भोपाल : मध्य प्रदेश में ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई एक बार फिर टल गई. सुप्रीम कोर्ट में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मामले के तकनीकी पक्ष को समझने का हवाला देते हुए कोर्ट से और वक्त देने की मांग की. इसके बाद मामले की सुनवाई को नंबवर माह के पहले हफ्ते तक के लिए टाल दिया गया है. इस मामले में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने आरोप लगाया "प्रदेश की मोहन सरकार फैसले को सुलझाना ही नहीं चाहती."
सरकार की तरफ से फिर मांगा गया समय
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान सरकार के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने एक बार फिर कोर्ट से समय दिए जाने का आग्रह किया. उन्होंने कहा "इसमें कई तकनीकी पहलू हैं, जिनको समझने के लिए थोड़ा और वक्त की जरूरत है." 8 अक्टूबर को हुई सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से तुषार मेहता ने मामले की सुनवाई को 9 अक्टूबर को किए जाने का आग्रह किया था.
बार-बार सुनवाई को टाले जाने को लेकर कांग्रेस ने प्रदेश सरकार की मंशा पर सवाल खड़े किए हैं. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा "एक दिन पहले मैं सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट गया था. हमारी तरफ से नामी वकील अभिषेक मनु सिंघवी ओबीसी आरक्षण की पैरवी कर रहे हैं. बार-बार सुनवाई टाले जाने से ओबीसी समाज को यह मैसेज जा रहा है कि प्रदेश की सरकार ओबीसी का आरक्षण चाहते ही नहीं है. पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा था कि आप इस पूरे मामले को सुलझाना चाहते ही नहीं हो. निर्णय तक ले जाने देना नहीं चाहते."
सरकार ने वकीलों को दिए 100 करोड़ रुपये
पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने आरोप लगाया "27 फीसदी आरक्षण के मामले में सरकार की नीति है कि कैसे भी सुनवाई आगे बढ़े. इस पर तर्क ही न हो और निर्णय तक मामला नहीं जाए. इसलिए सरकार ने 100 करोड़ रुपए वकीलों को दिए हैं. सरकार ने ओबीसी मामले में सर्वदलीय बैठक बुलाई थी, वह सिर्फ एक नाटक था. कांग्रेस को भी सरकार अपने पाप में शामिल करना चाहती थी, लेकिन कांग्रेस उस पाप में शामिल नहीं हुई."
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केस को वापस हाई कोर्ट भेज सकती है सुप्रीम कोर्ट
बुधवार को हुई मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को फिर से हाई कोर्ट में लौटाने के संकेत दिए हैं. जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस अतुल एस चंदुरकर की बेंच ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा था "राज्य विशिष्ट आरक्षण का यह मामला है और हाई कोर्ट राज्य की परिस्थितियों, जरूरतों और मुद्दों को बेहतर तरीके से समझता है."
उधर, सुनवाई के दौरान ओबीसी महासभा की तरफ से कोर्ट में हाई कोर्ट द्वारा रोके गए 13 फीसदी सरकारी पदों को खोलने की अनुमति दिए जाने की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने साफ कहा कि हम कोई अंतरिम आदेश पारित नहीं करेंगे.

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