आयाम बजाज मुंबई
अभिनेता विशाल जेठवा ने हाल ही में फिल्म 'होमबाउंड' में मुख्य भूमिका निभाई। फिल्म और उनके अभिनय को क्रिटिक्स ने खूब सराहा। आयाम बजाज ने अभिनेता से उनके अब तक के सफर पर खास बातचीत की…
होमबाउंड’ के लिए ऑडिशन का सफर आपके लिए कैसा रहा?
पहले मैंने शोएब के रोल के लिए ऑडिशन दिया था, पर उसमें मेरा चयन नहीं हुआ। बाद में चंदन का किरदार मिला और तीन राउंड ऑडिशन देने के बाद, मेरी मेहनत रंग लाई। धर्मा के ऑफिस में मेरी और ईशान खट्टर की केमिस्ट्री देखकर तय हुआ कि मैं चंदन के लिए सही पसंद हूं।
होमबाउंड’ के लिए ऑडिशन का सफर आपके लिए कैसा रहा?
पहले मैंने शोएब के रोल के लिए ऑडिशन दिया था, पर उसमें मेरा चयन नहीं हुआ। बाद में चंदन का किरदार मिला और तीन राउंड ऑडिशन देने के बाद, मेरी मेहनत रंग लाई। धर्मा के ऑफिस में मेरी और ईशान खट्टर की केमिस्ट्री देखकर तय हुआ कि मैं चंदन के लिए सही पसंद हूं।
कोई ऐसा सीन जो आपकी असली जिंदगी से जुड़ता हो?शूटिंग के दौरान कई बार मुझे अपने किरदार से जुड़ने का मौका मिला और कुछ सीन मेरे असली अनुभवों को दर्शाते थे। मैंने अपनी पहचान को स्वीकार करना सीखा, लेकिन शुरुआत में मुझे एहसास नहीं था कि यह प्रक्रिया मेरे लिए कितनी चुनौतीपूर्ण होगी। मेरे किरदार के कुछ पहलू ऐसे थे, जिन्हें मैं पूरी तरह से स्वीकार नहीं कर पा रहा था। बिल्कुल वैसे ही जैसे असली जिंदगी में कभी-कभी हम खुद को पूरी तरह स्वीकार नहीं कर पाते।
शुरुआत में बॉलीवुड में फिट न होने का एहसास कैसा था?शुरुआत में मुझे लगता था कि मैं बॉलीवुड में फिट नहीं हूं। बाकी लोग आसानी से सब संभाल लेते हैं। उनकी भाषा, अंदाज और कॉन्फिडेंस… और मैं उनके सामने खुद को सही तरीके से दिखा नहीं पा रहा था। मैं उनके हिसाब से खुद को कम समझता था और कभी-कभी मिसफिट सा महसूस करता था। लेकिन धीरे-धीरे मुझे एहसास हुआ कि मैं अलग नहीं हूं। मैंने खुद को जैसे हूं, वैसे स्वीकार कर लिया। जब मैंने खुद को एक्सेप्ट किया, तो दोस्तों और सोशल मीडिया से भी सपोर्ट मिला। मुझे समझ आया कि अपनी पहचान को अपनाना ही सबसे बड़ी जीत है। अब मैं अपने आप पर गर्व महसूस करता हूं। मैं खुश हूं कि मैंने अपने तरीके से खुद को अपनाया।
बड़े ऑफर्स के बावजूद आप कोई किरदार कैसे चुनते हैं?सच कहूं तो, मुझे फिल्मों में ऑफर्स आते रहे, लेकिन मैं हमेशा सोच-समझकर ही रोल्स चुनता हूं। कई फिल्म्स गंभीर और इंटेंस सब्जेक्ट्स पर होती हैं, तो शायद उन्हें लगता था कि मैं सेफ चॉइस हूं। लेकिन मैं चाहता था कि अपने काम में एक्सपेरिमेंट करूं। इस फिल्म में भी शुरुआत में डर था, क्योंकि रोल डिमांडिंग था, लेकिन 'सलाम वेंकी' में मैंने अलग अवतार में काम करके लोगों को अपनी काबिलियत दिखाई थी। इस प्रोसेस ने मुझे यह सिखाया कि एक एक्टर को सिर्फ टाइपकास्ट नहीं होना चाहिए। मीडियम चाहे टीवी हो या फिल्म, हमें हमेशा एक्टिंग के नजरिए से देखा जाना चाहिए।
ईशान और जान्हवी के साथ काम का सबसे यादगार पल कौन सा रहा?ईशान और जान्हवी के साथ काम करना बहुत शानदार अनुभव रहा। उनकी परवरिश और जीवन मेरे से काफी अलग हैं, लेकिन उन्होंने मेरे नजरिए का पूरा सम्मान किया। इससे मुझे यह समझ में आया कि किसी की अलग जर्नी होने का मतलब यह नहीं कि काम हमेशा मुश्किल या दबाव भरा है। हम सहज होकर काम कर पाए और एक-दूसरे को सपोर्ट करते रहे।
जब पता चला फिल्म ऑस्कर के लिए चुनी गई, तब आपकी पहली प्रतिक्रिया क्या थी?जब मुझे पता चला कि मेरी फिल्म ऑस्कर में भेजने के लिए चुनी गई है तो खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। सबसे पहले मैंने यह खबर अपनी मां को दी। फिर फैमिली ग्रुप में वीडियो कॉल कर सबको यह खबर सुनाई। लाइफ में पहली बार करण (जौहर) सर को सीधा कॉल किया, थोड़ी हिचकिचाहट हुई, लेकिन उन्होंने रिसीव किया और वीडियो कॉल पर डांस भी किया। यह पल इमोशनल, यादगार और लाइफ-चेंजिंग था। सच में, पूरी जर्नी का सबसे बड़ा रिवॉर्ड।
आपका ऐसा कौन-सा सपना है, जिसे पूरा करने की चाहत हमेशा रही है ?मेरा सपना हमेशा से यही रहा है कि मैं बड़े और चुनौतीपूर्ण प्रोजेक्ट्स में काम करूं। संजय लीला भंसाली की फिल्मों या लार्जर दैन लाइफ कमर्शियल सिनेमा का अनुभव करना चाहता हूं। यह सपना मेरे लिए अधूरी खुशी जैसा है, जिसे पूरी तरह अनुभव करना मेरे लिए खास होगा। टीवी और हिस्टोरिकल, मिथोलॉजिकल शोज ने मेरी एक्टिंग की बेसिक स्कूलिंग दी और मजबूत फाउंडेशन बनाया। संजय लीला भंसाली सर के साथ काम करने का सपना है। वैसे, अब जहां मैं हूं, मैं संतुष्ट और आभारी महसूस करता हूं कि मैं लगातार काम कर रहा हूं और अपने सपनों की तरफ बढ़ रहा हूं। छोटे-बड़े हर अनुभव मुझे क्रिएटिवली और पर्सनली संतुष्ट करते हैं।

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