दोस्ती में भरोसा सबसे जरूरी चीज होती है लेकिन जब बात पैसों के लेन-देन की आती है, तो यही भरोसा कई बार दरार में बदल जाता है। अक्सर लोग यह सोचकर उधार दे देते हैं कि “दोस्त है, बाद में दे देगा।” पर जब पैसे लौटाने की बारी आती है, तो रिश्ते में कड़वाहट घुल जाती है। असल में गलती किसी एक की नहीं होती, बल्कि संवाद की कमी और सीमाओं की अस्पष्टता रिश्तों को मुश्किल बना देती है।
पैसे का लेन-देन सोच-समझकर करेंदोस्ती का मतलब यह नहीं कि आप अपनी आर्थिक स्थिति को नजरअंदाज कर दें। अगर कोई दोस्त उधार मांग रहा है, तो पहले अपनी क्षमता देखें। जितना आसानी से खो सकें, उतना ही दें। इससे रिश्ते पर दबाव नहीं बनता।
लिखित या डिजिटल रिकॉर्ड रखें आज के डिजिटल समय में “बोला गया” नहीं, बल्कि “लिखा गया” याद रहता है। UPI या बैंक ट्रांजैक्शन के ज़रिए लेन-देन करें ताकि बाद में असहज स्थिति न बने। अगर रकम ज़्यादा है, तो हल्के-फुल्के अंदाज में एक मैसेज या नोट लिख लें, यह “औपचारिकता” नहीं, “स्पष्टता” है।
बातचीत को ईमानदारी से करेंअगर आपको पैसे लौटाने में देर हो रही है, तो छुपने के बजाय बात करें। सच्चाई रिश्ते को बचा सकती है, जबकि चुप्पी उसे खत्म कर सकती है। वहीं, अगर आपने उधार दिया है, तो दबाव डालने के बजाय विनम्रता से रिमाइंड करें।रिश्ते को पैसे से ऊपर रखेंदोस्त को आंकने का पैमाना “पैसे की वापसी” नहीं होना चाहिए। अगर रिश्ता सच्चा है, तो थोड़ा समय और भरोसा दोनों काम आते हैं। लेकिन साथ ही “ना” कहने की हिम्मत भी रखें, रिश्ते वहीं टिकते हैं जहां सीमाएं स्पष्ट होती हैं।भविष्य के लिए तय करें ‘फ्रेंड फाइनेंस रूल’दोस्तों के बीच पहले से तय कर लें कि कौन खर्च करेगा, कौन शेयर करेगा और कब हिसाब होगा। खुलापन ही किसी भी रिश्ते की असली मजबूती है

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