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ट्रस्ट को आरोपी बनाए बिना ट्रस्टी के खिलाफ चेक अनादर की शिकायत सुनवाई योग्य: सुप्रीम कोर्ट Cheque dishonour complaint against trustee maintainable without making trust an accused: Supreme Court


सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ट्रस्ट की ओर से चेक पर हस्ताक्षर करने वाले ट्रस्टी के खिलाफ चेक अनादर की शिकायत ट्रस्ट को आरोपी बनाए बिना सुनवाई योग्य होगी। कोर्ट ने तर्क दिया कि चूंकि ट्रस्ट कोई न्यायिक व्यक्ति नहीं है। न तो मुकदमा करता है और न ही उस पर मुकदमा चलाया जाता है, इसलिए ट्रस्ट के दिन-प्रतिदिन के कार्यों के लिए जिम्मेदार ट्रस्टी, विशेष रूप से चेक पर हस्ताक्षर करने वाले ट्रस्टी, उत्तरदायी होंगे।



अदालत ने कहा, "जब चेक के कथित अनादर के कारण वाद का कारण उत्पन्न होता है। NI Act के तहत शिकायत शुरू की जाती है तो वह उस ट्रस्टी के खिलाफ, जिसने चेक पर हस्ताक्षर किए हैं, सुनवाई योग्य है, बिना ट्रस्ट को भी आरोपी बनाए।" जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की खंडपीठ ने ओरियन एजुकेशन ट्रस्ट द्वारा जारी किए गए ₹5 करोड़ के चेक से संबंधित मामले की सुनवाई की, जिस पर इसके अध्यक्ष, प्रतिवादी ने संपर्क सेवाओं के लिए अपीलकर्ता के पक्ष में हस्ताक्षर किए। अपर्याप्त धनराशि के कारण चेक बाउंस हो गया। अपीलकर्ता ने प्रतिवादी के विरुद्ध व्यक्तिगत रूप से NI Act की धारा 138/142 के तहत शिकायत दर्ज कराई

हाईकोर्ट ने शिकायत यह कहते हुए खारिज की कि चूंकि ट्रस्ट को अभियुक्त के रूप में नामित नहीं किया गया, इसलिए केवल उसके अध्यक्ष-प्रतिवादी के विरुद्ध कार्यवाही सुनवाई योग्य नहीं है। हाईकोर्ट का फैसला दरकिनार करते हुए जस्टिस अमानुल्लाह द्वारा लिखित निर्णय में एसएमएस फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड बनाम नीता भल्ला (2005) और के के आहूजा बनाम वी के वोरा (2009) का हवाला देते हुए कहा गया कि चेक पर हस्ताक्षर करने वाला व्यक्ति स्पष्ट रूप से इस कृत्य के लिए ज़िम्मेदार है और ट्रस्ट को अलग से अभियोग लगाए बिना भी उस पर मुकदमा चलाया जा सकता है

चूंकि प्रतिवादी ट्रस्ट का अध्यक्ष और अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता है, जिसने व्यक्तिगत रूप से चेक पर हस्ताक्षर किए, इसलिए वह चेक जारी करने के कार्य के लिए प्रथम दृष्टया ज़िम्मेदार है। अदालत ने कहा कि इससे ट्रस्ट को अभियुक्त के रूप में अभियोग लगाए बिना ही उसे उत्तरदायी ठहराया जा सकता है। तदनुसार, अपील स्वीकार कर ली गई और चेक अनादर मामले को ट्रायल कोर्ट में उसकी मूल फ़ाइल में वापस कर दिया गया

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