मृत CBI नेता और प्रमुख दलित एक्टिविस्ट आर्मस्ट्रांग की पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट में हस्तक्षेप याचिका दायर की, जिसमें उनकी हत्या की CBI जांच की मांग का समर्थन किया गया। आर्मस्ट्रांग की पत्नी पोरकोडी ने मद्रास हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ तमिलनाडु राज्य द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका में हस्तक्षेप याचिका दायर की, जिसमें राज्य पुलिस द्वारा हत्या के मामले में दायर आरोपपत्र रद्द कर दिया गया था और जांच CBI को सौंप दी गई। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने 10 अक्टूबर को आरोपपत्र रद्द करने के हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी, लेकिन उसने CBI जांच पर रोक नहीं लगाई।
यह कहते हुए कि इस मामले का "राष्ट्रीय चेतना" से संबंध है, पोरकोडी ने दलील दी कि करूर भगदड़ मामले की तरह पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज की अध्यक्षता वाली पर्यवेक्षी समिति की निगरानी में CBI जांच आवश्यक है। उन्होंने गवाह संरक्षण योजना, 2018 के तहत गवाह संरक्षण की भी मांग की। उन्होंने अपने आवेदन में कहा, "पर्यवेक्षी समिति के गठन की आवश्यकता इस तथ्य के कारण है कि आरोप-पत्र में कई महत्वपूर्ण तथ्यों को जानबूझकर छोड़ दिया गया, जिनका इस जघन्य अपराध के उद्देश्य और मंशा से स्पष्ट संबंध है। कई तथ्य मामले की जड़ तक जाते हैं। इसलिए नए सिरे से जांच की आवश्यकता है, क्योंकि हाईकोर्ट ने प्रथम दृष्टया पहले की जांच को अपर्याप्त और निष्पक्ष पाया है।"
24 सितंबर को हाईकोर्ट के जस्टिस पी. वेलमुरुगन ने आर्मस्ट्रांग के भाई कीनोस द्वारा दायर याचिका पर यह आदेश पारित किया। कीनोस ने CBI जांच की मांग करते हुए आरोप लगाया कि राज्य पुलिस द्वारा की जा रही जांच में बड़ी कमियां हैं। हाईकोर्ट ने माना कि जांच में प्रक्रियात्मक खामियां हैं और आरोप-पत्र में महत्वपूर्ण विरोधाभास हैं। पोरकोडी ने अपने हस्तक्षेप आवेदन में कहा कि उन्होंने मद्रास हाईकोर्ट में राज्य पुलिस की जांच पर सवाल उठाते हुए एक अलग याचिका भी दायर की। वह बताती हैं कि चूंकि मामला अब सुप्रीम कोर्ट में है, इसलिए हाईकोर्ट द्वारा उनकी याचिका पर कोई आदेश पारित करने की संभावना नहीं है। आर्मस्ट्रांग की 5 जुलाई, 2024 को चेन्नई के पेरम्बूर स्थित उनके आवास के बाहर हथियारबंद हमलावरों के एक समूह ने हत्या कर दी थी।

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