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बिहार में कांग्रेस का तेजस्वी के सामने समर्पण.... मकसद सिर्फ मोदी को हराना है।Congress surrenders to Tejashwi in Bihar... the only aim is to defeat Modi.

 सम्पादकीय

 कांग्रेस के नेता राहुल गांधी और आरजेडी के तेजस्वी यादव 29 अक्टूबर को भले ही सांझ चुनावी रैली कर रहे हो, लेकिन बिहार में कांग्रेस ने तेजस्वी यादव के सामने पूरी तरह सरेंडर कर दिया है। पहले सीट शेयरिंग पर कोई सहमति नहीं बनी और अब 28 अक्टूबर को साझा घोषणा पत्र को भी आरजेडी ने तेजस्वी प्रण का नाम दे दिया है। आरजेडी ने 243 में से कांग्रेस को बड़ी मुश्किल से मात्र 60 सीटें दी है। इसमें भी 6 सीटों पर आरजेडी और उसके सहयोगी दलों के उम्मीदवार खड़े हो गए हैं। तेजस्वी यादव की ओर से कांग्रेस को कोई महत्व नहीं दिया जा रहा। लेकिन फिर भी कांग्रेस आरजेडी के साथ चिपकी हुई है तेजस्वी आए दिन कांग्रेस को अपमानित कर रहे हैं लेकिन फिर भी राहुल गांधी को बुरा नहीं लग रहा क्योंकि राहुल गांधी जानते हैं कि आरजेडी के समर्थन से ही बिहार में कुछ सीटें मिल सकती हैं। निवर्तमान विधानसभा में भी कांग्रेस के मात्र 19 विधायक है। यदि कांग्रेस आरजेडी को नाराज कर चुनाव लड़े तो उसे 19 सीटें भी नहीं मिलेंगी। कांग्रेस बिहार में अपनी कमजोर स्थिति को समझती है, इसलिए आरजेडी के हर अपमान को सहन कर रही है। कांग्रेस का मकसद बिहार में मोदी को हराना है। यदि बिहार में आरजेडी को बहुमत मिलता है तो इसे मोदी की हार माना जाएगा। कांग्रेस खुद का अपमान सह कर आरजेडी को जिताने में लगी हुई है। 28 अक्टूबर को तेजस्वी प्रण का जो घोषणा पत्र जारी हुआ उसके मुख्यपृष्ठ पर बड़ा फोटो तेजस्वी यादव का है। 

जबकि राहुल गांधी का फोटो ऊपर छोटे आकार में दिया गया है। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े और सोनिया गांधी का फोटो तो इतना छोटा है कि शक्ल ही पहचानने में नहीं आ रही है। अपने भाषणों में गठबंधन की कोई बात नहीं करते। तेजस्वी तो अपनी सरकार का दावा कर रहे हैं। महागठबंधन के घोषणा पत्र को तेजस्वी प्रण का नाम देने से ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि बिहार में कांग्रेस की स्थिति कितनी कमजोर है। कांग्रेस और उसके नेता राहुल गांधी, तेजस्वी की हर शर्त स्वीकार कर रहे हैं। राहुल गांधी को उम्मीद थी कि उन्होंने पूर्व में तेजस्वी के साथ जो साझा यात्रा की उसका दबाव आरजेडी पर पड़ेगा, लेकिन आरजेडी ने सीट शेयरिंग और घोषणा पत्र को लेकर यह दर्शा दिया है कि यात्रा में भीड़ राहुल गांधी के कारण नहीं बल्कि तेजस्वी यादव के कारण आई। इसमें कोई दो राय नहीं कि महागठबंधन का सबसे बड़ा चेहरा तेजस्वी यादव ही है। इससे सबसे ज्यादा खुशी लालू प्रसाद यादव को हो रही है, क्योंकि उनके जीते जी ही बेटा तेजस्वी महागठबंधन का सबसे बड़ा नेता बन गया है।

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