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झूठ का पुलिंदा... ट्रंप कभी चैन से नहीं बैठ सकता!A bundle of lies... Trump can never rest in peace!


राष्ट्रपति ट्रंप जब इस्राइलियों और अरबों से यह कह रहे थे कि हम अभी पश्चिम एशिया में ऐतिहासिक सुबह देख रहे हैं, तो ऐसा लग रहा था, जैसे ट्रंप अपने बैंकरों को एक जहरीले कचरे के ढेर पर दुनिया का सबसे बड़ा, सबसे सुंदर, सबसे शानदार होटल बनाने की योजना के बारे में बता रहे हों। ऐसे में दिमाग में बस यही आता है कि क्या उन्हें इस जगह के इतिहास के बारे में कुछ नहीं पता? आप यहां होटल बना ही नहीं सकते। लेकिन दूसरे ही क्षण ख्याल आता है कि अगर उन्होंने यह कर दिखाया तो? धमकाने, चापलूसी करने और बढ़ा-चढ़ाकर बात कहने की ट्रंप की क्षमता वास्तव में देखने लायक है, और यह सोमवार को इस्राइली संसद में तथा उसके बाद मिस्र के शर्म अल शेख में आयोजित एक सभा में 20 से अधिक विश्व नेताओं के समक्ष दिए गए उनके भाषण में दिखी।



कोई भी पारंपरिक राजनयिक या विदेश नीति का प्रोफेसर राष्ट्रपति को ऐसे जोखिम उठाने की सलाह नहीं देता कि वह घोषणा करें कि हम पश्चिम एशिया में शांति की राह पर हैं और डोनाल्ड ट्रंप उस शांति बोर्ड की अध्यक्षता करेंगे, जो इसे लागू करेगा। दरअसल, ट्रंप की पढ़ाई एक बिजनेस स्कूल में हुई है, न कि विदेश सेवा के स्कूल में। उन्हें यकीन है कि वह येन-केन-प्रकारेण इस संघर्ष को एक सुखद अंत तक पहुंचा सकते हैं। इस मामले में, मैं उनके पक्ष या विपक्ष में दांव नहीं लगा सकता, लेकिन उन्हें एक मुफ्त सलाह जरूर दूंगा कि राष्ट्रपति महोदय, इस सौदे को पूरा करने के लिए आपको तेजी से आगे बढ़ना होगा और कुछ जोखिम उठाने होंगे। लेकिन अब तक इस दिशा में कुछ होता नहीं दिखता। बेशक अभी समय है, लेकिन अभी तो मुझे अगले चरण की कोई शुरुआत भी नजर नहीं आ रही। संयुक्त राष्ट्र का ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है, जो एक उचित फलस्तीनी सुरक्षा बल का गठन होने तक गाजा में हमास के निरस्त्रीकरण और सुरक्षा की निगरानी के लिए अरब/अंतरराष्ट्रीय शांति सेना बनाने की बात करे। गाजा के पुनर्निर्माण के लिए जरूरी अरबों डॉलर की धनराशि भी नहीं दिखती, और यह भी नहीं पता कि फलस्तीनी टेक्नोक्रेटों के मंत्रिमंडल की नियुक्ति और प्रबंधन कौन करेगा, जो हमास के बदले गाजा को चलाएंगे। एक पत्रकार होने के नाते, अगर मैं जानना चाहूं कि आगे क्या और कैसे होगा, तो मुझे समझ नहीं आता कि किससे बात करूं। यह मुसीबत का कारण है। जिस चीज ने बंधकों की रिहाई, कैदियों की अदला-बदली और युद्धविराम जैसी बड़ी सफलताएं दिलाईं, उससे पश्चिम एशिया में व्यापक शांति नहीं आएगी, जब तक कि ट्रंप इस्राइल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू और हमास के पर्यवेक्षकों (तुर्किये, मिस्र और कतर) के साथ मिलकर कानून नहीं बनाते।ट्रंप के पास आराम करने के लिए एक पल भी नहीं है। पहला चरण जितना कठिन था, उससे ज्यादा मुश्किलें आगे आएंगी।  उन्हें नेतन्याहू से यह भी पूछना होगा कि ‘क्या आप इस्राइली राजनीति के केंद्र में आकर एक ऐसा गठबंधन बनाने जा रहे हैं, जो एक संशोधित फलस्तीनी प्राधिकरण के साथ मिलकर हमास की जगह ले सके और गाजा व पश्चिमी तट, दोनों पर शासन कर सके? या फिर आप वही खेल जारी रखेंगे, जो आपने 1996 से अमेरिकी राष्ट्रपतियों के साथ खेला है-और गाजा में हमास को चुपचाप जिंदा रखने और फलस्तीनी प्राधिकरण को कमजोर करने की कोशिश करेंगे, ताकि बता सकें कि दूसरा पक्ष शांति के लिए तैयार नहीं है?’ कतर, तुर्किये और मिस्र तथा जो भी अरब देश गाजा में सेना भेजने के लिए तैयार हैं, उनसे भी ट्रंप को पूछना चाहिए कि ‘क्या आप हमास को निरस्त्र करने के लिए मजबूर करेंगे और गाजा में फलस्तीनी प्राधिकरण के नेतृत्व की वापसी का मार्ग प्रशस्त करेंगे या हमास के साथ चालाकी से पेश आएंगे, क्योंकि वह वहां फिर से नियंत्रण स्थापित करना चाह रहा है?’हालांकि, हमास ने संकेत दिया है कि वह गाजा में नागरिक शासन किसी अन्य फलस्तीनी इकाई को सौंपने को तैयार है, लेकिन उसने कभी सार्वजनिक रूप से नहीं कहा कि वह हथियार डाल देगा। यदि हमास निरस्त्रीकरण में विफल रहता है, तो इससे नेतन्याहू को युद्ध पुनः शुरू करने का बहाना मिल जाएगा, तथा अगले चरणों में आने वाली सभी राजनीतिक चुनौतियों से बचने का मौका मिल जाएगा। इस बात की बिल्कुल संभावना नहीं है कि ट्रंप इस संघर्ष विराम को स्थायी शांति में तब्दील कर सकें, जब तक कि हमास को यथाशीघ्र एक संशोधित फलस्तीनी प्राधिकरण द्वारा हटा नहीं दिया जाता। इस्राइली लेखिका अरी शावित ने बताया कि ‘जब ट्रंप ने फरवरी में गाजा को गाजावासियों से खाली करने का सुझाव दिया, तो इस्राइल को लगा कि गाजा पर कब्जा कर लिया जाएगा और अगला कदम वेस्ट बैंक होगा। अब आठ महीने बाद ट्रंप उन्हीं इस्रालियों से कह रहे हैं कि गाजा और वेस्ट बैंक पर कब्जा नहीं किया जाएगा।’ जल्द ही ट्रंप को यह एहसास हो जाएगा कि यदि गाजा में स्थायी शांति चाहिए, तो उन्हें शीघ्र वहां एक संशोधित फलस्तीनी प्राधिकरण स्थापित करना होगा।

जून 2007 में हमास द्वारा हटाए जाने से पहले, फलस्तीनी प्राधिकरण गाजा पट्टी पर शासन करता था, और यह सब एक कानूनी, आर्थिक और व्यापारिक ढांचे के तहत होता था, जिस पर ओस्लो समझौते के तहत इस्राइलियों और फलस्तीनी राजी हुए थे। बस उस ढांचे को फिर से इस्तेमाल करने की जरूरत है। गाजा में नए सिरे से शासन व्यवस्था को व्यवस्थित होने में महीनों लगेंगे, और हमास इस खालीपन का फायदा उठाएगा। मेरे विचार से फलस्तीनी राष्ट्र का संचालन संशोधित फलस्तीनी प्राधिकरण द्वारा होना चाहिए और उसे एक अरब/अंतरराष्ट्रीय शांति सेना का निरंतर समर्थन मिले, जो यह सुनिश्चित करेगा कि यह फलस्तीनी राष्ट्र इस्राइल के लिए कभी खतरा न बने, और उसे समर्थन देने वाला अंतरराष्ट्रीय ‘शांति बोर्ड’ उसकी आर्थिक सफलता की गारंटी देगा। लेकिन इसका एकमात्र रास्ता यही है कि हमास को जल्दी से निरस्त्र कर दिया जाए, और फलस्तीनी प्राधिकरण को जल्दी से पुनर्गठित करके गाजा में स्थापित कर दिया जाए।

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