

सुप्रीम कोर्ट उन याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है, जिनमें विदेशी मेडिकल स्टूडेंट्स सहित कई मेडिकल स्टूडेंट्स ने यह मुद्दा उठाया कि उन्हें इंटर्नशिप के लिए वजीफा नहीं दिया गया। पूर्व चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने सितंबर, 2023 में NMC को सारणीबद्ध चार्ट दाखिल करने और यह बताने का निर्देश दिया कि (i) क्या मेडिकल इंटर्न के लिए NMC न मिलने संबंधी बयान सही है और (ii) इंटर्नशिप वजीफा देने के नियमों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए NMC क्या कदम उठा रहा है। हालांकि, 1 अप्रैल, 2024 को खंडपीठ ने पाया कि NMC ने अभी तक ये विवरण नहीं दिए और एक बार फिर विवरण मांगा।


कुछ याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश एडवोकेट तन्वी दुबे ने मंगलवार को दलील दी कि NMC ने स्टाइपेंड भुगतान के लिए 11 जुलाई, 2025 के अपने पत्र का पालन नहीं किया। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय का प्रतिनिधित्व एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने किया। 11 जुलाई को NMC ने विभिन्न नियमों के अनुपालन और सुप्रीम कोर्ट के 1 अगस्त के आदेश के आलोक में निष्पक्ष, नैतिक और पारदर्शी कार्यप्रणाली को बढ़ावा देने के उद्देश्य से अपने अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले कॉलेजों से शुल्क संरचना और मेडिकल स्टाइपेंड का अनिवार्य प्रकटीकरण करने की मांग की। इसने मेडिकल कॉलेजों/संस्थानों को स्टाइपेंड और शुल्क संरचना का विवरण भरने के लिए गूगल लिंक भरने हेतु 7 दिनों का समय दिया।

पत्र में स्पष्ट रूप से कहा गया कि उसके आदेश का पालन न करने पर नियामक कार्रवाई की जाएगी, जिसमें कारण बताओ नोटिस, वित्तीय दंड लगाना, पाठ्यक्रम की मान्यता रद्द करना और प्रवेश निलंबित करना शामिल है। न्यायालय ने मौखिक रूप से अपनी चिंता दोहराई कि मेडिकल स्टूडेंट्स से 18 घंटे से अधिक काम करवाने के बावजूद, उन्हें स्टाइपेंड नहीं दिया जा रहा है, जो कि उनके लिए मूल अधिकार है। जस्टिस कुमार ने NMC के वकील, एडवोकेट शशांक मनीष से पूछा कि क्या उन्होंने अपने पत्र का पालन किया। दुबे ने दलील दी कि डॉक्टरों को स्टाइपेंड देने से अनुचित रूप से इनकार किया जा रहा है और इसमें भारी देरी हो रही है। उन्होंने दलील दी कि रिट याचिका दायर करने वाला बैच भी ग्रेजुएट हो चुका है, फिर भी अधिकारियों ने कोई कदम नहीं उठाया। इसलिए उन्होंने मामले का शीघ्र निपटारा करने का अनुरोध किया। इसके बाद अदालत ने NMC को दो सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया।

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