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एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों...Friends, throw a stone with all your might...

 


      - गिरीश जोशी

पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने कहा था छोटे सपने देखना पाप है।युवाओं को तो हमेशा बड़े सपने देखना चाहिए। इस कथन को साकार किया 3 नवयुवकों ने। ये तीनों वर्तमान की पत्रकारिता के परिदृश्य में समयानुकूल बदलाव लाना चाहते हैं।  

पत्रकारिता में समाज के सरोकारों और समस्या के समाधानों को सामने लाने की आवश्यकता होती है। सरकार के जयकारे या सदा कटु आलोचना करने के अलावा समाज के हित की अनगिनत, अनसुनी, अनजानी बातों को बैखौफ सामने लाने के लिए अपने व्यवसायिक लाभों की बलि भी चढ़ानी पड़ती है। 

आज कुछ मीडिया संस्थान विज्ञापन के पीछे और कुछ पत्रकार पक्षकार बनते जा रहे हैं, इस कारण पत्रकारिता की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े करने का मौका लोगों को मिलता है। इसमें बदलाव लाने और पूर्वाग्रह — दुराग्रह के स्थान पर भारत का विचार समाज के केंद्र में, समाज की संवेदनशीलता बढ़ाने और व्यवस्था में बदलाव लाने की प्रेरणा से अंकित अंकित शर्मा,सौरभ कुमार और आशुतोष भार्गव Ashutosh Bhargava ने एक मीडिया स्टार्टअप शुरू करने का विचार किया। 

4 वर्ष पूर्व “आयुध” के नाम से ये स्टार्टअप शुरू किया गया। संसाधन नहीं थे, मीडिया के महासागर में बड़े - बड़े जहाज अनेक सालों से तैर रहे है। लेकिन इसके बावजूद ये निराश नहीं हुए। लगे रहे, जुटे रहे, मैदान में बने रहे।

अपने चार वर्षों की संघर्षमय यात्रा को पूरा करते हुए कल उन्होंने एक बड़ा कदम उठाया और "आयुध अपडेट्स " नाम से अपनी द्विमासिक पत्रिका लांच की ।

आयुध पत्रिका की लॉन्चिंग कल प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव, वरिष्ठ समाजसेवी, लेखक हेमंत मुक्तिबोध Hemant Muktibodh और विस्तार न्यूज के संपादक ज्ञानेंद्र तिवारी जी ने की। 


इस अवसर पर विशेष रूप से माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलगुरु Vijay Manohar Tiwari हिंदी साहित्य अकादमी के निदेशक डॉ विकास दवे, पूर्व जनसंपर्क निदेशक Lajpat Ahuja, Swadesh Bhopal के समूह संपादक Atul Tare , swadesh jyoti के Akshat Sharma के अलावा भोपाल के अनेक गणमान्यजन उपस्तिथ थे। 

कड़ी लगन, मेहनत और परिश्रम का ठान लेने के बाद भी अनेक बार ऐसे दौर आते हैं कि सब कुछ छोड़कर घर जाने का मन करता है लेकिन दुनिया के थपेड़े यदि अड़ंगे लगाते है तो हमारे सपने जिसमें एक मजबूत विचार का आधार भी जुड़ जाता है तो वही प्रेरित भी करता है।  


तीनो युवाओं ने मिलकर जो सपना देखा था तमाम मुश्किलों का सामना करते हुए उन्होंने जी जान काम करते हुए साकार कर दिखाया।

तीनों ने ये बात सिद्ध कर दी है कि अगर युवा अपने जीवन में कुछ करने की ठान ले,उनका संकल्प मजबूत हो तो वे क्या नहीं कर सकते। ये तीनों आज की युवा पीढ़ी के लिए आदर्श है। 

आज आयुध की टीम से जुड़ना सबके लिए गर्व की बात है।  

छोटे शहर से आंखों में सपना लेकर बड़े शहर में आना और प्राणप्रण से उसे पूरा करने में लग जाना ये आज केवल नौकरी पाने के दौर में दिखाई देना थोड़ा दूभर हो गया है। 

तीनो ने वो कर दिखाया है जो आज के दौर की जरूरत है वो ये कि हम केवल नौकरी पाने वाले ही न बने नौकरी देने वाले बने। बदलाव स्वयं से शुरू करना होता है। युवाओं की बात करते समय एक बात हमेशा कही जाती है कि कौन कहता है कि आसमां में सुराख नहीं हो सकता जरा एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो... इसी तर्ज पर अंकित, आशुतोष और सौरभ ने मिलकर अपना आयुध चलाया और पत्रकारिता के आसमान में एक सितारा रौशन किया है। 

आपको बहुत - बहुत बधाइयां और आयुध अपना काम लगातार, निरंतर, सतत, सफलता के साथ करता रहे यही मंगलकामनाएं।

   - गिरीश जोशी

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