दिल्ली। सबकुछ ठीक रहा तो दिल्ली का नाम बदल जाएगा। इसकी ऐतिहासिक पहचान इंद्रप्रस्थ इसको वापस मिल जाएगी इसे लेकर मसौदा तैयार किया गया है। चांदनी चौक से भाजपा सांसद प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि शीघ्र ही शाहजहांनाबाद पुनर्विकास निगम का नाम बदलकर ‘इंद्रप्रस्थ पुनर्विकास निगम’ किया जाएगा।इसी तरह आने वाले समय में हम ‘दिल्ली सरकार’ नहीं बल्कि ‘इंद्रप्रस्थ सरकार’ सुनेंगे-यही हमारा लक्ष्य है।
कांस्टीट्यूशन क्लब में आयोजित ऐतिहासिक सभा में प्राचीन इंद्रप्रस्थ के गौरव को पुनः प्रतिष्ठित करने का संकल्प दोहराया गया। यह आयोजन इंद्रप्रस्थ योगक्षेम न्यास के तत्वावधान में सम्पन्न हुआ, जिसमें दिल्ली के सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और सामाजिक पुनर्जागरण को लेकर कई महत्त्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किए गए।
इंद्रप्रस्थ पुनर्जागरण के संकल्प में दिल्ली का नाम 'इंद्रप्रस्थ' रखने का प्रस्ताव
कांस्टीट्यूशन क्लब में प्राचीन इंद्रप्रस्थ के गौरव को पुनः प्रतिष्ठित करने के संकल्प को लेकर इंद्रप्रस्थ योगक्षेम न्यास की तरह से सम्मेलन का आयोजन हुआ। जिसमें विहिप के केंद्रीय संगठन महामंत्री विनायक राव व महामंत्री बजरंग बागड़ा के साथ ही प्रांत मंत्री सुरेंद्र गुप्ता ने विचार और प्रस्ताव रखें। सांसद प्रवीन खंडेलवाल ने उसे आगे बढ़ाया।
सुरेन्द्र कुमार गुप्ता ने कहा, “नाम केवल इसलिए नहीं बदलने चाहिए कि वे किसी आक्रांता के नाम पर हैं, बल्कि इसलिए भी कि किसी नाम का स्मरण हमारे ऐतिहासिक दृष्टिकोण को कितनी दूर तक ले जाता है। जब हम ‘दिल्ली’ कहते हैं तो हमारी दृष्टि केवल दो हजार वर्ष तक जाती है, पर जब हम ‘इंद्रप्रस्थ’ कहते हैं तो हम पांच हजार वर्षों के गौरवशाली इतिहास से जुड़ते हैं। अतः दिल्ली का नाम बदलकर पुनः इंद्रप्रस्थ किया जाना चाहिए।
विनायक राव ने दिल्ली के वीर हिंदू सम्राट राजा हेमचंद्र विक्रमादित्य के जीवन और योगदान पर विस्तृत प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि “विदेशी आक्रमणों के साढ़े तीन सौ वर्षों के बाद एक हिंदू राजा ने दिल्ली पर पुनः शासन स्थापित किया। यद्यपि यह शासन मात्र 29 दिन चला, परंतु यह भारतीय शौर्य, आत्मगौरव और अस्मिता का प्रतीक बन गया।”
उन्होंने दिल्ली का नाम पुनः “इंद्रप्रस्थ” घोषित करने की मांग की। कहा कि दिल्ली में राजा हेमचंद्र विक्रमादित्य का भव्य स्मारक बनाया जाए। दिल्ली के शिक्षा पाठ्यक्रम में हेमचंद्र विक्रमादित्य के जीवन को शामिल किया जाए। इसके साथ ही उन्होंने “राजा हेमचंद्र विक्रमादित्य सैनिक विद्यालय” की स्थापना की जाए।

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