इंदौर के पार्षद क्या करते है यह किसी से छुपा नहीं है अवैध निर्माण,बिना स्वीकृति निर्माण और नक्शे के विपरीत निर्माण ,फुटपाथ पर अवैध कब्जे और हर झोंन में हर साल ब्लॉक बदलवाना पार्षदों का काम है! अफसर गलत काम में सहभागी न हो तो तो उस पर आरोप लगाकर हटवाना ?पार्षदों के आकाओ की भूमिका भी जांची जानी चाहिये! जीतू यादव केस में भी विधानसभा चार के पार्षद ने निगम कर्मी से नोटिस के कारण रंगदारी की और उसका खामियाजा जीतू को भुगतना पड़ा! निगमायुक्त मनीष सिंह इस कमजोरी को जानते थे उन्होंने कभी पार्षदों को फटकने नहीं दिया! कल हूवे घटना क्रम में भी पार्षद ने निगमकर्मी के खिलाफ फर्जी एफ आई आर दर्ज करवायी! थाना प्रभारी की भूमिका भी जांचा जाना चाहिये पार्षद कोई सरकारी अफसर नहीं है
शाशकीय अधिकारी कर्मचारी के साथ अभद्रता होती तो शाशकीय कार्य में बाधा डालने का प्रकरण दर्ज होना चाहिये! प्रदेश के नगरीय विकास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने एक बार सार्वजनिक रूप से कहा था कि पार्षद निर्माण और नोटिस नोटिस के खेल में लगकर विकास कार्यो को दरकिनार करते हैं!कल के घटनाक्रम में भी पार्षदों की नौटंकी देखिए की निगमायुक्त के नाम से जान से मारने की धमकी कर्मचारी ने दी क्या कोई आईएएस इतना कमजोर होता की वह किसी को धमकी देगा! पार्षदों की बुद्धि पर तरस आता है !
दरअसल जो पार्षद फड़फड़ा रहे है वे किसी और की उड़ाई पतंग है ! झोनो पर फर्जी फ़ाइल और बिल बनाने का खेल लगभग बंद हो गया! निगमायुक्त दिलीप यादव बेहद संजीदा अफ़सर है पार्षदों का सिर्फ़ एक ही मकसद है निगमायुक्त और प्रशासन पर दबाव बनाया जाये जब भी किसी अवैध निर्माण या नक्शे के विपरीत स्वीकृत पर निगम अफसर नोटिस या नपती करते पार्षद फड़फड़ाने क्यो लग जाते है ! अवैध निर्माण पार्षदों की दुखती नस और नोटिस दूध देती गाय है इस खेल को समझना होगा निगमायुक्त और प्रशासन को और भाजपा संगठन में बैठे पदाधिकारी और पार्षद जिन विधायकों से जुड़े उनको शहर को अपने स्वार्थो के लिये अखाड़ा मत बनाओ राष्ट्रीय स्तर पर स्वच्छता में नंबर वन है उसे राष्ट्रीय स्तर पर गुंडागर्दी में नंबर वन मत बनाओ!
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