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शराब घोटाला मामलाः पूर्व सीएम भूपेश बघेल के बेटे पहुंचे सुप्रीम कोर्ट, गिरफ्तारी को दी चुनौतीLiquor scam case: Former CM Bhupesh Baghel's son reaches Supreme Court, challenges his arrest

 छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल ने सुप्रीम

कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। चैतन्य बघेल ने शराब घोटाले के सिलसिले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया है। चैतन्य बघेल 18 जुलाई से न्यायिक हिरासत में हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने उन्हें शराब कारोबार से जुड़ी अनियमितताओं और अवैध कमाई को सफेद धन में बदलने के आरोप में गिरफ्तार किया था।बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, चैतन्य बघेल ने मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करने के लिए धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रमुख प्रावधानों की आलोचना करते हुए एक अलग याचिका भी दायर की है। दोनों याचिकाएं आज के लिए न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉय बागची की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध हैं।


शराब घोटाले में राजनेता, आबकारी अधिकारी और निजी ऑपरेटर शामिल थे। जिन्होंने 2019 और 2022 के बीच राज्य के शराब व्यापार में हेरफेर किया। जिसका अनुमानित मूल्य 2,000 करोड़ रुपये से ज्यादा बताया गया है।पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य पर फर्जी कंपनियों और रियल एस्टेट निवेश के माध्यम से अपराध की आय का एक हिस्सा वैध बनाने का आरोप है।

संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत दायर अपनी रिट याचिका में चैतन्य बघेल ने पीएमएलए की धारा 50 और 63 की संवैधानिक वैधता पर सवाल उठाया है। याचिका के अनुसार, ये प्रावधान प्रवर्तन निदेशालय को दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के तहत उपलब्ध प्रक्रियात्मक सुरक्षा के बिना व्यक्तियों को आत्म-दोषी बयान देने के लिए मजबूर करने का अधिकार देते हैं।

अपनी अलग विशेष अनुमति याचिका में चैतन्य बघेल ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के 17 अक्टूबर के आदेश को चुनौती दी है, जिसमें गिरफ्तारी के खिलाफ उनकी याचिका खारिज कर दी गई थी। हाई कोर्ट ने कहा था कि यद्यपि ईडी ने क्षेत्राधिकार वाली अदालत की अनिवार्य अनुमति के बिना आगे की जांच की, लेकिन यह केवल एक प्रक्रियागत अनियमितता थी। इसलिए, न्यायालय ने बघेल को राहत देने से इनकार कर दिया।

चैतन्य बघेल की अपील में तर्क दिया गया है कि प्रक्रियागत अनियमितता के कारण पूरी प्रक्रिया अमान्य हो जाती है और गिरफ्तारी अवैध हो जाती है। उन्होंने आगे आरोप लगाया कि 18 जुलाई को उनकी गिरफ्तारी केवल सह-आरोपी व्यक्तियों के दबावपूर्ण बयानों पर आधारित थी, जबकि गंभीर आरोपों का सामना कर रहे कई अन्य लोगों को गिरफ्तार नहीं किया गया। इस सप्ताह की शुरुआत में रायपुर की एक विशेष पीएमएलए कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी। कोर्ट ने कहा था कि जांच महत्वपूर्ण चरण में है।

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