लोकायुक्त पुलिस की जांच और उसके बाद की कार्यवाही के आधार पर आबकारी विभाग के प्रभारी उप आयुक्त (डिविजनल फ्लाइंग स्क्वाड) रीवा, आलोक खरे को निलंबित कर दिया गया। यह कार्रवाई उस समय सामने आई जब लोकायुक्त पुलिस द्वारा उनके खिलाफ दर्ज अवैध संपत्ति मामले में चार्जशीट दाखिल की गई। जानकारी के अनुसार, आलोक खरे जब इंदौर जिले में सहायक आबकारी आयुक्त के पद पर पदस्थ थे, तब भोपाल लोकायुक्त पुलिस ने उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के आरोप में मामला दर्ज किया था। बाद में वाणिज्यिक कर विभाग ने उनके विरुद्ध अभियोजन की अनुमति भी दे दी थी। लोकायुक्त पुलिस ने 8 अक्टूबर को इस मामले में भोपाल की अदालत में आरोपपत्र (चार्जशीट) पेश किया, जिसके बाद शासन ने उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। निलंबन अवधि के दौरान आलोक खरे को नियमानुसार जीवन निर्वाह भत्ता दिया जाएगा।
2019 में 150 करोड़ की बेनामी संपत्ति का हुआ था खुलासाबता दें लोकायुक्त ने 2019 में भोपाल, इंदौर, रायसेन और छतरपुर में आलोक खरे के सात ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की थी। इस दौरान करीब 150 करोड़ से अधिक की बेनामी संपत्ति का खुलासा हुआ था। छापों में नकदी, सोना, फार्महाउस, बंगले और पेंटहाउस के दस्तावेज बरामद हुए थे। जांच में यह भी सामने आया था कि रायसेन के फार्महाउस में फलों की खेती से आय दिखाने के बावजूद, जिन ट्रकों से फल परिवहन दिखाया गया, वे वास्तव में ऑटो रिक्शा के नंबर पर पंजीकृत थे।
तीन किलो सोना और कई आलीशान संपत्तियां मिली थींछापेमारी के दौरान तीन किलो सोना बरामद किया गया था। लोकायुक्त की जांच में भोपाल के चुनाभट्टी और बाग मुगालिया स्थित दो बड़े बंगले, कोलार में फार्महाउस की जमीन, और रायसेन जिले में दो फार्महाउस के दस्तावेज मिले थे। खरे की पत्नी द्वारा दाखिल आयकर विवरण में इन संपत्तियों से होने वाली आय को फलों की खेती के नाम पर दर्शाया गया था।

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