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इंडियन आर्मी में कैसे भर्ती होते हैं कुत्ते, जानें कितनी मिलती है सैलरी और कब होते हैं रिटायर How dogs are recruited in the Indian Army, how much salary they get and when they retire

भारतीय सेना के डॉग स्क्वॉड में कई खास नस्ल के कुत्तों को शामिल किया जाता है, ये कुत्ते पूरी तरह से ट्रेंड होते हैं और हैंडलर के साथ साये की तरह चलते हैं.



भारतीय सेना के जवानों की जांबांजी के किस्से तो आपने कई बार सुने होंगे. हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय सेना ने पूरी दुनिया को अपनी ताकत दिखाई थी, लेकिन क्या आपने भारतीय सेना के जवानों के साथ काम करने वाले कुत्तों के बारे में सुना है? ये आम कुत्तों की तुलना में कई ज्यादा समझदार और तेज तर्रार होते हैं, यही वजह है कि कई अहम ऑपरेशन में ये सेना के लिए एक बड़े हथियार के तौर पर काम करते हैं. आज हम आपको बताएंगे कि सेना में कुत्तों को कैसे भर्ती किया जाता है और इन्हें कितनी सैलरी दी जाती है. साथ ही इन जांबाज कुत्तों के रिटायरमेंट और प्रमोशन की भी बात करेंगे. 

कुत्तों की होती है अलग यूनिट

सेना में जैसे जवानों की यूनिट होती है, वैसे ही कुत्तों की भी यूनिट होती हैं. हाफ यूनिट में 12 डॉग होते हैं और एक फुल यूनिट में 24 कुत्ते रखे जाते हैं. सेना में 30 से ज्यादा डॉग यूनिट्स हैं. जरूरत पड़ने पर इन्हें सेना के साथ ऑपरेशन में भेजा जाता है. जम्मू-कश्मीर और नक्सल इलाकों में इन कुत्तों का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है. 

किस काम आता है ये डॉग स्क्वॉड?

सेना में शामिल कुत्तों को गार्ड ड्यूटी के लिए भी रखा जाता है. 

सेना में मौजूद कुत्तों का इस्तेमाल आईईडी विस्फोटक का पता लगाने और हथियारों को सूंघने के लिए किया जाता है. 

बारूदी सुरंगों का पता लगाने और मलबे में दबे लोगों की पहचान भी ये कुत्ते आसानी से कर लेते हैं. 

कैसे होती है कुत्तों की भर्ती?

सेना में भर्ती होने वाले कुत्ते आमतौर पर उसी यूनिट के होते हैं, जो ट्रेनिंग सेंटर में पहले से मौजूद होती है. कुछ कुत्तों की ब्रीड को बाहर से भी लाया जाता है. इनका चुनाव उनकी ब्रीड के अलावा तेजी और सूंघने की क्षमता को देखकर होता है. जो कुत्ते ज्यादा समझदार और बुद्धिमान होते हैं, उन्हें ट्रेनिंग देकर तमाम चीजें सिखाई जाती हैं. करीब 10 महीने की कड़ी ट्रेनिंग के बाद कुत्ते वही करते हैं, जो उनका हैंडलर चाहता है, वो अपने हैंडलर के साथ एक साये की तरह चलते हैं. बहादुरी भरा काम करने के बाद उन्हें सम्मानित भी किया जाता है.

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