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राम मंदिर का लाइव टेलीकास्ट देखना अपराध नहीं; मद्रास HC ने रद्द कर दी FIR Watching live telecast of Ram Temple is not a crime; Madras HC quashes FIR

मद्रास उच्च न्यायालय ने कोयंबटूर में रामलला प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के सीधा प्रसारण के दौरान कथित रूप से सार्वजनिक उपद्रव करने के आरोप में दर्ज एक एफआईआर को रद्द कर दिया है। न्यायमूर्ति एन. सतीश कुमार की एकल पीठ ने कहा कि धार्मिक आयोजन के लिए एकत्र होना अवैध जमावड़ा नहीं माना जा सकता, जब तक कि उसमें किसी प्रकार की हिंसा या अपराध का तत्व न हो।



न्यायमूर्ति ने कहा कि अभियोजन पक्ष के दस्तावेजों से यह साबित नहीं होता कि आरोपियों ने बल प्रयोग किया, अपराध किया या किसी के अधिकारों में हस्तक्षेप किया। कोर्ट ने कहा, "केवल इसलिए कि कुछ समूहों ने आपत्ति जताई, किसी धार्मिक सभा को आपराधिक गतिविधि नहीं कहा जा सकता है

शिकायत के अनुसार, आरोपियों ने जनवरी 2024 में अयोध्या मंदिर में हुए रामलला प्राण प्रतिष्ठा समारोह का लाइव प्रसारण दिखाने के लिए कोयंबटूर स्थित एक मंदिर के बाहर एलईडी स्क्रीन लगाई थी। पुलिस ने दावा किया कि इससे ट्रैफिक जाम और भीड़भाड़ हुई। हालांकि, अदालत ने पाया कि एफआईआर में कोई ठोस आरोप या सबूत नहीं हैं जो यह साबित करें कि उन्होंने कानून-व्यवस्था भंग की।

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